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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: जनरल बिपिन रावत को शत् शत् नमन

Rajat Sharma’s Blog: जनरल बिपिन रावत को शत् शत् नमन

सेनाओं के आधुनिकीकरण को लेकर उनके पास बड़ी योजनाएं थी, वो बहुत कुछ करना चाहते थे लेकिन नियति को यह मंजूर नहीं था।

India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में एक हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया। उनके असामयिक निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है। देश के पहले सीडीएस के तौर पर उन्होंने यथास्थिति वाली जकड़न को चुनौती दी और सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल लाने के व्यापक सुधारों पर जोर दिया।
 
भारत माता के सच्चे सपूत जनरल बिपिन रावत एक ऐसे आर्मी ऑफिसर थे जो हमेशा फ्रंट से लीड करते थे। आजादी के 70 वर्षों बाद देश को अपना पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मिला था। वह आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के बीच बेहतर तालमेल और तीनों सेनाओं के अपग्रेडशन का काम कर रहे थे। जनरल रावत ने सैन्य बलों में आधुनिक हथियार प्रणालियों, नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों, युद्धपोतों, पनडुब्बियों, नए असॉल्ट राइफलों  और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों को शामिल करने की मुहिम की अगुवाई की ताकि सेना को आधुनिक बनाया जा सके। सेनाओं के आधुनिकीकरण का काम जनरल रावत की लीडरशिप में तेजी से चल रहा था।
 
जनरल रावत सिर्फ हमारी सेना के सबसे बड़े अफसर नहीं थे, वह सेना के सबसे अनुभवी, एक्टिव और सबसे बेबाक अधिकारी थे। वो खुलकर बात करते थे।  खुशमिजाज और हंसमुख होने के साथ ही रक्षा के मामलों में उनमें जबरदस्त गंभीरता थी। सेनाओं के आधुनिकीकरण को लेकर उनके पास बड़ी योजनाएं थी, वो बहुत कुछ करना चाहते थे लेकिन नियति को यह मंजूर नहीं था। काल के क्रूर हाथों ने जनरल बिपिन रावत को हमसे छीन लिया। जनरल रावत की मौत से पूरा देश दुखी है। प्रधानमंत्री मोदी ने जनरल रावत के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें 'सच्चा देशभक्त' और 'एक उत्कृष्ट अधिकारी' बताया। उन्होंने कहा-'रणनीतिक मामलों में उनकी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण असाधारण थे।'
 
दरअसल, जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और उनके साथ स्टॉफ और सिक्योरिटी के 7 लोगों समेत कुल नौ लोग दिल्ली से तमिलनाडु के लिए रवाना हुए थे। तमिलनाडु में आर्मी के सुलूर बेस से जनरल रावत के साथ कुल 14 लोग एयरफोर्स के सबसे भरोसेमंद हेलिकॉप्टर Mi17V5 से वेलिंगटन की ओर रवाना हुए। वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज है और यहां उन्हें छात्रों को संबोधित करना था। लेकिन वेलिंगटन पहुंचने से पहले ही हेलिकॉप्टर कटेरी में जंगली खाई में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और आग की लपटों में घिर गया।
 
बताया गया कि जिस वक्त जनरल रावत को हेलिकॉप्टर के मलबे से निकाला गया, उस वक्त वो जिंदा थे लेकिन अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई। इस हादसे में एकमात्र जिंदा बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह सैन्य अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इस हादसे में ब्रिगेडियर एल.एस. लिद्दर (सीडीएस के रक्षा सलाहकार), लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर पीएस चौहान, स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह, जूनियर वारंट अधिकारी दास और प्रदीप, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह. लांस नायक विवेक कुमार और लांस नायक साई तेजा की भी मौत हो गई। हादसे में मरनेवालों में अधिकांश शवों की पहचान नहीं की जा सकी क्योंकि शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत होने के साथ ही जल गए थे। शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। 
 
जनरल रावत और उनकी पत्नी का पूरे राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली में अंतिम संस्कार किया जाएगा। तकनीकी खराबी या धुंध के चलते खराब विजिबिलिटी इस हादसे की वजह हो सकती है क्योंकि हादसे से पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोल को कोई एसओएस कॉल नहीं मिली थी। एक स्थानीय शख्स ने बताया कि उसने हेलिकॉप्टर को धुंध में एक ऊंचे पेड़ से टकराते और जमीन पर गिरते हुए देखा था। Mi17V5 आधुनिक और शक्तिशाली हेलिकॉप्टर है जो ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में भी भारी पेलोड ले जा सकता है। इसकी गिनती दुनिया के सबसे उन्नत ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर्स में होती है जो सैनिकों के साथ-साथ कार्गो और अन्य उपकरणों को अपनी पूरी क्षमता के साथ लेकर उड़ सकता है। इस हेलिकॉप्टर का उपयोग जमीन पर दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने के लिए भी किया जा सकता है। 
 
63 वर्ष के जनरल बिपिन रावत का करियर उपलब्धियों से भरा रहा है। जनरल रावत खानदानी फौजी थी। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत भी 1988 में वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ़ के पद से रिटायर हुए थे। जनरल बिपिन रावत ने 42 साल भारतीय सेना को दिए। उनके सैन्य जीवन में कई तरह के रंग थे। उन्होंने युद्ध भी लड़ा, दुश्मन के छक्के भी छुड़ाए और शांति अभियानों में भी शामिल रहे।
 
