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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog | अग्निपथ: नौजवानों में भ्रम कौन फैला रहा है?

Rajat Sharma’s Blog | अग्निपथ: नौजवानों में भ्रम कौन फैला रहा है?

अग्निपथ स्कीम को लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के नौजवानों में कुछ कन्फ्यूजन था, जो अब दूर होता दिख रहा है।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Agnipath, Rajat Sharma Blog on Agnipath Violence- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

मध्य प्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के सीकर और महाराष्ट्र के सतारा में भर्ती की तैयारी करते नौजवानों की खबरों के आने के साथ ही अग्निपथ को लेकर नौजवानों के मन में उपजा आक्रोश कम होता दिख रहा है। भारतीय सेना ने सोमवार को भर्ती की नोटिफिकेशन जारी की, जिसके तहत जुलाई से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएगा।

अग्निपथ योजना के तहत, इस साल कुल 46000 अग्निवीर भर्ती किए जाएंगे, जिनमें 40 हजार आर्मी और 3-3 हजार नेवी और एयरफोर्स में भर्ती किए जाएंगे। भारत के विभिन्न हिस्सों में अगस्त और नवंबर के बीच 83 रैलियों के जरिए अग्निवीरों के 2 बैच भर्ती किए जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि लगभग 25,000 अग्निवीरों की ट्रेनिंग दिसंबर में शुरू हो जाएगी जबकि बाकियों की ट्रेनिंग अगले साल फरवरी में शुरू होगी।

सबसे बड़ी खबर यह रही कि सोमवार को भारत में कहीं भी नौजवानों द्वारा आगजनी या पथराव की एक भी रिपोर्ट नहीं आई। ऐसा लगता है कि उम्मीदवारों को यह स्पष्ट संदेश पहुंच गया है कि अगर पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट उनके खिलाफ जाती है तो वे फौज में भर्ती होने का मौका खो देंगे। उम्मीदवारों को एक एफिडेविट देना होगा कि वे ऐसी किसी हिंसा में शामिल नहीं थे।

राजनीतिक दलों ने तो अग्निपथ स्कीम का विरोध करके मौके का फायदा उठाने की कोशिश जारी रखी, लेकिन भारत के अधिकांश बड़े कॉरपोरेट्स ने इस स्कीम का स्वागत किया है और सेना से 4 साल के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों को अपने यहां भर्ती करने का वादा किया है। इन कॉरपोरेट्स में टाटा ग्रुप, महिंद्रा, आरपीजी, बायोकॉन, जेएसडब्ल्यू ग्रुप और हिंदुस्तान यूनिलीवर शामिल हैं। कुछ संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। बिहार में ट्रैफिक कम रहा, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में जनजीवन सामान्य रहा।

बिहार में हिंसा को लेकर अब तक 159 FIR दर्ज की गई हैं, जबकि 877 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसके अलावा पटना में 3 कोचिंग संचालकों पर भी FIR की गई है। बिहार के ही रोहतास में 2 कोचिंग सेंटर्स के कोऑर्डिनेटर गिरफ्तार किए गए हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भी 9 कोचिंग सेंटर वाले पुलिस की गिरफ्त में हैं। तेलंगाना में भी पुलिस ने कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाने वालों पर ऐक्शन लिया है, और एक कोचिंग संचालक पर FIR की गई है जबकि एक को गिरफ्तार किया गया है। पटना पुलिस ने उन 40 उपद्रवियों के पोस्टर जारी किए हैं जिन्होंने पालीगंज इलाके में तोड़फोड़ और आगजनी की थी, साथ ही थाने पर भी हमला किया था। पालीगंज के SDO और ASP ने स्थानीय नेताओं, कोचिंग सेंटर चलाने वालों और अभिभावकों से बात की और कहा कि वे अपने छात्रों और बच्चों को समझाएं कि इस तरह की हिंसा से कोई रास्ता नहीं निकलता।

