Rajat Sharma's Blog | भारत-पाकिस्तान: रिश्ते सुधारने हैं तो आतंकवाद रोको
सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, सज्जाद गुल अपने तीन साथियों, सलीम रहमानी, सैफुल्लाह साजिद जट और बसित अहमद डार के साथ मिलकर काफ़ी दिनों से गांदरबल इलाक़े की रेकी कर रहा था।
जम्मू एवं कश्मीर में नई सरकार बनने के सौ घंटे के भीतर आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग करके सात बेकसूर लोगों की हत्या कर दी। दहशतगर्दों ने रात के अंधेरे में उस कैंप को निशाना बनाया, जिसमें प्रवासी मज़दूर रहते हैं। इस हमले में आतंकवादियों की गोलियों के शिकार हुए लोगों में पंजाब, मध्य प्रदेश और बिहार को लोग शामिल हैं। कश्मीर घाटी के एक डॉक्टर शाहनवाज़ डार की भी मौत हुई है जो इस कैंप में मज़दूरों की देखभाल के लिए रोज़ जाते थे। इस हमले की ज़िम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट नामक पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ने ली है। ये लश्कर-ए-तैयबा का बदला हुआ नाम है। जो हमला हुआ उसे दो से तीन पाकिस्तानी दहशतगर्दों ने अंजाम दिया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि हमला करने वाले ज्यादा वक्त तक ज़िंदा नहीं रहेंगे, सुरक्षा बल के जवान बेगुनाहों का खून बहाने वालों को उनके अंजाम तक पहुंचाएंगे। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दहशतगर्दों को जम्मू कश्मीर की जनता ने चुनाव में जवाब दे दिया है, लोग विकास चाहते हैं और वो किसी कीमत पर विकास के कामों पर ब्रेक नहीं लगने देंगे। डॉ. फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने सीधे-सीधे पाकिस्तान को संदेश दिया, कहा कि पाकिस्तान को इस तरह की हरकतें नहीं करनी चाहिए वरना उसे अंजाम भुगतना पड़ेगा। अब इस मामले की जांच NIA ने शुरू कर दी है।
हमले के पीछे TRF के चीफ शेख़ सज्जाद गुल का हाथ बताया जा रहा है। सज्जाद गुल पर NIA ने 2022 में दस लाख रुपये का इनाम रखा था। सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, सज्जाद गुल अपने तीन साथियों, सलीम रहमानी, सैफुल्लाह साजिद जट और बसित अहमद डार के साथ मिलकर काफ़ी दिनों से गांदरबल इलाक़े की रेकी कर रहा था। वो किसी बड़े हमले को अंजाम देकर शोहरत बटोरना चाहता था और ये हमला इसी मक़सद से किया गया। पिछले एक साल के दौरान जम्मू कश्मीर में आंतकवादियों ने छिटपुट हमले किए थे। बिहार और यूपी के मजदूरों को अलग-अलग घटनाओं में निशाना बनाया गया था। जून में एक बस पर हमला करके नौ लोगों की हत्या की थी, लेकिन इस तरह किसी बड़ी परियोजना में लगे प्रवासी मजदूरों के कैंप पर घात लगाकर हमला बारह साल के बाद हुआ है। इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में जम्हूरियत की जीत से बौखलाया हुआ है। जम्मू कश्मीर में जो विकास हो रहा है, रेल, सड़क, पुल, टनल्स बनाई जा रही है, इन प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम हो रहा है। विकास की इस रफ़्तार को पाकिस्तान रोकना चाहता है। इसीलिए मजदूरों को डराने की नीयत से ये हमला किया गया।
पाकिस्तान को अपनी नापाक हरकत की क़ीमत चुकानी पड़ेगी। अभी तीन दिन पहले पाकिस्तान में मियां नवाज शरीफ भारत से दोस्ती की बात कर रहे थे। वो इमरान खान की ग़लतियों की याद दिला रहे थे लेकिन नवाज़ शरीफ को ये समझना पड़ेगा जब तक पाकिस्तान की फौज भारत में दहशतगर्द भेजना बंद नहीं करती, जब तक ISI आतंकवादियों को पनाह, पैसा और ट्रेनिंग देना बंद नहीं करती, तब तक भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। (रजत शर्मा)
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