Rajat Sharma's Blog : सीटों को लेकर विरोधी दलों में कन्फ्यूज़न
अखिलेश के लिए ये चुनाव अस्तित्व का सवाल है। हालांकि वो आज़म खान की बात सुनते हैं लेकिन रामपुर से चुनाव लड़ने की बात नहीं मानी, इसीलिए इतना कन्फ्यूजन पैदा हुआ।
बुधवार 27 मार्च लोक सभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था, लेकिन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में विरोधी दलों के बीच सीटों और उम्मीदवारी को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पहले चरण में यूपी की आठ सीटों पर वोटिंग होनी है। इनमें से रामपुर और मुरादाबाद की दो सीटों पर ज़बरदस्त सिय़ासी ड्रामा हुआ। अखिलेश यादव ने मुरादाबाद सीट पर अखिरी वक्त में उम्मीदवार बदल दिया। सांसद एस टी हसन ने मंगलवार को नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बुधवार को अखिलेश यादव ने रूचि वीरा को पार्टी का चुनाव निशान देकर मुरादाबाद भेज दिया। उन्होंने भी नामांकन भर दिया। अब समाजवादी पार्टी के निशान पर दो दावेदार हो गए। हालांकि शाम को समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया कि रूचि वीरा ही अधिकृत उम्मीदवार होंगी। इसी तरह रामपुर में पहले आसिम रज़ा के चुनाव लड़ने की उम्मीद थी, वो तैयारी कर रहे थे, लेकिन बुधवार को आसिम रज़ा और रामपुर में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव के बाईकॉट करने का एलान तक कर दिया था। बुधवार को आखिरी वक्त में जैसे ही समाजवादी पार्टी ने मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को नामांकन दाखिल करने के लिए भेजा तो आसिम रज़ा ने भी पर्चा भर दिया। अब रामपुर में भी समाजवादी पार्टी के दो उम्मीदवार मैदान में हैं। रामपुर और मुरादाबाद दोनों सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता कन्फ्यूज़्ड हैं। सवाल है कि ये कन्फ्यूजन किसने पैदा किया? क्या इसमें जेल में बंद आजम खां का रोल है? क्या आजम खां के इशारे पर ये संकट पैदा हुआ?
पहले मुरादाबाद की बात करते हैं। ढोल नगाड़ों के साथ एस टी हसन ने मंगलवार को पर्चा भरा था, जीत के दावे किए थे। चूंकि एस टी हसन मुरादाबाद से सांसद हैं, लेकिन इसके बाद भी अखिलेश यादव ने उनका टिकट लटकाए रखा, देर से टिकट दिया। एस टी हसन ने पर्चा भर दिया लेकिन रात में खेल हो गया। देर रात ये खबर आई कि मुरादाबाद से एस टी हसन का टिकट कट गया है। अब पूर्व विधायक रूचि वीरा समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ेंगी। इस बीच रुचि वीरा लखनऊ से मुरादाबाद पहुंच गईं लेकिन रुचि के मुरादाबाद पहुंचते ही एस टी हसन के समर्थकों ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद अखिलेश यादव ने चार्टर्ड प्लेन से नरेश उत्तम और समाजवादी पार्टी के दूसरे नेताओं को मुरादाबाद भेजा ताकि हालात को काबू में रख सकें। रूचि वीरा मुरादाबाद में पर्चा भरने पहुंच गई, उनके साथ गिने चुने लोग थे, नारा लगाने वाले और पार्टी का झंडा उठाने वाले लोग भी नहीं थे। रूचि वीरा ने वक्त खत्म होने से पहले पर्चा भर दिया, समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान वाला फॉर्म बी जमा कराया। पता ये चला कि एस टी हसन का पत्ता आजम खां के कहने पर कटा है। आजम खां सीतापुर जेल में बंद हैं लेकिन अखिलेश यादव को लगता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम मतदाताओं पर अभी