Rajat Sharma’s Blog | मोदी की अमेरिका यात्रा : भारत के लिए गर्व का क्षण
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विन्स्टन चर्चिल और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के बाद नरेंद्र मोदी अमेरिकी संसद को दूसरी बार संबोधित करने वाले पहले विश्व नेता बनेंगे।
पूरी दुनिया की निगाहें इस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर है। यात्रा के पहले चरण में न्यूयॉर्क पहुंचने के बाद मोदी ने अमेरिका के बड़े उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों से मुलाकात की और उन्हें भारत की विकास यात्रा के बारे में बताया। दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर के मालिक एलन मस्क ने मोदी से मुलाकात के बाद माना कि वे मोदी के मुरीद (फैन) हैं क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री को हमेशा अपने देश में पूंजीनिवेश की चिंता है। मोदी ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रो. पॉल रोमर से मुलाकात की और उन्हें बताया कि भारत में कैसे आधार और डिजिलॉकर के ज़रिए डिजिटल क्रांति आई है। मोदी संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस उत्सव में हिस्सा लेने के बाद वॉशिंगटन जाएंगे जहां उनका औपचारिक स्वागत होगा। भारत और अमेरिका की दोस्ती पुरानी है लेकिन आज के वक्त में दोनों को एक दूसरे की सबसे ज्यादा जरूरत है। अमेरिका को भारत के बढ़ते मार्केट की जरूरत है और भारत को अमेरिका की पूंजी और टेक्नोलॉजी की जरूरत है। भारत के पास मौका है। आज बड़ी-बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां चीन को छोड़कर प्रोडक्शन के लिए किसी अन्य देश की तलाश में है, जहां अमेरिकी कंपनियों के भारत में आने से हमारी ताकत बढ़ेगी। कुछ साल पहले तक चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, अब चीन के साथ संबंधों में तनाव है। अब भारत और अमेरिका का आपसी व्यापार चीन और भारत के व्यापार का करीब-करीब दुगुना हो गया है। ये अमेरिका के लिए भी फायदे का सौदा है और चीन के लिए परेशानी का सबब है। भारत में आज भी 50 प्रतिशत लोग खेती से जुड़े हैं और मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी का 15 प्रतिशत ही है। इसे सुधारने के लिए भारत को अमेरिका की पूंजी और टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होगी। एक और नोट करने वाली बात ये है कि अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों भारत को एक स्ट्रैटेजिक पार्टनर के रूप में देखते हैं। इसलिए विन्स्टन चर्चिल और नेल्सन मंडेला के बाद नरेंद्र मोदी अमेरिकी संसद को दूसरी बार संबोधित करने वाले विश्व नेता बनेंगे। अमेरिका ऐसा सम्मान किसी को भी आसानी से नहीं देता, बिना फायदे के नहीं देता। अमेरिका की सबसे बड़ी जरूरत आर्थिक प्रगति है। उसे चीन के मुकाबले अपनी स्थिति मजबूत करनी है। भारत 140 करोड़ लोगों का मुल्क है। अमेरिका की बहुत सारी कंपनियां भारत पर निर्भर करती हैं। अमेरिका की राजनीति में भी भारतीयों का रोल है। अमेरिका में भारतीय मूल के 50 लाख लोग रहते हैं। आज अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनियों के सीईओ भारतीय मूल के लोग हैं। उन सबका अपना प्रभाव क्षेत्र है। अमेरिका में दोनों पार्टियों के राजनेता इस ताकत को बखूबी समझते हैं। इसिलए चीन कह रहा है कि अमेरिका भारत का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन चीन भी जानता है कि भारत ने अमेरिका के साथ अपने रिश्ते अपनी शर्तों पर मजबूत किए हैं। भारत ने अमेरिका का समर्थन हासिल करने के लिए अपनी विदेश नीति से समझौता नहीं किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की नीति। सारी दुनिया ने देखा कि भारत अमेरिका के दबाव में नहीं आया। ये नरेंद्र मोदी की इच्छा शक्ति और हिम्मत वाली कूटनीति का नतीजा है। इसीलिए आने वाले 72 घंटे नरेंद्र मोदी के होंगे। अमेरिका में मोदी-मोदी की गूंज सुनाई देगी। ये भारत के लिए गर्व की बात है।
