Rajat Sharma’s Blog: अतीक-अशरफ को ठिकाने लगाने की साजिश किसने रची?
बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि बात-बात पर गोली चलाने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस ने अतीक पर फायरिंग कर रहे हत्यारों पर फायरिंग क्यों नहीं की?
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने वाले तीनों शूटर्स को नैनी जेल से प्रतापगढ़ की जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि डॉन और उसके भाई की TV पर लाइव हत्या करने वाले इन बदमाशों को आखिर भेजा किसने था। एक बात तो तय है कि अतीक और अशरफ की हत्या की जांच चाहे सुप्रीम कोर्ट की कमेटी करे, CBI, SIT करे या जांच आयोग करे, मोटी-मोटी बात तो हर किसी को पता है कि लोगों ने मरने वालों को गिरते देखा, हत्यारों को गोली चलाते देखा। यह एक ऐसा मर्डर केस है जिसमें हत्या किसने की, यह सबको पता है। पूरी दुनिया को पता है कि तीनों हत्यारे कहां के रहने वाले हैं, और तीनों कब से अतीक के पीछे लगे थे। बस यह नहीं पता कि तीनों लड़कों ने अतीक को क्यों मारा। अब तक किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि अतीक और उसके भाई की हत्या का मकसद क्या था। पुलिस को इस सवाल का जबाव देना मुश्किल हो रहा है। बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि बात-बात पर गोली चलाने वाली यूपी पुलिस ने अतीक पर फायरिंग कर रहे हत्यारों पर फायरिंग क्यों नहीं की? पुलिस हाथ बांधे क्यों खड़ी रही? अगर पुलिस गोली चलाती और ये अपराधी मारे जाते तो यही लोग कहते कि पुलिस ने जान-बूझकर हत्यारों को मार डाला जिससे अतीक और उसकी हत्या करने वालों के सारे राज एक साथ खत्म हो जाएं। इसलिए सवालों का और आरोपों का कोई अंत नहीं है। लेकिन यह सही है कि कम से कम यह पता लगना चाहिए कि अतीक के हत्यारों को किसने मदद की, किसने उन्हें हथियार दिए, किसने ट्रेनिंग दी, किसने पैसे दिए और अतीक के हत्या के पीछे उसका मकसद क्या था। जब तक किसी रिपोर्ट में इन सवालों के सही जवाब नहीं मिलेंगे, तब तक कोई उस रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करेगा। इसी तरह की बातें कहकर विरोधी दलों ने योगी की सरकार पर हमला शुरू कर दिया है। यह बात सही है कि लोकतंत्र में, सभ्य समाज में किसी तरह की हिंसा का कोई स्थान नहीं होता। अपराधी को सजा देने के लिए कानून है, किसी को अपराधी की हत्या का हक नहीं है। इसलिए अतीक के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए और यह पता लगाया जाना चाहिए कि उसके हत्यारों को लॉजिस्टिक सपोर्ट किसने किया, उसका मकसद क्या है। यह भी सही है कि जो पार्टियां और नेता अतीक की हत्या को लेकर योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें अपने-अपने राज्य की कानून व्यवस्था की तुलना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था से करनी चाहिए। उन्हें यह भी देखना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में 6 साल से दंगे क्यों नहीं हुए। यूपी में 6 साल से राम नवमी, हनुमान जयंती, मुहर्रम और दूसरे त्योहारों में हिंसा क्यों नहीं हुई। ममता हों या नीतीश, उन्हें यह भी देखना चाहिए कि यूपी में माफिया के खिलाफ 6 साल में योगी ने किस तरह का ऐक्शन लिया। असली बात ये है कि किसी को माफिया के खिलाफ ऐक्शन से, या फिर अतीक की हत्या से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। विरोधी दल इस मौके का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सियासी हिसाब-किताब बराबर करने में कर रहे हैं। वे योगी के कंधे पर कमान रखकर मोदी पर सियासी तीर छोड़ रहे हैं। मोदी से विरोधी दल के नेता इसलिए नाराज है क्योंकि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ धड़ाधड़ कार्रवाई कर रहे हैं।
बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: अभिषेक बनर्जी को मिली बड़ी राहत
तृणमूल कांग्रेस के विधायक जीवन कृष्ण शाहा सोमवार को शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार हो गए। सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें CBI और ED को शिक्षक भर्ती घोटाले में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का निर्देश दिया गया था। CBI ने पहले अभिषेक बनर्जी को समन भेजा था, लेकिन बाद में कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेगी। इस बीच, ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर दोबारा डर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने UIDAI को गृह मंत्रालय के एक निर्देश का जिक्र किया जो उनके दफ्तर को भी भेजा गया था। में कहा गया है कि बंगाल के बॉर्डर पर स्थित दो जिलों में अवैध आधार कार्ड को खत्म करने की कवायद शुरू होनी चाहिए। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि मोदी और अमित शाह एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने के लिए NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के डर को जिंदा करना चाहते हैं। ममता बीजेपी पर हिंदुओं के वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश का इल्जाम लगा रही हैं, तो जवाब में बीजेपी ने भी ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। बात बीजेपी की भी सही है और ममता की भी। बीजेपी बंगाल में हिंदुओं का वोट अपने पक्ष में करना चाहती है, और ममता भी इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि वह बीजेपी का डर दिखाकर मुसलमानों का वोट इकट्ठा करना चाहती है। यह वोटों की राजनीतिय है और ऐसा हर पार्टी करती है। हकीकत यह है कि ममता इस वक्त अभिषेक बनर्जी पर कस रहे CBI के शिकंजे से परेशान हैं। ममता जानती हैं कि शिक्षकों की भर्ती में हुए घोटाले में अभिषेक बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस घोटाले में ममता की पार्टी के एक विधायक की गिरफ्तारी सोमवार को ही हुई है। इससे पहले तृणमूल के 2 विधायक, पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य भी इसी घोटाले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिलहाल अभिषेक बनर्जी के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी है, ममता जानती हैं कि अदालत से ज्यादा दिनों तक सुरक्षा नहीं मिल सकती। यही वजह है कि ममता ने अभी से इस मामले को राजनीतिक रंग देना शुरू कर दिया है। (रजत शर्मा)
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