Rajat Sharma's Blog | कोलकाता के अस्पताल में तांडव: ये वीडियो गेम नहीं है, एक डरावनी असलियत है
कल रात की घटना के बारे में कमिश्नर साहब कह रहे हैं कि डॉक्टरों को बचाने में पुलिस फोर्स ने जान लगा दी लेकिन जिन डॉक्टरों ने कल रात भीड़ के तांडव को देखा, उन्होंने कहा कि पुलिस तो कहीं थी ही नहीं।
स्वतंत्रता दिवस पर पश्चिम बंगाल से शर्मसार करने वाली तस्वीरें आईं। रेजिडेंट डॉक्टर की रेप और हत्या की बर्बर घटना के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों पर हमला हुआ। आर. जी. कर अस्पताल में तोड़फोड़ की गई। अस्पताल में मौजूद नर्सों और लेडी डॉक्टरों को रेप की धमकी दी गई। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया। हमला करने वाली भीड़ ने अस्पताल के उस सेमीनार हॉल में भी घुसने की कोशिश की, जहां रेजिडेंट डॉक्टर की लाश मिली थी। सैकड़ों की भीड़ ने रात के अंधेरे में हमला किया, एक घंटे से ज्यादा वक्त तक उत्पात मचाया और कोलकाता पुलिस मौके से भाग गई। पूरी घटना के वीडियो मौजूद हैं। दंगाइयों की सारी हरकतें कैमरे में क़ैद हैं। लेकिन अब तक किसी को ये नहीं मालूम कि हमला करने वाले कौन थे? उनका मक़सद क्या था? वे क्या चाहते थे? उन्हें किसने भेजा था? हालांकि अब कोलकाता पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन कोलकाता के पुलिस कमिश्नर ने कह दिया कि जो हुआ उसके लिए मीडिया जिम्मेदार है क्योंकि मीडिया ने डॉक्टर की हत्या के केस में कोलकाता पुलिस पर इल्जाम लगाए, मामले को इस तरह पेश किया जिससे लोगों में गुस्सा पैदा हुआ। यानी कोलकाता के पुलिस कमिश्नर कह रहे हैं कि दंगा करने वाले आम लोग थे, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ये राम और वाम का काम है। राम यानी बीजेपी और वाम यानी लेफ्ट पार्टी, जो बंगाल में अशांति और अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। बीजेपी के नेता इसे ममता की पार्टी की करतूत बता रहे हैं। कुल मिलाकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है लेकिन सवाल बहुत सारे हैं।
शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ये साफ तौर पर राज्य प्रशासन की मशीनरी की असफलता है। मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवज्ञानम ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि सात हजार लोगों की भीड़ अस्पताल के बाहर इकट्ठी है, और पुलिस के गुप्तचरों की इसकी खबर न हो। असल में कोलकाता में 14 अगस्त की रात डॉक्टर, नर्स और आम लोगों ने RECLAIM THE NIGHT के नाम से प्रोटेस्ट मार्च निकालने का एलान किया था। रात क़रीब 12 बजे जुलूस को R G मेडिकल कॉलेज से शुरू होकर श्याम बाज़ार तक जाना था। इस प्रोटेस्ट मार्च का मक़सद रात के वक्त को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की मांग करना था। प्रोटेस्ट मार्च शुरू होता, उससे पहले ही R. G. कर मेडिकल कॉलेज के बाहर बड़ी भीड़ जमा हो गई। लोग नारे लगाने लगे। इस भीड़ ने पहले तो प्रोटेस्टर्स का रास्ता रोक लिया, उनको आगे नहीं