बिहार पुलिस अब उन वॉट्सऐप ग्रुप्स के ऐडमिन को टारगेट कर रही है जो युवाओं को विरोध के लिए भड़का रहे थे। बिहार पुलिस की डेल्टा टीम उपद्रवियों का पता लगाने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट्स को खंगाल रही है। डेल्टा टीम 10 से ज्यादा टेलिग्राम ग्रुप, करीब 500 Facebook पेज के अलावा वॉट्सऐप ग्रुप और यूट्यूब चैनलों पर नजर रख रही है। विभिन्न सियासी दलों के मोदी विरोधियों ने भी नौजवानों के आक्रोश को भड़काया, और जब बिहार में आगजनी और हिंसा की घटनाएं होने लगीं, तो राजनीतिक कार्यकर्ता अभ्यर्थी बनकर मैदान में कूद पड़े। 100 से 300 नौजवानों को ट्रेनिंग देने वाले कोचिंग सेंटर्स में से अधिकांश का कोई न कोई राजनीतिक जुड़ाव होता है। कोचिंग सेंटर्स के मालिकों को लगा कि अगर अग्निपथ स्कीम लागू हो गई तो उनका कारोबार खत्म हो जाएगा।

जब सोमवार को भारत बंद के आवाह्न पर कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने नई दिल्ली के एक छोटे से स्टेशन पर एक ट्रेन को रोकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के पहुंचते ही वे तितर-बितर हो गए। कांग्रेस के 2 मुख्यमंत्रियों और कुछ सांसदों ने दिल्ली में अपने ‘सत्याग्रह’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जमकर जहर उगला। उन नेताओं में पूर्व मंत्री सुबोधकांत सहाय भी थे, जिन्होंने मोदी की तुलना हिटलर से कर दी। उन्होंने कहा, ‘मुझे तो लगता है कि मोदी ने हिटलर का सारा इतिहास पार कर लिया। हिटलर ने अपनी ‘खाकी’ आर्मी बनाई थी। मोदी हिटलर की राह चलेगा तो हिटलर की मौत मरेगा। यह याद कर लेना मोदी।’

मीडिया में इस वीडियो के आने के तुरंत बाद देशभर में उपजे आक्रोश को देखते हुए सहाय ने अपना बयान वापस लेने की कोशिश की। सुबोधकांत सहाय पूर्व प्रधानमंत्रियों वीपी सिंह और चंद्रशेखर की कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। वह लंबे समय तक डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे। सार्वजनिक जीवन में इतना लंबा वक्त बिताने के बाद उनको अंदाजा होगा कि सार्वजनिक मंच पर प्रधानमंत्री के लिए कैसी भाषा इस्तेमाल होनी चाहिए, फिर भी उन्होंने मंच से यह बयान दिया।

सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह थी कि उस समय मंच पर मौजूद कांग्रेस के एक भी सीनियर नेता ने सहाय को इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर नहीं टोका। BJP के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आज कहा कि मोदी के बारे में अभद्र बयानों की शुरुआत 2007 में सोनिया गांधी ने ही की थी, जब उन्होंने नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था।

कांग्रेस का मोदी को गाली देने का इतिहास रहा है। कांग्रेस नेताओं ने मोदी के लिए ‘लहू पुरुष’, ‘जहर की खेती करने वाला’, ‘जवानों के खून की दलाली करने वाला’, ‘नीच आदमी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। मोदी को हिटलर, मुसोलिनी, जनरल डायर, रंगा बिल्ला, हिंदू अतंकी और क्या-क्या नहीं कहा गया। गिनती करें तो पता चलता है कि अलग-अलग कांग्रेस नेता अब तक मोदी को कम से कम 80 गालियां दे चुके हैं।

