चंडीगढ़: वायु प्रदूषण को लेकर इतना गंभीर माहौल होने के बावजूद पराली जलाने की घटनाओं में कुछ खास कमी नहीं आ रही है। एक तरफ दिल्ली-एनसीआर में लोग स्वच्छ हवा के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पंजाब में लोग पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। पंजाब में शनिवार को पराली जलाने की 2,467 घटनाएं सामने आई हैं। इसमें सबसे ज्यादा बठिंडा में 358 घटनाएं दर्ज की गईं हैं।
लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, इन्हें मिलाकर 15 सितंबर से 12 नवंबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़कर 43,144 हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल इसी समय में पराली जलाने की 58,976 घटनाएं दर्ज की गई थीं और इसकी तुलना में यह 27 प्रतिशत कम है।
राज्य ने साल 2020 में इसी समय के दौरान 71,091 ऐसी घटनाओं की सूचना दी थी। आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पराली जलाने की कुल 2,467 घटनाओं में से, बठिंडा में सबसे अधिक 358 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद मोगा में 336, मुक्तसर में 256, फाजिल्का में 242, मानसा में 231, फरीदकोट में 200, फिरोजपुर में 186 और बरनाला में 174 घटनाएं दर्ज की गईं।
हरियाणा और पंजाब में शनिवार को AQI पर पड़ा असर
शनिवार शाम हरियाणा और पंजाब में कई जगहों पर एयर क्वालिटी ‘मध्यम’ और ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा के जींद में एक्यूआई 293 दर्ज किया गया। हरियाणा के अन्य क्षेत्रों में, गुरुग्राम में एक्यूआई 288, फरीदाबाद में 274, बहादुरगढ़ में 234, फतेहाबाद में 224, सोनीपत में 219, मानेसर में 175, पानीपत में 174 और अंबाला में 115 दर्ज किया गया।
पंजाब में अमृतसर, बठिंडा, खन्ना, लुधियाना, जालंधर, मंडी गोबिंदगढ़ और पटियाला में वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमश: 168, 193, 103, 166, 192, 245 और 146 दर्ज किया गया। पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में AQI 104 दर्ज किया गया।
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