बढ़ने दिया। इसके बाद उसी भीड़ में से सैकड़ों लोग कॉलेज कैंपस में घुस गए, बैरीकेड तोड़कर दंगा करने वालों की भीड़ सीधे उस जगह पहुंची जहां प्रोटेस्ट कर रहे डॉक्टर्स का मंच था। दंगाईयों ने वहां जमकर तोड़-फोड़ की। वहां जो डॉक्टर इकट्ठे थे उन्हें इन ग़ुंडों के डर से जान बचाकर भागना पड़ा। दंगाई अस्पताल की मुख्य इमारत की तरफ़ बढ़े। उन्होंने ग्राउंड फ्लोर पर बने इमरजेंसी वॉर्ड में लोगों से मार-पीट शुरू कर दी। अस्पताल में दो इमरजेंसी वार्ड हैं, पुरूषों और महिलाओं के लिए। अस्पताल पर हमला करने वालों ने दोनों इमरजेंसी वार्ड्स को निशाना बनाया। वहां लगे मेडिकल उपकरणों को तोड़ डाला, MRI मशीन को बर्बाद कर दिया, कंप्यूटर को तहस-नहस कर दिया, मेज, कुर्सी, यहां तक की मरीजों की फाइलों को भी नहीं छोड़ा।
सैकड़ों लोगों की इस भीड़ को देखकर हॉस्पिटल स्टाफ़ सदमे में था। मौके पर करीब एक दर्जन पुलिस वाले थे लेकिन उन्होंने भीड़ को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। पुलिस वाले भीड़ के पीछे-पीछे दौड़ते दिखाई दिए। इमरजेंसी के बाद ये हमलावर मेडिसिन डिपार्टमेंट में घुस गए। वहां रखी दवाओं को उठाकर फेंक दिया। अस्पताल में हर जगह CCTV कैमरे लगे हैं। दंगाइयों को जो भी CCTV कैमरा दिखा, उन्होंने उसे तोड़ डाला। इसके बाद हमलावर फ़र्स्ट फ्लोर पर गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों के इलाज के लिए बने क्रिटिकल केयर यूनिट में गए। दंगाइयों ने CCU में घुसकर तोड़-फोड़ की। कुछ लोग डॉक्टर्स के चेंजिंग रूम में घुस गए, वहां रखे सामान उठाकर फेंक दिए। कर्मचारियों ने उपद्रवियों से अपनी जान बचाने के लिए हॉस्पिटल में जहां तहां छुपकर अपनी जान बचाई। अस्पताल में रात को जो कुछ हुआ, वो बहुत संगठित तरीके से हुआ। एक घंटे बाद जब ज्यादातर दंगाई भाग गए, तब पुलिस फोर्स पहुंची। आंसू गैस के गोले छोड़े। लेकिन पुलिस का ये एक्शन सांप भाग जाने के बाद लाठी पीटने जैसा था। दंगाई तो अपना काम करके भाग चुके थे। डॉक्टरों और नर्सों ने रात के हमले का जो ब्यौरा दिया, वो दिल दहलाने वाल है। सौ से ज़्यादा लोगों की भीड़ ने नर्सेज़ हॉस्टल पर हमला बोल दिया। नर्सों के साथ मारपीट की और ये धमकी दी कि आज तो सिर्फ तोड़-फोड़ कर जा रहे हैं, कल आएंगे और नर्सों का रेप करेंगे। कोलकाता पुलिस के कमिश्नर विनीत गोयल ने कहा कि मीडिया में पुलिस को बदनाम करने की मुहिम चलाई जा रही है। पुलिस कमिश्नर मीडिया पर आरोप लगा रहे हैं, पर वो ये भूल गए कि कोलकाता पुलिस पर सवाल हाईकोर्ट ने खड़े किए हैं। कोलकाता पुलिस की क्षमता और नीयत पर शक होने की वजह से केस CBI को दिया गया। मीडिया ने तो सिर्फ इसे रिपोर्ट किया।
