A
Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: क्या अखिलेश यादव मुलायम सिंह की विरासत को संभाल पाएंगे?

Rajat Sharma’s Blog: क्या अखिलेश यादव मुलायम सिंह की विरासत को संभाल पाएंगे?

मुलायम सिंह यादव उस पीढ़ी के नेता थे जो अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव रखते थे।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Mulayam Rajat Sharma Blog on Akhilesh- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का राजकीय अंतिम संस्कार मंगलवार की दोपहर को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित उनके गृहनगर सैफई में संपन्न हो गया। मुलायम को अंतिम विदाई देने के लिए सैफई में अपार जनसमूह उमड़ा हुआ था।

अंतिम संस्कार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार, तेलुगु देशम पार्टी के मुखिया एन. चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, RJD नेता एवं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,  कमल नाथ, छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, अभिनेता अभिषेक बच्चन, उनकी मां जया बच्चन, योग गुरु स्वामी रामदेव के समेत कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं।

मुलायम सिंह यादव के कई समर्थक रुक-रुक कर हो रही बूंदाबांदी के बीच लगातार रो रहे थे। उनका पार्थिव शरीर पहले पार्टी के झंडे में, और बाद में तिरंगे में लिपटा कर, 'नेताजी अमर रहे' के नारों के बीच सैफई लाया गया। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लोग न सिर्फ बाइक और कार से बल्कि साइकिल से और पैदल भी पहुंचे थे। मुलायम सिंह के पार्थिव शरीर को ले जा रहे ट्रक पर अखिलेश यादव, शिवपाल यादव और परिवार के अन्य सदस्य सवार थे।

मुलायम सिंह यादव के साथ मेरा संबंथ तीन दशक से भी ज्यादा पुराना था। मुझे उनको करीब से देखने का मौका मिला, उनके साथ एक गहरा रिश्ता बनाने का सौभाग्य मिला। वह मेरे शो ‘आप की अदालत’ में चार   बार आए थे। उन्होंने कभी भी किसी सवाल का बुरा नहीं माना। उन्होंने हर सवाल का जवाब अपने अंदाज़ में दिया, कभी किसी इल्जाम को टालने की कोशिश नहीं की। उन्होंने हर बार बड़ी बेबाकी से जवाब दिया।

सार्वजनिक जीवन के अलावा ‘नेताजी’ का मेरे साथ एक व्यक्तिगत रिश्ता भी था। असल में रिश्तों की कद्र करना, दूसरों की इज्जत करना, यह उनके व्यक्तित्व की खासियत थी।

मुझे वे दिन याद हैं जब मुलायम सिंह बतौर मुख्यमंत्री मुझे रिसीव करने के लिए दरवाजे पर आते थे और मुझे छोड़ने के लिए भी मेरे साथ मेरी कार तक आते थे। आजकल ऐसे नेता बहुत कम हैं जो इस तरह का शिष्टाचार रखते हैं।

मुझे याद है कि जब मैंने पांचवीं बार उनसे ‘आप की अदालत’ में आने को कहा तो वह बोले, ‘अब हमें छोड़िए। अब अखिलेश को बुलाइए।’ उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि अखिलेश भी सवालों का जवाब देना सीखें।’ अखिलेश के बारे में उन्होंने जब-जब बात की तो लगा कि टीपू (वह अखिलेश को प्यार से टीपू बुलाते थे) से वह बहुत प्यार करते थे और उन्हें सफलता की बुलंदियों पर देखना चाहते थे।

मुलायम सिंह यादव उस पीढ़ी के नेता थे जो अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव रखते थे। मीलों चलने के बाद उनके पैरों में छाले पड़ जाते थे, मैंने उनके पैरों में पड़े छालों को देखा है । मुलायम सिंह कैसे गांव-गांव जाकर, चारपाई पर बैठकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को नाम लेकर बुलाते थे, वह भी मैंने देखा है। इसीलिए वह समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में खड़ा कर पाए।

देखते-देखते ज़माना बदल गया लेकिन ‘नेताजी’ ज़माने के साथ नहीं बदले। उनका अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ रिश्ता वैसा ही बना रहा। पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें नेता से ज्यादा अपने परिवार का बड़ा मानते थे।

अखिलेश यादव के लिए नेताजी की इस विरासत को संभालना बड़ी चुनौती होगी। अपने विरोधियों का सम्मान कैसे किया जाता है, यह मुलायम सिंह यादव से सीखा जा सकता है।

मुलायम सिंह के नरेंद्र मोदी से वैचारिक मतभेद थे, राजनैतिक तौर पर दोनों एक दूसरे के घोर विरोधी थे, लेकिन नेताजी ने हमेशा मोदी के पद की गरिमा का मान रखा। जब मोदी मुख्यमंत्री थे तब, और जब वह प्रधानमंत्री बने तब भी, दोनों के बीच एक परस्पर सद्भाव का रिश्ता दशकों तक बना रहा।

जब मुलायम सिंह के निधन की खबर आई तब मोदी गुजरात में थे। सोमवार को भरूच में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘जब हम दोनों मुख्यमंत्री थे, तब हम आपस में अपनत्व का एक भाव अनुभव करते थे। 2013 में जब बीजेपी ने मुझे पीएम उम्मीदवार के रूप में नामित किया, तब मैंने आशीर्वाद लेने के लिए विपक्ष के भी कई नेताओं को फोन किया था। उनमें मुलायम सिंह जी भी थे। मुलायम सिंह जी का आशीर्वाद, और सलाह के वे दो शब्द, आज भी मेरी अमानत हैं।’

मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 16वीं लोकसभा के आखिरी सत्र के आखिरी दिन मुलायम सिंह द्वारा कही गई बातों को भी याद किया। मुलायम सिंह ने तब कहा था, 'मैं प्रधानमंत्री को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने की कोशिश की। मुझे उम्मीद है कि सभी सदस्य जीतेंगे और इस सदन में वापस आएंगे, और आप (PM मोदी) फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे।' सोमवार को मोदी ने इस टिप्पणी को याद किया और कहा: 'कितना बड़ा दिल था! मैं गुजरात की धरती से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।'

मुलायम सिंह के जीवन को शब्दों में समेटना मुश्किल है। वह राजनीतिक जीवन में आखिरी दम तक सक्रिय रहे। शरीर साथ नहीं देता था, कई तरह की बीमारियों ने घेर लिया था, लेकिन मुलायम सिंह कभी थके नहीं, कभी हारे नहीं। पिछले कुछ साल ऐसे थे जब उनकी याददाश्त कमजोर हो गई थी। बहुत सारी बातें उन्हें याद नहीं रहती थीं। वह बार-बार पुराने जमाने की बात करते थे, राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्रा की बातें करते थे। मुलायम को राजनीति में लोहिया लेकर आए थे और उन्हें सार्वजनिक जीवन स्थापित किया था।

जनेश्वर मिश्र जैसे कद्दावर नेता ने उनके नेतृत्व को संवारा, उनके सियासी जीवन को आगे बढ़ाया। साफ दिखता था कि मुलायम सिंह अपने आखिरी दिनों में भी अपने नेताओं के उपकार को, उनकी विरासत को नहीं भूले। 82 साल की उम्र में मुलायम सिंह के निधन के साथ ही एक युग की समाप्ति हो गई है। उनकी उदारता, उनके हृदय की विशालता, उनका स्नेह और उनकी मुस्कान हमेशा याद आएगी। मैं इंडिया टीवी के पूरे परिवार की तरफ से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 10 अक्टूबर, 2022 का पूरा एपिसोड

Latest India News