Rajat Sharma's Blog: एक खालिस्तान समर्थक पर चन्नी की टिप्पणी कभी स्वीकार्य नहीं
चन्नी कांग्रेस में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के विश्वासपात्र हैं। सोनिया गांधी ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह को हटाकर चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया था। चन्नी की अगुआई में कांग्रेस विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारी। इसके बाद भी राहुल गांधी ने चन्नी को पार्टी के नेताओं के विरोध के बाद भी जालंधर से टिकट दिया। वो पहली बार च
संसद में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और जालंधर से कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का समर्थन करके अपनी पार्टी को खासी परेशानी में डाल दिया, सबको चौंका दिया। चन्नी ने कहा कि अमृतपाल सिंह को जेल में रखना, उसके बोलने पर पांबदी लगाने की कोशिश करना, संविधान के खिलाफ है। चन्नी ने कहा कि देश में अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात हैं, लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी अमृतपाल सिंह को जेल में रखा जा रहा है, उसे संसद में आने से रोका जा रहा है, ये जनादेश का अपमान है। अमृतपाल सिंह पिछले एक साल से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है क्योंकि उसने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोशिश की, अजनाला थाने पर हमला किया, अलग खालिस्तान की मांग उठाई, हथियारों के साथ पुलिस फोर्स पर हमला बोला। अमृतपाल सिंह के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) समेत तमाम संगीन धाराओं में 12 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। वो खुलेआम खालिस्तान की बात करता है, लोगों को भड़काता है। इसके बाद भी चन्नी ने खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की संसद में खड़े होकर हिमायत की। इस पर बीजेपी ने कांग्रेस से सवाल पूछे और इसपर कांग्रेस के नेताओं का जवाब देना मुश्किल हो गया। शाम को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक वाक्य का ये बयान जारी किया कि चन्नी ने अमृतपाल सिंह के बारे में जो कुछ कहा है, वो उनकी निजी राय है और ये कांग्रेस पार्टी का स्टैंड नहीं है।
चन्नी ने एक नहीं बल्कि कई विवाद खड़े किए। उन्होंने इल्जाम लगा दिया कि सरकार ने किसानों के खिलाफ NSA लगा उन्हें जेल में डाल दिया, लेकिन जब उनसे किसानों के नाम बताने को कहा गया तो चन्नी के पास जवाब नहीं था। इसके बाद चन्नी की केन्द्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से तीखी झड़प हो गई। दरअसल लोकसभा में बजट पर चर्चा हो रही थी। चन्नी बजट को गरीब विरोधी, किसान विरोधी, पंजाब विरोधी बता रहे थे। यहां तक तो ठीक था लेकिन इसके बाद चन्नी बहक गए। पहले उन्होंने कहा कि सरकार ने एजेंसियों को विरोधी दलों के नेताओं के पीछे लगा दिया, देश में अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात हैं और अपनी बात को साबित करने के लिए चन्नी ने अमृतपाल सिंह का जिक्र कर दिया। चन्नी ने कहा कि ये भी तो इमरजेंसी है कि जिस व्यक्ति को चार लाख लोगों ने चुना, उसको NSA लगाकर जेल में रखा गया, उसके बोलने की आजादी छीनी गई । जैसे ही चन्नी ने खालिस्तानी अमृतपाल सिंह का समर्थन किया, तो कांग्रेस के नेता उनका मुंह ताकते रह गए लेकिन चन्नी रुके नहीं। चन्नी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को लेकर गलत कमेंट किया। बेअंत सिंह की हत्या खालिस्तानी आतंकवादियों ने 1995 में उस वक्त की थी, जब वो पंजाब के मुख्यमंत्री थे। बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू पहले कांग्रेस में थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गये , चुनाव हार गए, लेकिन अब केन्द्र सरकार में मंत्री हैं। जब चन्नी ने मोदी सरकार की तुलना अंग्रेजों की हुकूमत से की, तो बिट्टू ने इसका विरोध किया। इससे नाराज चन्नी ने बिट्टू पर उनके दादा बेअंत सिंह की शहादत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की, इसके बाद सदन में हंगामा हो गया और कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। बिट्टू ने जबाव देने में देर नहीं की। बिट्टू ने भी चन्नी को पंजाब का सबसे भ्रष्ट नेता बताया।
