Rajat Sharma’s Blog: लालू यादव की बेटी रोहिणी ने किडनी डोनेट करके एक बेहतरीन मिसाल कायम की है
ईश्वर से प्रार्थना है कि लालू जी जल्दी से स्वस्थ होकर घर लौटें और रोहिणी भी जल्दी ठीक होकर अपने परिवार के साथ रहे। वे दोनों दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें।
राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में रिकवर कर रहे हैं। लालू को उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने किडनी डोनेट की थी। वह भी तेजी से ठीक हो रही हैं। डॉक्टरों ने कहा कि दोनों के सभी महत्वपूर्ण पैरामीटर अब सामान्य हैं। लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती भी सिंगापुर में हैं।
अपने 74 साल के पिता को किडनी डोनेट करके उन्हें नया जीवन देने वाली रोहिणी आचार्य की विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने खुलकर सराहना की। सोमवार को लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने ऑपरेशन थिएटर से ICU में शिफ्ट किए गए अपने पिता की वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की थीं। लालू यादव किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी।
तेजस्वी ने अपनी बहन की तारीफ करते हुए बेहद भावुक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा: ऑपरेशन के बाद मेरी प्यारी बहन का आत्मविश्वास अलौकिक,अपूर्व और अद्भुत है। मेरी प्यारी बहन रोहिणी आचार्य ने अटूट प्रेम, असीम त्याग, अदम्य साहस, अद्वितीय समर्पण और रिसते रिश्तों के वर्तमान दौर में अकल्पनीय पारिवारिक मूल्यों की जो अनूठी मिसाल कायम की है वह अवर्णनीय और अविस्मरणीय है।
रोहिणी ने अपनी किडनी दान करके वाकई में एक मिसाल कायम की है। वह लालू की ही नहीं, बल्कि देश की बेटी हैं, हर भारतीय परिवार की लाडली बेटी हैं। सर्जरी के बाद जब लालू यादव को होश आया तो सबसे पहले उन्होंने यही पूछा, ‘रोहिणी कैसी है? ’ जब रोहिणी को होश आया, तो उन्होंने सबसे पहले पूछा: ‘पापा कैसे हैं?’ यह एक पिता और बेटी के बीच की खूबसूरत बॉन्डिंग को दिखाता है।
लालू यादव का 9 बच्चों का एक बड़ा परिवार है और रोहिणी उनकी दूसरी संतान है। 43 साल की रोहिणी आचार्य 3 बच्चों की मां हैं, पेशे से डॉक्टर हैं और सिंगापुर में रहती हैं। जब उन्हें अपने पिता की किडनी की जटिलताओं के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपनी किडनी देने फैसला कर लिया। शुरू में लालू यादव किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि उनकी उम्र पहले ही 70 साल की हो गई है, इसलिए वह अपनी बेटी से किडनी नहीं लेंगे क्योंकि उसके सामने तो पूरी जिंदगी पड़ी है। रोहिणी अपनी बात पर अड़ी रहीं, और आखिरकार पिता को बेटी की जिद के सामने झुकना पड़ा।
जिस दिन लालू ट्रांसप्लांट के लिए मान गए, उस दिन रोहिणी ने ट्वीट किया, ‘मेरे माता-पिता मेरे लिए भगवान हैं। मैं उनके लिए कुछ भी कर सकती हूं।’ इसके बाद जब लालू को सिंगापुर ले जाया गया तब भी रोहिणी ने ट्वीट किया, ‘मैंने ईश्वर को तो नहीं देखा है, लेकिन ईश्वर के रूप में अपने पापा को देखा है।’ जिस दिन रोहिणी को किडनी डोनेट करने के लिए ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया, उस दिन भी उन्होंने ट्वीट किया, ‘Ready to rock and roll. Wish me a good luck.’ और भगवान ने भी उनकी बात सुनी।
लालू यादव के कट्टर सियासी विरोधियों में से एक केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने, जो कि खुद इकलौती बेटी के पिता हैं, ने ट्वीट किया, ‘बेटी हो तो रोहणी आचार्य जैसी। गर्व है आप पर। आप उदाहरण होंगी आने वाले पीढ़ियों के लिए।’
मैं गिरिराज सिंह की भावनाओं को समझ सकता हूं क्योंकि वह एक पिता और उसकी बेटी के बीच भावनात्मक जुड़ाव को समझते हैं। रोहिणी का जन्म 1979 में हुआ था और 2002 में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शमशेर सिंह से उनकी शादी हुई। उनकी 3 संतानों में 2 बेटे और एक बेटी है। मैं ये सब इसलिए बता रहा हूं क्योंकि रोहिणी ने ही अपने पिता को किडनी लेने के लिए मनाने में अहम भूमिका निभाई थी। उसने अपने पिता से कहा था कि तीन बच्चों के साथ ही उनका परिवार अब पूरा हो गया है, और एक डॉक्टर होने के चलते उन्हें पता है कि वह एक किडनी के साथ भी सामान्य जीवन जी सकती है।
बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया: ‘मुझे भगवान ने बेटी नहीं दी, आज रोहिणी आचार्य को देखकर सचमुच भगवान से लड़ने का दिल कर रहा है। मेरी नानी हमेशा कहती थी, बेटा से बेटी भली जो कुलवंती हो।’ लालू यादव के लंबे समय तक सहयोगी रहे और मौजूदा समय में पाटलिपुत्र से बीजेपी के सांसद रामकृपाल यादव ने रोहिणी को आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘रोहिणी जैसी बेटियों के कारण ही कुल का नाम रोशन होता है। भगवान ऐसी बेटियां सबको दें।’ उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, 'माता-पिता के लिए बेटी हमेशा बेटी ही रहती है, भले ही वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाए। रोहिणी ने जो किया उसे देखकर हर किसी को बेटियों पर गर्व होना चाहिए।’
शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि रोहिणी ने एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिसकी बराबरी करना दूसरों के लिए बहुत मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, ‘ऐसे समय में जब ज्यादातर युवा अपने माता-पिता से दूर रहना पसंद करते हैं, रोहिणी ने अपने पिता को किडनी देकर युवा पीढ़ी को एक संदेश दिया है: अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें।’ मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से बात की। उन्होंने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘यह खुशी की बात है कि सब कुछ ठीक रहा। लालू जी ठीक हैं। डॉक्टरों ने भी कहा है कि वह ठीक हैं।’
रोहिणी के साहस और समर्पण की लालू यादव के सियासी विरोधी भी सराहना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तेजस्वी यादव को फोन कर उनके पिता और बहन का हालचाल लिया। मोदी ने उनसे कहा कि वह दोनों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। तेजस्वी यादव ने लालू का 14 सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने अपने सभी समर्थकों को अपने पिता के ठीक होने की प्रार्थना करने के लिए धन्यवाद दिया।
किडनी ट्रांसप्लांट ऊपर से जितना आसान दिखाई देता है, उससे कहीं ज्यादा जटिल और रिस्की होता है। किडनी लेने वाले और किडनी देने वाले, दोनों के लिए खतरा होता है। यही वजह है कि दोनों को कई तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है। हर किसी की किडनी हर किसी को ट्रांसप्लांट नहीं की जा सकती। सिंगापुर के जिस माउंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल में लालू का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, वह इस तरह के ऑपरेशन के लिए दुनिया के सबसे बेहतरीन अस्पतालों में से एक है।
मुझे याद है कि अमर सिंह का किडनी ट्रांसप्लांट यहीं हुआ था। इसकी प्रक्रिया काफी जटिल है। किडनी ट्रांसप्लांट से पहले मरीज की इम्युनिटी डाउन की जाती है ताकि शरीर फॉरेन एलिमेंट को स्वीकार कर सके। जब इम्युनिटी डाउन होती है तो इंफेक्शन से बचाने के लिए पेशेंट को कई हफ्तों तक पूरी तरह से आइसोलेशन में रखा जाता है। ट्रांसप्लांट के बाद भी लंबे अर्से तक इसी तरह आइसोलेशन में रखकर धीरे-धीरे इम्युनिटी बढ़ाई जाती है। किडनी डोनेट करने वाले को भी रिस्क और रिकवरी के फेज से गुजरना पड़ता है। इसीलिए रोहिणी की हिम्मत काबिल-ए-तारीफ है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि लालू जी जल्दी से स्वस्थ होकर घर लौटें और रोहिणी भी जल्दी ठीक होकर अपने परिवार के साथ रहे। वे दोनों दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें। लालू जी एक पब्लिक फिगर हैं। उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की चर्चा हर जगह हो रही है। रोहिणी ने जो मिसाल कायम की है उससे देश की उन सब बेटियों को प्रेरणा मिलेगी जो अपने माता-पिता की सेवा करती हैं, बीमारी में उनकी देखभाल करती है। इससे उन लोगों को भी जवाब मिलेगा जो कहते हैं कि बच्चे मां-बाप की परवाह नहीं करते। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 6 दिसंबर, 2022 का पूरा एपिसोड