कल रात की घटना के बारे में कमिश्नर साहब कह रहे हैं कि डॉक्टरों को बचाने में पुलिस फोर्स ने जान लगा दी लेकिन जिन डॉक्टरों ने कल रात भीड़ के तांडव को देखा, उन्होंने कहा कि पुलिस तो कहीं थी ही नहीं। डॉक्टरों ने इधर-उधर छुपकर अपनी जान बचाई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस, सीपीएम और बीजेपी के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। ममता ने कहा कि अस्पताल में जो हमला हुआ, वो वाम और राम का काम है, जो उनकी सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। ममता ने कहा, 'जो घटना घटी उसका वीडियो देखिए, फ्लैग दिखाई देगा और समझ में आ जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके उल्टा-पुल्टा वीडियो बना रहे हैं, झूठ को सच बताकर दिखाना चाहते हैं। इन पर विश्वास न करें। सोशल मीडिया पर ज्यादातर फेक वीडियो चल रहा है।' सोचिए उन माता-पिता पर क्या बीत रही होगी, जिनकी इकलौती होनहार बेटी को हैवानों ने मार डाला, उनकी बेटी की मौत सियासत का मुद्दा बन गई। और जो डॉक्टर बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं, उन्हें डराने के लिए, सबूतों को मिटाने के लिए हमले हो रहे हैं। मैं हैरान हूं जिस केस पर पूरे देश की निगाहें हैं, वहां अस्पताल में भीड़ घुसाकर सबूत नष्ट करने की कोशिश की गई। ये चौंकाने वाली है कि जिस केस की जांच में सबूत जुटाने में दरिंदों को सजा दिलाने में सबको जान लगा देनी चाहिए थी, वहां इस तरह की हरकत हुई।
ये घटना कई नए सवाल खड़े करती है। पहले तो बेकसूर लड़की के साथ वहशियाना हरकत हुई, फिर मौका-ए-वारदात में सबूतों को तहस-नहस करने की कोशिश की गई। इससे कोलकाता की पुलिस का मुंह काला हुआ है। क्या ये किसी बड़े आदमी को बचाने की कोशिश है? ये रहस्य बना हुआ है। वीभत्स रेप हुआ, निर्दयता से हत्या हुई, इसमें कई लोग शामिल थे। ये अब तथ्य है, सब जानते हैं। पर बहुत से सवालों के जवाब मिलना बाकी है। मैं सिलसिलेवार तरीके से कुछ बात आपके सामने रखना चाहता हूं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर बेटी के साथ बर्बरता रात 3 बजे से सुबह 5 बजे के बीच हुई पर बेटी के मां-बाप को काफी देर बाद सूचित किया गया। परिवार से ये क्यों कहा गया कि आपकी बेटी ने सुसाइड किया है? जब बदहवास मां-बाप अस्पताल पहुंचे, तो कई घंटे तक उन्हें बेटी की लाश नहीं देखने दी गई। क्या शुरू से ही लीपापोती करने की कोशिश थी? ये भी सब जानते हैं कि कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछताछ करने के बजाए उसे ट्रांसफर का सेफ पैसेज दिया गया। कोर्ट ने भी माना कि अगर जांच कोलकाता पुलिस के पास रहती तो सबूत मिटाए जाने का डर था। इतना सब कुछ होने के बाद जब केस CBI के पास आया तो भीड़ को अस्पताल में घुसने दिया गया। क्राइम सीन को तहस-नहस करने दिया गया। सवाल ये है कि भीड़ को मौका किसने दिया? पुलिस उस जगह से क्यों भागी? मैं फिर पूछता हूं, क्या ये किसी बड़े आदमी को बचाने की साजिश है? इस बात का कोई मतलब नहीं है कि कौन सा वीडियो फेक है, कहां AI का इस्तेमाल करके उल्टा-पुल्टा वीडियो बना। ऐसी बातें मामले को और जटिल बनाती हैं। अस्पताल में तोड़फोड़ की गई, वो कोई वीडियो गेम नहीं है। वो असलियत है और इसके सच जब सामने आएंगे तो बहुत सारे राज़ खुलेंगे। इसीलिए ये सच सामने आने ही चाहिए। (रजत शर्मा)
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