Rajat Sharma's Blog | हिमाचल : कांग्रेस आला कमान के सामने ‘इधर कुआं, उधर खाई’ वाला हाल
अगर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को नहीं बदला तो विक्रमादित्य सिंह का गुट फिर नाराज हो जाएगा। अगर मुख्यमंत्री बदल दिया तो सुक्खू के समर्थक विधायक आंखें दिखाएंगे।
इस वक्त शिमला में ज़बरदस्त सियासी हलचल है। कांग्रेस अपनी सरकार बचाने की जीतोड़ कोशिश कर रही है। हालात को संभालने के लिए भूपेन्दर हुड्डा, भूपेश बघेल और डी. के. शिवकुमार शिमला में कांग्रेस के नेताओं से बात कर रहे हैं। कांग्रेस के सभी खेमों ने अपने अपने पत्ते चल दिए हैं और बीजेपी फिलहाल इंतज़ार करो और देखो की मुद्रा में है। राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग करने वाले छह बागी कांग्रेस विधायकों की सदस्यता को विधानसभा के स्पीकर ने समाप्त कर दिया। स्पीकर ने उन्हें पार्टी के व्हिप का पालन न करने के कारण सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया। बुधवार को बीजेपी के 15 विधायकों को स्पीकर ने सस्पेंड कर दिया, फिर विपक्ष की गैरमौजूदगी में सुखविन्दर सिंह सुक्खू की सरकार ने बजट पास करवा लिया और विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इसका मतलब ये हुआ कि फिलहाल सुक्खू की सरकार बच गई है लेकिन अब हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने सीधा मोर्चा खोल दिया है। विक्रमादित्य सिंह ने सुक्खू की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। विक्रमादित्य सिंह ने इल्जाम लगाया कि सुक्खू की सरकार में उनकी सुनी नहीं जाती। उनके पिता वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित करने के लिए शिमला के मॉल में दो गज जमीन तक नहीं दी गई, कांग्रेस के सीनियर और जनाधार वाले विधायकों को किनारे कर दिया गया, इसलिए जो राज्यसभा के चुनाव में जो हुआ, वो हैरान करने वाला नहीं हैं।
हालांकि विक्रामदित्य सिंह ने साफ-साफ नहीं कहा, लेकिन वह चाहते हैं कि अब हाईकमान उनकी मां प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाए लेकिन उन्होंने प्रेक्षकों से बात करने के बाद इतना जरूर कह दिया कि उन्होंने इस्तीफा वापस नहीं लिया लेकिन फाइनल फैसला होने तक वो अपने इस्तीफे पर जोर नहीं डालेंगे। गुरुवार को मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपने घर पर विधायकों को बुलाया लेकिन प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह उस बैठक में नहीं गये। विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया, फिलहाल वो हाईकमान के फैसले का इंतजार करेंगे क्योंकि हाईकमान के सामने अब सारी स्थिति साफ है। हाईकमान के फैसले के बाद वो आगे की रणनीति बताएंगे। अब कांग्रेस के प्रेक्षकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों गुटों के बीच मतभेद दूर करने की है। दूसरी तरफ बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू है। 68 सदस्यों वाली विधानसभा में 43 विधायकों वाली कांग्रेस अपने उम्मीदवार को नहीं जिता पाई, 25 विधायकों वाली बीजेपी ने अपने उम्मीदवार को जिता लिया, इसलिए बीजेपी के नेता खुश हैं। कांग्रेस के ज्यादातर नेता इसलिए खुश हैं कि राज्यसभा की सीट गई सो गई, कम से कम सरकार तो बच गई, लेकिन आगे की राह आसान नहीं है। ये सही है कि कांग्रेस के छह बागी विधायकों के अयोग्य ठहराये जाने से विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 32 हो गया है और कांग्रेस के पास अभी 34 विधायक हैं। इसलिए फिलहाल सरकार को कोई खतरा नहीं दिख रहा है। लेकिन अगर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को नहीं बदला तो विक्रमादित्य सिंह का गुट फिर नाराज हो जाएगा। अगर मुख्यमंत्री बदल दिया तो सुक्खू के समर्थक विधायक आंखें दिखाएंगे। इसलिए कांग्रेस आला कमान के लिए इधर कुंआ, उधर खाई वाली स्थिति है। (रजत शर्मा)
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