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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog | अग्निपथ: नई भर्ती योजना के खिलाफ युवाओं को किन लोगों ने उकसाया?

Rajat Sharma’s Blog | अग्निपथ: नई भर्ती योजना के खिलाफ युवाओं को किन लोगों ने उकसाया?

अग्निपथ स्कीम के खिलाफ जैसे ही प्रदर्शन और आगज़नी शुरु हुई, उसके कुछ ही देर बाद नेताओं के रिऐक्शन आने शुरू हो गए।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Agnipath, Rajat Sharma Blog on Agnipath Violence- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

'अग्निपथ' भर्ती योजना के खिलाफ नौजवानों के विरोध का आज तीसरा दिन है। नौजवानों का यह विरोध तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी फैल गया है। बिहार में बुधवार को ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और ये जल्द ही यूपी, राजस्थान, एमपी, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा में फैल गए। सिकंदराबाद में शुक्रवार को हुई पुलिस फायरिंग में एक शख्स की मौत हो गई जबकि 3 अन्य घायल हो गए। लगभग 5000 प्रदर्शनकारियों ने सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़ की और ईस्ट कोस्ट एक्सप्रेस में आग लगा दी जबकि लगभग 50 यात्री ट्रेन में ही मौजूद थे। उन्होंने शॉपिंग स्टॉल और रेलवे संपत्तियों में भी तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों द्वारा एक ट्रेन के अंदर पेट्रोल बम फेंके जाने की खबरें भी सामने आईं।

बिहार में भी जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जहां युवाओं ने शुक्रवार को लखीसराय और समस्तीपुर स्टेशनों पर विक्रमशिला एक्सप्रेस और संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के कम से कम 20 डिब्बों में आग लगा दी और बक्सर, भागलपुर और समस्तीपुर में हाइवे को जाम कर दिया। बिहार और पड़ोसी राज्यों में रेलों का आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उत्तर प्रदेश के बलिया में प्रदर्शनकारियों ने एक खाली ट्रेन में आग लगा दी जिसके बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। अब तक, लगभग 200 ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई हैं, 35 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं और 13 ट्रेनों को गंतव्य से पहले ही रोक दिया गया। बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के बेटे ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास पर तोड़फोड़ की। राजस्थान के भरतपुर में गुरुवार को हुई आगजनी के बाद प्रदर्शनकारियों ने रेल पटरियों पर खड़े होकर ट्रेनों पर पथराव किया, जबकि हरियाणा के बल्लभगढ़ और पलवल में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं।

बिहार के नवादा में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी के एक दफ्तर में आग लगा दी, जबकि सारण के छपरा में बीजेपी के एक विधायक के घर में तोड़फोड़ की गई। यह आंदोलन अब 17 जिलों में फैल गया है। बिहार में सड़क और रेल यातायात बुरी तरह से बाधित हो गया है। पटना-गया और पटना-बक्सर रूट पर ट्रेन सेवाएं बंद कर दी गई हैं। बिहार के दानापुर स्टेशन पर शुक्रवार को एक ट्रेन में आग लगा दी गई, वहीं विपक्षी RJD ने शनिवार को बिहार बंद का आह्वान किया है। बिहार के आरा, गोपालगंज, नवादा, जहानाबाद, मधुबनी, कैमूर, बक्सर, मुंगेर और रोहतास से विरोध प्रदर्शन और आगजनी की खबरें आई हैं।

बृहस्पतिवार देर रात रक्षा मंत्रालय ने ऐलान किया कि भर्ती के लिए आवेदन करने वाले युवाओं के लिए अधिकतम आयु सीमा 21 साल से बढ़ा कर 23 साल कर दी गई है, और यह सिर्फ इसी साल के लिए लागू होगा। इससे ज्यादा युवाओं को आवेदन करने का मौका मिलेगा। कोरोना के कारण पिछले 2 सालों से भर्तियां रुकी हुई थीं। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अग्निपथ योजना के तहत इस साल भर्तियों की संख्या सालाना की जाने वाली औसतन भर्तियों से तीन गुना होगी। 12 लाख सैनिकों वाली भारतीय थल सेना हर साल 50 हजार से ज्यादा सैनिकों की भर्ती करती है और 2019 में यह आंकड़ा 80 हजार को छू गया था।

कई प्रदर्शनकारियों ने इंडिया टीवी से बात करते हुए आरोप लगाया कि  वे फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर चुके हैं, लेकिन चूंकि कोई लिखित परीक्षा नहीं हुई, इसलिए उनकी दो साल की मेहनत बेकार हो जाएगी। आधी-अधूरी जानकारी और बेबुनियाद अफवाहों की वजह से अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं में काफी ज्यादा भ्रम है। बिहार के छपरा में प्रदर्शन करने वाले लड़कों ने कहा कि वे देश के दुश्मन नहीं हैं, वे तो सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम फिजिकल टेस्ट पास करने के लिए कई सालों से पसीना बहा रहे थे लेकिन सरकार की इस स्कीम ने हमारे सपने तोड़ दिए हैं।’