भी आजम खां का जबरदस्त असर है। आजम खां जेल में रहकर भी चुनावी समीकरण बना और बिगाड़ सकते हैं। इसीलिए अखिलेश यादव पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर टिकटों के बंटवारे पर राय लेने के लिए सीतापुर जेल में आजम खां से मिले थे। आजम खां ने ही मुरादाबाद सीट पर एस टी हसन की जगह रूचि वीरा के नाम का सुझाव दिया जिसे अखिलेश ने मान लिया और रातों रात हसन का टिकट काट दिया। समाजवादी पार्टी के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता जानते हैं कि रूचि वीरा आजम खां की करीबी हैं, रुचि वीरा बिजनौर से सपा के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। ये तो कोई नहीं मानेगा कि रूचि वीरा एस टी हसन के मुकाबले बड़ी नेता हैं, उन्हें आजम खां की पैरवी पर ही अखिलेश यादव ने टिकट दिया। बाद में हसन ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम ये फैसला कैसे हुआ, किसके कहने पर हुआ और उन्हें बताने की भी जरूरत नहीं समझी गई। हसन ने बड़ी महीन सियासी बात कही। उन्होंने कहा कि पूरा हिन्दुस्तान जानता है आजादी के बाद से अब तक जितने चुनाव हुए, उनमें एक बार छोड़कर मुरादाबाद से हर बार मुसलमान उम्मीदवार ही चुनाव जीता है।
रामपुर में दिल्ली के संसद मार्ग मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और आसिम रज़ा दोनों सपा की उम्मीदवारी का दावा कर रहे हैं। मौलाना को मंगलवार रात लखनऊ से आदेश मिला कि रामपुर पहुंचिए, रामपुर से पर्चा भरना है। मौलाना नदवी रामपुर के रहने वाले हैं लेकिन दिल्ली में पिछले 15 साल से रह रहे हैं। बुधवार को मौलाना ने पर्चा भर दिया। मौलाना नदवी ने कहा कि उनका नाम खुद अखिलेश यादव ने फाइनल किया है, उन्हीं के कहने पर उन्होंने अपना पर्चा भरा है। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार वही हैं। इसके तुरंत बाद आजम खां के करीबी आसिम रज़ा भी पर्चा भरने पहुंच गए। उन्होंने भी पर्चा दाखिल कर दिया। अब फैसला तीस मार्च को पर्चा वापिस लेने के अंतिम दिन होगा कि कौन सपा का असली उम्मीदवार है। इस बात में कोई शक नहीं कि रामपुर पर एक लंबे अर्से तक आजम खान का कब्जा रहा है, वो रामपुर के चप्पे-चप्पे को जानते हैं। यहां के बच्चे-बच्चे को पहचानते हैं लेकिन अब मजबूर हैं। जेल में बंद हैं। उन पर सैंकड़ों केस हैं। योगी आदित्यनाथ ने रामपुर में उनका दबदबा खत्म कर दिया। रामपुर में आज़म खान के उम्मीदवारों को हरा दिया पर आज़म खान आसानी से हार मानने वालों में नहीं हैं। वो जेल में रहकर भी इस इलाके की सियासत पर खासा असर डाल सकते हैं। उनका ये सुझाव कि रामपुर से अखिलेश को लड़ना चाहिए, अच्छा था लेकिन अखिलेश इन चुनावों में एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। अखिलेश के लिए ये चुनाव अस्तित्व का सवाल है। हालांकि वो आज़म खान की बात सुनते हैं लेकिन रामपुर से चुनाव लड़ने की बात नहीं मानी, इसीलिए इतना कन्फ्यूजन पैदा हुआ। दूसरी तरफ बीजेपी ने जबरदस्त चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ, मथुरा, गाजियबाद में प्रचार कर रहे हैं। 30 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरठ से बीजेपी के चुनाव प्रचार का प्रारम्भ करेंगे।