बीजेपी ने खालिस्तानी अमृतपाल के समर्थन को बड़ा मुद्दा बना दिया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पूछा, क्या कांग्रेस के नेता ये भूल गए कि इंदिरा गांधी की हत्या खालिस्तानियों ने की थी? क्या खालिस्तानियों को लेकर अब कांग्रेस का स्टैंड बदल गया है? कांग्रेस के नेता चरणजीत सिंह चन्नी के बयान से कन्नी काट रहे हैं, कोई उनके बयान को उनकी निजी राय बताकर किनारा कर रहा है, तो कोई कह रहा है कि उन्होंने चन्नी की बात सुनी ही नहीं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि चन्नी को जो बोलना था, बोल दिया, लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस का यही स्टैंड है? ये बात कांग्रेस पार्टी को साफ करनी चाहिए।
सवाल है कि चरणजीत सिंह चन्नी ने अमृतपाल का समर्थन क्यों किया? ये समझने के लिए इन दोनों की पृष्ठभूमि समझना जरूरी है। पिछला लोकसभा चुनाव अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब से करीब दो लाख मतों के अन्तर से जीता। कांग्रेस को हराया और आम आदमी पार्टी और अकाली उम्मीदवारों के तीसरे और चौथे स्थान पर पहुंचा दिया। इस जीत ने पंजाब के लोगों को चौंका दिया क्योंकि वो साल भर पहले विदेश से भारत आया था और अचानक उसने पंजाब में हथियार उठा लिए। पूरे देश ने टीवी पर देखा कि पिछले साल 18 मार्च को अमृतपाल ने सरेआम हथियारों से लैस होकर अपने समर्थकों के साथ अजनाला थाने पर हमला किया। अमृतपाल पर पंजाब में आर्म्स एक्ट की धाराओं में 7 मामले दर्ज हुए थे। फिर उसने खुलकर खालिस्तान की मांग का समर्थन किया। उस पर देशद्रोह के आरोप लगे, पंजाब की पूरी पुलिस फोर्स उसे ढूंढती रही, एक महीने की तलाशी के बाद वो पकड़ा गया। उस वक्त उसका विदेशों में बैठे खालिस्तानियों ने समर्थन किया, भारत सरकार के खिलाफ धमकियों भरे वीडियो जारी किए। अमृतपाल पिछले एक साल से असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। उसके खिलाफ NSA लगाया गया है। इस पृष्ठभूमि की वजह से पंजाब में मुख्यधारा वाली कोई राजनीतिक पार्टी अमृतपाल का समर्थन नहीं करती और ना ही उसकी गिरफ्तारी पर किसी ने सवाल उठाए। इसीलिए जब चन्नी ने संसद में अमृतपाल के प्रति सहानुभूति जाहिर की तो सब चौंक गए।
अब चन्नी की पृष्ठभूमि को समझें। चन्नी कांग्रेस में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के विश्वासपात्र हैं। सोनिया गांधी ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह को हटाकर चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया था। चन्नी की अगुआई में कांग्रेस विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारी। इसके बाद भी राहुल गांधी ने चन्नी को पार्टी के नेताओं के विरोध के बाद भी जालंधर से टिकट दिया। वो पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा के सदस्य बने। इसीलिए अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या खालिस्तानियों को लेकर कांग्रेस का स्टैंड बदल गया है? पंजाब में मैंने आंतकवादियों के तांडव देखा है। पंजाब के आंतकवाद को मैंने एक रिपोर्टर के तौर पर कवर किया है। इसीलिए मुझे हैरानी हुई कि चन्नी आतंकवाद के उस दौर को कैसे भूल गए? वो कैसे भूल गए कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पंजाब के आतंकवाद का नतीजा थी। सरदार बेअंत सिंह को भी आतंकवादियों ने मारा था। पंजाब को आतंकवाद के दौर से निकालने के लिए हमारी सशस्त्र सेनाओं के हजारों जवानों ने कुर्बानियां दीं। इसीलिए कोई भी अगर पंजाब को उस खतरनाक दौर में ले जाने की कोशिश करेगा तो पूरा देश मिलकर उसका विरोध करेगा। मुझे लगता है चन्नी ने जो कहा, उससे कांग्रेस सहमत नहीं होगी। ये कांग्रेस की सोच नहीं हो सकती। हालांकि आज ऐसा लगा कि चन्नी ये तय करके आए थे कि उन्हें किसी भी कीमत पर, कुछ भी कहकर सिर्फ सरकार को कोसना है। इसीलिए उन्होंने खालिस्तान का नाम लेकर किसानों के मुद्दे पर भी ऐसी बात कह दी जो बिल्कुल गलत थी। (रजत शर्मा)
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