रक्षा विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि सरकार को उन लड़कों को मौका देना चाहिए जो आधी परीक्षा क्वॉलिफाई कर चुके हैं। उनका मानना है कि जो अधूरी प्रक्रिया  है, उसे पूरा कर लिया जाए और जो पास हों जाएं, उन्हें नौकरी दी जाए। बाकी जो परीक्षा में पास न हो सकें, वे अग्निपथ स्कीम के तहत भाग्य आजमाएं। अगर इस मुद्दे पर सरकार कोई रास्ता निकाले, तो मुझे लगता है कि नौजवानों की नाराजगी दूर हो जाएगी। वे भीख नहीं मांग रहे, वे नौकरी नहीं मांग रहे, वे सिर्फ इतना कह रहे हैं कि उन्होंने मेहनत की है, इम्तिहान दिया है, ऐसे में सरकार अब इम्तिहान रद्द करने के बजाय रिजल्ट बताए और जो पास हुए हैं उन्हें भर्ती करे।

नौजवान काफी नाराज हैं क्योंकि उन्हें बताया गया है कि उन्हें 4 साल के लिए भर्ती किया जाएगा और कंपल्सरी रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी नहीं मिलेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह सही है कि उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी, लेकिन कंपल्सरी रिटायरमेंट के बाद उन्हें पैरामिलिट्री फोर्सेज और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की पेशकश की जाएगी, और उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा। सीनियर डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि अग्निपथ योजना अच्छी है, क्योंकि 4 साल सेना में नौकरी करने के बाद 24 साल के नौजवान को डिप्लोमा के साथ 11 लाख रुपये से ज्यादा का पैकेज मिलेगा। उनका कहना है कि इन युवाओं को 24 साल की उम्र में पेंशन के बारे में नहीं बल्कि करियर के बारे में सोचना चाहिए। मुझे लगता है कि वरिष्ठ नौकरशाहों, अफसरों और नेताओं को ये सारी बातें उन नौजवानों को समझानी चाहिए जो इस वक्त परेशान हैं और अग्निपथ योजना के बारे में उनकी गलतफहमी को दूर करना चाहिए।

नौजवानों और उनके परिवारों को उचित मार्गदर्शन की जरूरत है। पेंशन और जॉब सिक्यॉरिटी बहुत बड़े मुद्दे हैं। लाखों गरीब परिवार ऐसे हैं, जिनका एक बच्चा अगर फौज में भर्ती हो जाए तो पूरा परिवार जश्न मनाता है, क्योंकि नौकरी पक्की हो जाती है और सैलरी अच्छी होती है। परिवार में बुजुर्गों के इलाज और बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम हो जाता है, इसके बाद पेंशन से बुढ़ापे की चिंता भी नहीं रहती। इसलिए सेना में भर्ती का मुद्दा सिर्फ नौकरी का मुद्दा नहीं है। यह परिवार के लोगों की जिंदगी और सैनिक के जज्बे, दोनों का सवाल है। इसलिए इस पर बहुत गंभीरता और सलाहियत की जरूरत है, क्योंकि नौजवानों में नाराजगी बहुत है।

आंदोलन क्यों शुरू हुआ, इसके पीछे कौन है, ये सब समझने की कोशिश करते हुए सबको यह मालूम होना चाहिए कि देश भर में सैकड़ों कोचिंग सेंटर हैं, जहां नौजवानों को सेना में शामिल होने के लिए शारीरिक, लिखित और मेडिकल फिटनेस टेस्ट पास करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे लाखों छात्र हैं जिन्हें लगता है कि एक बार फौज में भर्ती हो गए तो पूरा पारिवारिक जीवन सुरक्षित है। फौज में इस नौकरी को पाने के लिए लाखों नौजवान कड़ी मेहनत करते है। 1600 मीटर, यानी कि एक मील की दौड़ में पास होने के लिए उन्हें इसे 6 मिनट में पूरा करना होता है। सीना चौड़ा हो, इसके लिए इन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ मेडिकल टेस्ट भी क्लियर करना जरूरी होता है, जिसके लिए वे कोचिंग का सहारा लेते हैं।

आमतौर पर एक नौजवान को इन कोचिंग सेंटरों में 60 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। कुछ गरीब नौजवान कोचिंग के लिए कर्ज लेते हैं या फिर अपनी जमीन तक बेच देते हैं। अग्निपथ या TOD (टूर ऑफ ड्यूटी) स्कीम के शुरू होने के बाद इन युवाओं को लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ है, क्योंकि उनकी नौकरी मुश्किल से 4 साल की होगी। चूंकि उन्हें लगता है कि पिछले 2 सालों की उनकी तैयारी, उनकी मेहनत बर्बाद हो गई, इसलिए अब वे सड़कों पर उतर आए हैं और आगजनी एवं हिंसा की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