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में भी मोदी-विरोधी मोर्चा बिखरता हुआ दिखाई दे रहा है। बुधवार को महाविकास अघाड़ी को पहला झटका प्रकाश आंबेडकर ने दिया। उन्होंने अलग चुनाव लड़ने का एलान कर दिया और 8 सीटों पर वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी। इसके बाद दूसरा झटका राजू शेट्टी ने दिया और कहा कि उनका स्वाभिमानी शेतकारी संगठन महाविकास अघाड़ी का हिस्सा नहीं बनेगा। वो भी अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद सबसे जोर का झटका उद्धव ठाकरे ने दिया। उद्धव ने 17 सीटों पर अपनी पार्टी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में कई ऐसी सीटें हैं जिन पर शरद पवार की पार्टी और कांग्रेस भी दावा कर रही हैं। अभी तीनों पार्टियों में बात चल रही है लेकिन उद्धव ने फैसले होने का इंतजार नहीं किया, बिना किसी से बात किए अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए। जिन सीटों पर उद्धव ने उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें सांगली, नॉर्थ वेस्ट मुंबई और साउथ सेंट्रल मुंबई की सीट भी है। सांगली सीट से कांग्रेस वसंतदादा पाटिल के पोते विशाल पाटिल को उतारना चाहती थी लेकिन उद्धव के गुट ने चंद्रहार पाटिल का नाम घोषित कर दिया। साउथ सेंट्रल मुंबई सीट से कांग्रेस वर्षा गायकवाड़ को लड़ाना चाहती थी लेकिन उद्धव ने अनिल देसाई को टिकट दे दिया। मुंबई नॉर्थ वेस्ट सीट से कांग्रेस के संजय निरूपम दावेदारी कर रहे थे लेकिन उद्धव ने यहां अमोल कीर्तिकर को टिकट दे दिया। लिस्ट जारी करने के बाद संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस भी अपने दस उम्मीदवारों के नाम जारी कर चुकी थी। ऐसे में अगर उद्धव टाकरे ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी, तो कौन-सा गुनाह कर दिया? जैसे ही उद्धव की पार्टी की लिस्ट जारी हुई, सबसे पहले कांग्रेस के नेताओं ने ही नाराजगी जाहिर की। बाला साहब थोरात ने कहा कि जब बातचीत चल रही है, कोई फॉर्मूला नहीं निकला है, कुछ सीटों पर बात अटकी है, तो ऐसे में एकतरफा उम्मीदवारों का एलान ठीक नहीं हैं। बाला साहब थोरात ने कहा कि सांगली और मुंबई की सीटों पर उम्मीदवार का एलान करने से पहले उद्धव की पार्टी को कम से कम कांग्रेस के नेताओं को बताना तो चाहिए था। थोरात ने कहा कि इन सीटों पर कांग्रेस ने अपना दावा छोड़ा नहीं था, फिर बिना बताए उम्मीदवारों का एलान करना ठीक नहीं है, ये गठबंधन धर्म के खिलाफ है, उद्धव को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। उद्धव की पार्टी के सांसद अरविन्द सावंत से संजय निरूपम के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कौन संजय निरूपम? फिर प्रियंका चतुर्वेदी ने भी यही कहा कि संजय निरूपम हैं क्या? उनके पास कांग्रेस में कौन सा पद है? वो किस हैसियत से बोल रहे हैं? उनकी बातों का कोई मतलब नहीं है। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि संजय निरूपम की भाषा बता रही है कि वो बीजेपी में जाने की तैयारी कर चुके हैं। बड़ी बात ये है कि अब तक उद्धव ठाकरे और कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने की कोशिश कर रहे शरद पवार भी उद्धव के कदम से नाराज हैं क्योंकि उद्धव ने उन सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया जिन पर शरद पवार की पार्टी दावा कर रही थी। मुंबई नॉर्थ ईस्ट पर शरद पवार की दावेदारी थी लेकिन उद्धव ने संजय दीना पाटिल को टिकट दे दिया। इसके विरोध में शरद पवार की एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। पवार ने कहा कि शिवसेना को गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए था, बिना बातचीत एकतरफा एलान करने से बचना चाहिए था, अच्छा होता तीनों पार्टियां एक साथ मिलकर उम्मीदवारों की घोषणा करते। महाविकास अघाड़ी के अलायंस में बयानबाजी कमाल की है। उद्धव ठाकरे ने सीटों का एकतरफा एलान कर दिया। सहयोगी दल हैरान हैं पर संजय राउत कह रहे हैं कि जो हुआ, सबकी रज़ामंदी से हुआ। कांग्रेस की तरफ से संजय निरूपम ने सीटों के एलान पर नाराज़गी जताई तो शिवसेना के लोग कह रहे हैं कि संजय निरूपम होते कौन हैं? कांग्रेस मुंबई की सीटों की घोषणा को जल्दबाजी बता रही है तो संजय राउत कह रहे हैं कि अब हम नॉर्थ मुंबई सीट के उम्मीदवार का भी एलान कर देंगे। शरद पवार परेशान हैं कि उद्धव सेना ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया लेकिन अनिल देसाई कह रहे हैं हम एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करते हैं। मलतब साफ है - इस गठबंधन के नेता करते कुछ और हैं और कहते कुछ और हैं।
बिहार
मोदी-विरोधी मोर्चे का जो हाल महाराष्ट्र में है, वही बिहार में दिख रहा है। यहां भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है लेकिन तेजस्वी यादव ने अपने उम्मीदवारों को टिकट बांटना शुरू कर दिया है। पांच दिन पहले जेडी-यू छोड़ कर आरजेडी में शामिल बीमा भारती ने कहा कि लालू यादव ने उन्हें पूर्णिया से चुनाव लड़ने को कहा है। पूर्णिया सीट पर पप्पू यादव दावा कर रहे हैं। पूर्णिया से चुनाव लड़ने के चक्कर में उन्होंने अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय तक करा दिया लेकिन RJD ने बीमा भारती को मैदान में उतारने का इकतरफा फैसला कर लिया। गुरुवार को पप्पू यादव ने कहा कि मैं आत्महत्या तक कर लूंगा लेकिन पूर्णिया छोड़ कर कहीं से नहीं लडूंगा। पप्पू यादव ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर अंतिम फैसला छोड़ दिया। पूर्णिया सीट को पप्पू यादव ने प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है। लेकिन RJD और कांग्रेस के बीच कई और सीटों पर भी टकराव है। दरअसल RJD शुरू में कांग्रेस को बिहार में केवल 6 सीटें देना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने पहले 15 सीटें मांगीं और बाद में कहा कि कम से कम 9 सीटें तो चाहिए ही। दिल्ली में मंगलवार को तेजस्वी यादव कांग्रेस के नेताओं से मिले थे कांग्रेस को कुल 8 सीटें - भागलपुर, मुज़फ़्फ़रपुर, बेतिया, सासाराम, किशनगंज, कटिहार, पटना साहिब और समस्तीपुर दोने को तौयार हो गए। लेकिन कांग्रेस पूर्णिया, औरंगाबाद और बेगूसराय पर भी दावा कर रही है। मुश्किल ये है कि इनमें से बेगूसराय सीट RJD ने पहले ही सीपीआई को दे दी है। बेगूसराय से कांग्रेस कन्हैया कुमार को उतारना चाहती थी। कन्हैया कुमार पिछले चुनाव में बेगूसराय से CPI के टिकट पर लड़े थे, हारे थे, फिर कांग्रेस में शामिल हो गए, लेकिन अब CPI कन्हैया कुमार के लिए ये सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसी तरह औरंगाबाद सीट पर भी RJD ने अभय कुशवाहा को अपना चुनाव निशान दे दिया है, जबकि कांग्रेस की दावेदारी इस सीट पर भी है। इसीलिए झगड़ा बढ़ रहा है और अब आसानी से सुलझेगा, इसकी उम्मीद कम है। (रजत शर्मा)
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