जनरल रावत को आर्मी चीफ के पद से रिटायर होने से एक दिन पहले 31 दिसंबर 2019 को भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था। सीडीएस के तौर पर जनरल  रावत को तीनों सेनाओं को थिएटर कमांड्स में बांटने की बड़ी ज़िम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने वादा किया था कि वह तीन साल के अंदर  थिएटर कमांड स्थापित कर देंगे। जनरल रावत को इसका पूरा भरोसा था। आर्मी चीफ के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट पर एयरस्ट्राइक किया था। वर्ष 2015 में जब भारत की फौज ने म्यांमार में घुसकर वहां छुपे आतंकवादियों के ठिकानों को ध्वस्त किया था, तब वह आर्मी ऑपरेशन भी बिपिन रावत की देखरेख में हुआ था। इस ऑपरेशन में एक भी कमांडो नहीं मारा गया था और आर्मी ने पूरे विद्रोही समूह का सफाया कर दिया था। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि पाकिस्तान की ओर से रिएक्शन हो सकता है, लेकिन जनरल ने कहा था चिंता की कोई बात नहीं है, पाकिस्तान हमारी ताकत को जनता है और कोई दुस्साहस करने का जोखिम नहीं उठाएगा, और अगर वो कोई दुस्साहस करता भी है तो उसे पछतावा होगा।
 
चीन के मोर्चे पर भी उनका दृष्टिकोण बिल्कुल साफ था। चीन के ख़िलाफ़ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जनरल रावत ने इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान संभाली थी। उन्होंने ईस्टर्न और वेस्टर्न सेक्टर में कई अहम ज़िम्मेदारियाों का निर्वहन किया था। वह चीन की नस-नस से वाकिफ थे। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की साजिशों और रणनीतियों को अच्छी तरह समझते थे। 1987 में जब तवांग में भारतीय सेना और चीन की पीएलए के बीच स्टैंड ऑफ़ हुआ था तो जनरल रावत की बटालियन ही पीएलए की आंख से आंख मिलाकर खड़ी थी।
 
डोकलाम में जब चीन के साथ टकराव हुआ तो वह जनरल रावत ही थे जिन्होंने भारतीय सेना की पूरी रणनीति तैयार की। नतीजा ये हुआ कि भारतीय सेना के कड़े प्रतिरोध ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। इसी तरह पूर्वी लद्दाख में भी चीन के साथ गतिरोध में बिपिन रावत एक्टिव रोल निभा रहे थे। पिछले साल ही जनरल रावत ने कहा कि चीन मिस एडवेंचर का मतलब समझ रहा है और उसके नतीजे देख रहा है। चीन जानता है कि भारत किसी तरह की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं करेगा। लेकिन इसके बाद भी चीन गड़बड़ी  कर सकता है, इसलिए हमें भी हर तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना है।
 
तू न थकेगा कभी... तू न रुकेगा कभी...तू न मुड़ेगा कभी... कर शपथ.. कर शपथ... अग्निपथ... अग्निपथ... अग्निपथ...। हरिवंशराय बच्चन की 'अग्निपथ' की ये पंक्तियां देश के बहादुर सिपाही, हमारी फौज के सिरमौर जनरल बिपिन रावत जैसे वीर सेनानियों के लिए लिखी गई है। आज अग्निपथ पर चलने वाला, कभी ना थकने वाला जांबाज रुक गया है।आज उसका सफर थम गया लेकिन जनरल रावत की वीरता के किस्से आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देगी। जनरल रावत नए जमाने के जनरल थे। जब भी मेरी उनसे मुलाकात हुई वो सिर्फ आर्म्ड फोर्सेज़ की बात करते थे। फौज के आधुनिकीकरण की बात करते थे। फौज के स्वाभिमान और शक्ति का बखान करते थे।
 
मैं उन्हें अपने शो 'आप की अदालत' में मेहमान के तौर पर बुलाना चाहता था। मैं जानता था कि चीन औऱ पाकिस्तान के सवालों पर सिर्फ एक वही थे जो बेबाकी से जवाब दे सकते थे। वह कई राज़ खोल सकते थे। लेकिन बिपिन रावत हमेशा कहते थे कि यार मुझे रिटायर होने दो, पाबंदियां हट जाने दो ताकि मैं खुलकर बात कर सकूं। उनकी इस बेबाकी का मुझे इंतजार था, लेकिन अब इंतजार कभी खत्म नहीं होगा।
 
जनरल बिपिन रावत ने फौज के लिए जो किया उसका यह देश हमेशा कर्जदार रहेगा। हमारी फौज को एक नई राह दिखाकर वह हमेशा-हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गए। भारत के वीर ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए  सर्वोच्च बलिदान दिया। एक नया इतिहास लिखकर वे खामोशी से सो गए। भारत मां का यह लाल अब कभी वापस नहीं आएगा लेकिन हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि इन जांबाज सिपाहियों की याद हमेशा ताजा रहे। जनरल रावत की बहादुरी की आग हमेशा हमारे सीनों में जलती रहेगी। यही जनरल बिपिन रावत को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 08 दिसंबर, 2021 का पूरा एपिसोड

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