योग इस्लाम विरोधी नहीं
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने मदरसों में योग कार्यक्रम कराये जाने का विरोध किया है। बर्क का कहना है कि योग दिवस का मदरसों से कोई लेना-देना नहीं है, मदरसों में योग दिवस मनाकर सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम बच्चों की तालीम में रुकावट पैदा करने की कोशिश की जा रही है। बर्क ने इसे लेकर सीधे सीधे सरकार पर निशाना साधा, कहा कि सरकार चाहती है कि मुस्लिम बच्चे अपनी मजहबी तालीम हासिल न करें, इसीलिए मदरसों में योग करवाया जा रहा है। शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ जैसे लोग भले ही मदरसों में योग दिवस मनाने का विरोध करें, लेकिन उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि दुनिया के करीब 180 देशों में योग दिवस मनाया जाता है, उनमें से 40 से ज़्यादा इस्लामिक मुल्क हैं। पिछले महीने ही 100 से ज्यादा देशों के हज़ारों लोग दुबई के एक पार्क में इकट्ठा हुए और योग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। सऊदी अरब की यूनिवर्सिटी में योग की कक्षाएं भी शुरु हो चुकी हैं, इसलिए मदरसों में योग का विरोध करना कितना बेमानी है, ये बताने की जरूरत नहीं है।
यूपी में माफिया पर योगी का बुलडोज़र
उत्तर प्रदेश में माफिया के खिलाफ एक बार फिर एक्शन शुरू हो गया है। मंगलवार को गोरखपुर में गैंगस्टर राकेश यादव की प्रॉपर्टी को बुलडोज़र से गिरा दिया गया। गोरखपुर विकास प्रधिकरण की टीम पुलिस फोर्स के साथ सुबह मौके पर पहुंची और कुछ ही घंटों में राकेश यादव के अवैध मकान को बुलडोज़र से गिरा दिया। इस मकान की कीमत साढ़े चार करोड़ रुपए बताई जा रही है। राकेश यादव गोरखपुर का नामी हिस्ट्रीशीटर है। उस पर हत्या, रंगदारी और जमीन कब्जा करने जैसे कुल 52 फौजदारी मामले दर्ज हैं। गोरखपुर के टॉप 10 माफियाओं की लिस्ट में उसका नाम है और इस वक्त वो गोरखपुर जिला जेल में बंद है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण का कहना है कि जिस मकान को गिराया गया है, उसका नक्शा पास नहीं था। मंगलवार को ही आदित्यनाथ की सरकार ने फरार खनन कारोबारी हाजी इकबाल के खिलाफ भी कार्रवाई की। सहारनपुर, नोएडा और लखनऊ में हाजी इकबाल की कई प्रॉपर्टीज़ को प्रशासन ने जब्त कर लिया है। हाजी इकबाल बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधान पार्षद हैं। उन पर अवैध खनन, जमीन कब्जाने,और गैंगस्टर एक्ट के तहत कुल 47 मुकदमे दर्ज हैं। हाजी इकबाल पर आरोप है कि उन्होंने अवैध खनन करके अकूत दौलत इकट्ठा की है। पुलिस उन्हें काफी वक्त से तलाश कर रही है। उन पर एक लाख रुपए का इनाम भी है। उत्तर प्रदेश में योगी के बुलडोजर का असर ये हुआ है कि गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर कानून से डरने लगे है। पुलिस के सामने कांपने लगे हैं। एनकाउंटर के डर से तख्ती लटका कर सरेंडर करने आते हैं। उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था को ऐसी सख्ती के बगैर दुरुस्त नहीं किया जा सकता था। आम जनता के दिलो दिमाग से माफिया का खौफ खत्म करना, यूपी के गली मोहल्लों में अमन चैन कायम करना बहुत ही मुश्किल काम था। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इसे करके दिखाया। अब तो योगी के विरोधी भी बंद कमरों में उनका लोहा मानते हैं। अब तो दूसरे राज्यों में भी माफिया पर बुलडोजर चलते दिखाई देते हैं। योगी आदित्यनाथ के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है। (रजत शर्मा)
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