पुराने जमाने की कांग्रेस में यह संस्कृति नहीं थी। आज भी कांग्रेस के पुराने नेता राजनीति में गाली-गलौज को उचित नहीं मानते। हालांकि, कांग्रेस में अब कुछ चले हुए कारतूसों के अलावा एक नई पीढ़ी है जो इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना पसंद करती है। मुझे लगता है कि किसी भी नेता को हिटलर जैसी मौत जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कुछ ऐसे नेता हैं जो लोगों को गुमराह भी कर रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि सेना में 'अग्निपथ' स्कीम को शुरू करके बीजेपी ‘RSS की एक सेना बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें जिसमें हथियारबंद गिरोह होंगे ओर वे चुनाव के दौरान उनके काम आएंगे।’ हैरानी की बात यह है कि ममता बनर्जी ने यह आरोप विधानसभा में लगाया, जहां कार्यवाही की हर बात को दर्ज किया जाता है। इसके बाद बीजेपी ने तुरंत ममता से माफी की मांग की और कहा कि उन्होंने सेना का अपमान किया है।

कुछ दूसरे नेता भी ऐसी भ्रामक बातें फैला रहे हैं। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘यदि आप ड्राइवर, धोबी या नाई की ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, तो अग्निवीर बनें, यदि आप चौकीदार बनने की ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, तो अग्निवीर बनें, यदि आप पकोड़े तलना सीखना चाहते हैं, तो अग्निवीर बनें। अगर आप सैनिक बनना चाहते हैं, तो अप्लाई न करें।’ एक YouTube वीडियो में यह दावा किया गया कि आने वाले समय में अग्निपथ स्कीम की भर्ती प्राइवेट एजेंसी करेगी। एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया कि सेना के जिन जवानों को 2019 तक प्रमोशन नहीं दिया गया, वे अब अग्निवीर रैंक में ही शामिल होंगे।

AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट्स कर मोदी को संबोधित करते हुए पूछा, ‘आप यह क्यों चाहते हैं कि 4 साल तक देश की रक्षा करने के बाद, यही युवा पूर्व सैनिक या तो अडानी और अम्बानी के घर के बाहर नौकरी की लाइन में खड़ा हो, या बीजेपी के दफ्तरों के बाहर चौकीदारी करे। मोदीजी, युवा भारत का भविष्य हैं, आप और आप के साथ बार-बार एक्सटेंशन लेने वाले रिटायर्ड आईएएस अफसर नहीं। आप इस युवा वर्ग की आवाज सुनिए और उनकी मांग पर अमल कीजिये, इस अग्निवीर योजना को तुरंत वापस लीजिये।’ मैं तो तब हैरान रह गया जब आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार अग्निपथ स्कीम के तहत भर्ती नौजवानों को न तो सैनिक मानेगी और न उन्हें शहीद का दर्जा देगी।

आर्मी के सीनियर अफसर ऑन रिकॉर्ड कह चुके हैं कि सेना के आधुनिकीकरण का प्लान 1989 से पाइपलाइन में था, और अग्निपथ स्कीम का ड्राफ्ट तैयार होने से पहले कई बार चर्चा हुई थी। सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'सुधारों की राह आसान नहीं होती है। कई फैसले, कई रिफॉर्म तात्कालिक रूप से अप्रिय लग सकते हैं,  लेकिन समय के साथ उन रिफॉर्म्स का लाभ आज देश अनुभव करता है। रिफॉर्म का रास्ता ही हमें नए लक्ष्यों, नए संकल्पों की तरफ ले जाता है।’

मोदी की यह बात सही है कि रिफॉर्म होने चाहिए। अग्निपथ योजना के पीछे भी मकसद यही है कि इससे सेना पहले से ज्यादा युवा और ऊर्जावान होगी। दुनिया भर में जंग का तरीका बदल रहा है और और हमारी सेना का आधुनिकीकरण समय की मांग है।

अग्निपथ योजना को लेकर पहले बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के  नौजवानों में कुछ कन्फ्यूजन था, जो अब दूर होता दिख रहा है। कोचिंग सेंटर वालों ने, कुछ सियासी दलों ने इसी कन्फ्यूजन का फायदा उठाकर युवाओं को हिंसा के लिए उकसाया था। अब जब सरकार ने भर्ती के बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दी है, तो अधिकांश नौजवानों को अब लग रहा है कि अग्निपथ योजना उनके लिए एक सुनहरे भविष्य का रास्ता खोल सकती है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 20 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

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