कोचिंग सेंटर चलाने वालों का यह फर्ज़ था कि वे नौजवानों को अग्निपथ योजना के बारे में बताते और समझाते, लेकिन फेसबुक और यूट्यूब पर बेबुनियाद और भड़काऊ पोस्ट और वीडियो के सामने आने के बाद नौजवानों का गुस्सा कई गुना बढ़ गया।

अग्निपथ स्कीम के खिलाफ जैसे ही प्रदर्शन और आगज़नी शुरु हुई, उसके कुछ ही देर बाद नेताओं के रिऐक्शन आने शुरू हो गए। तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक, विरोधी दलों के तमाम नेताओं ने नौजवानों के गुस्से को भड़काने की कोशिश में एक के बाद एक कई ट्वीट किए। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘न कोई रैंक, न कोई पेंशन, न 2 साल से कोई डायरेक्ट भर्ती, न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य, न सरकार का सेना के प्रति सम्मान। देश के बेरोजगार युवाओं की आवाज सुनिए, इन्हें 'अग्निपथ' पर चलाकर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।’

उनकी बहन प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘सेना भर्ती की तैयारी करने वाले युवाओं की आँखों में देशसेवा, माँ-बाप की सेवा, घर परिवार और भविष्य के तमाम सपने होते हैं। नई सेना भर्ती योजना उन्हें क्या देगी? 4 साल बाद न हाथ में नौकरी की गारंटी, न पेंशन की सुविधा = नो रैंक, नो पेंशन। मोदी जी, युवाओं के सपनों को मत कुचलिए।’

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक या अनौपचारिक विषय नहीं है, ये अति गंभीर व दीर्घकालिक नीति की अपेक्षा करती है। सैन्य भर्ती को लेकर जो खानापूर्ति करने वाला लापरवाह रवैया अपनाया जा रहा है, वह देश और देश के युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए घातक साबित होगा। ‘अग्निपथ’ से पथ पर अग्नि न हो।’

जो लोग ये कह रहे हैं कि 'अग्निपथ' शुरू करने से पहले पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया, वे सेना का अपमान कर रहे हैं। इस तरह के आरोप हमारी सेना के मूल्यों को नुकसान पहुंचाते हैं। एयर ऑफिसर-इन-चार्ज (कार्मिक) एयर मार्शल सूरज कुमार झा ने कहा, ‘आज के युवाओं के पास बहुत सारे विकल्प हैं, और उन विकल्पों की तुलना में अग्निपथ योजना एक बेहतर अवसर है। अग्निवरों को 12वीं कक्षा का डिप्लोमा मिलेगा, 4 साल की नौकरी के दौरान बढ़िया ट्रेनिंग मिलेगी, और सेना छोड़ने के बाद अपस्किलिंग होगी। यह फर्स्ट क्लास स्कीम है।’

मुझे लगता है कि अग्निपथ स्कीम नौजवानों के लिए एक अच्छा अवसर है। अगर छात्रों को कुछ कन्फ्यूजन है, कोई भ्रम है, तो उन्हें इस स्कीम के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए। उन्हें कोचिंग पढ़ाने वाले लोगों की बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए। साथ ही उन्हें राजनीतिक दलों की बातों पर भी बिना जाने समझे यकीन नहीं करना चाहिए।

अगर नौजवानों को अभी भी कोई कन्फ्यूजन है, तो उन्हें इस योजना के बारे में और जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए, लेकिन किसी कीमत पर, किसी के कहने पर सड़क पर कतई नहीं उतरना चाहिए। अगर अपनी बात कहनी है तो कहिए, लेकिन शांति से, तोड़फोड़ और आगजनी करके नहीं। ट्रेनों में आग लगाने की कोशिश तो कतई मत करिए। ये सब राष्ट्रीय संपत्ति है। ऐसा करना आप ही के खिलाफ जाएगा और ऐसे में कोई भी आपका समर्थन नहीं करेगा।

इतना याद रखिए कि अगर पुलिस ने आपके खिलाफ केस दर्ज कर लिया, दंगा फैलाने और आगजनी करने के इल्जाम में FIR कर ली, तो आपका भविष्य खराब हो जाएगा। ऐसे में न आप अग्निवीर बन सकेंगे, और न दूसरी कोई नौकरी मिलेगी। मुझे लगता है कि हमारा कोई भी नौजवान ऐसा नहीं चाहेगा। आपको समझना होगा कि दंगा फैलाने और आग लगाने के क्या नतीजे हो सकते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

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