Rajat Sharma's Blog | कश्मीर में वोट: शरणार्थियों का सपना पूरा हुआ
जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इस बार का चुनाव वहां आए बदलाव का सबूत है। वहां बसे शरणार्थियों के लिए खुशियों की सौगात है जिसे उन्होंने अपनी उंगली पर लगी स्याही में महसूस किया।
मैं पिछले 40 साल से जम्मू कश्मीर के चुनावों को देख रहा हूं। मंगलवार को पहली बार देखा, जम्मू कश्मीर में वोटिंग के दिन पोलिंग बूथ के बाहर ढोल नगाड़े बज रहे थे। पहली बार देखा कि लोग नाचते-गाते वोट डालने पहुंचे। पोलिंग के दिन ऐसी तस्वीरें जम्मू कश्मीर में पहले कभी दिखाई नहीं दी। मुझे याद है सिर्फ सात साल पहले, 2017 में, श्रीनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव था। फारूक़ अब्दुल्ला मैदान में थे. वोटर्स लिस्ट में 12 लाख 61 हजार 315 लोगों के नाम थे लेकिन पोलिंग बूथ तक सिर्फ सात प्रतिशत वोटर ही पहुंचे। फारूक़ अब्दुल्ला को कुल 48 हजार वोट मिले और वह जीत गए। लेकिन मंगलवार को उसी जम्मू कश्मीर में तीसरे चरण की वोटिंग में 65.65 प्रतिशत मतदान हुआ। ये जम्मू कश्मीर में आए बदलाव का सबूत है। जो लोग बंटवारे के वक्त अपना सब कुछ छोड़कर जम्मू कश्मीर में जाकर बस गए थे, जिन्हें 75 साल तक “पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी” कहा जाता रहा। लेकिन ये लोग 1947 में जिस इलाके से आए थे, वो तो उस वक्त हिन्दुस्तान था। लेकिन फिर भी 22 हजार परिवारों को 75 साल तक अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा। 75 साल से आर्टिकल 370 के कारण पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्छियों, गोरखा समुदाय और वाल्मीकि समाज के लोगों को विधानसभा और संसद के चुनावों में वोट डालने का हक़ नहीं दिया गया। ये लोग केवल ब्लॉक विकास परिषद और जिला विकास परिषद के चुनावों में ही वोट डाल सकते थे। तीन-चार पीढ़ियां इस इंतजार में गुज़र गईं कि उन्हें एक-न-एक दिन भारतीय होने और कश्मीरी कहलाने का हक़ हासिल होगा। इस हक़ को आज उन्होंने अपनी उंगली पर लगी स्याही में महसूस किया।
महिलाओं के चेहरे पर वोट डालने की खुशी, उनकी आंखों में प्रसन्नता के आंसू देखकर एहसास हुआ कि इन लोगों के लिए आर्टिकल 370 हटाए जाने का मतलब क्या है। आज हम उनकी खुशी का अंदाज़ा तो लगा सकते हैं, लेकिन उस दर्द को कभी महसूस नहीं कर पाएंगे जो उन्होंने आर्टिकिल 370 के कारण 75 साल तक झेला। आज इन लोगों को पहली बार वोट देने का हक़ मिला। इसीलिए पूरे परिवार ने शत प्रतिशत लोगों ने वोटिंग की और खुलकर कहा कि मोदी को वोट देंगे क्योंकि मोदी ने ही वोट देने का हक़ दिया है। इन लोगों में इस बात की नाराजगी है कि नेशनल कॉन्फ्रैंस फिर से आर्टिकल 370 को वापस लाने की कसम खा रही है और कांग्रेस उसका समर्थन कर रही है। इसी बात को बीजेपी ने चुनावी मुद्दा बनाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा की रैली में इसी मुद्दे को उठाते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता आर्टिकल 370 वापस लाने की बात तो चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं लेकिन कभी उनके मुंह से ये नहीं निकलता कि पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर को भी वापस लाना है। (रजत शर्मा)
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