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Hindi News भारत राष्ट्रीय Punjab News: ये है पंजाब का एकमात्र जिला, जहां इस बार खेतों में नहीं जली पराली, इस आइडिया से बदले हालात

Punjab News: ये है पंजाब का एकमात्र जिला, जहां इस बार खेतों में नहीं जली पराली, इस आइडिया से बदले हालात

Punjab News: जहां एक तरह पराली जलाने का मुद्दा पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं पंजाब का एक जिला ऐसा भी है, जहां इस मौसम में एक बार भी पराली जलाने की घटना सामने नहीं आई है। इस जिले का नाम पठानकोट है।

Punjab News- India TV Hindi Image Source : FILE पराली

Punjab News: दिल्ली-एनसीआर में जब भी वायु प्रदूषण बढ़ता है तो पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने का मुद्दा भी उठता है। माना जाता है कि पंजाब में किसान खेतों में जो पराली जलाते हैं, उसकी वजह से दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर हालत में पहुंचता है और हवा जहरीली हो जाती है, जिसकी वजह से यहां लोगों को सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है। 

इस बीच आज हम आपको पंजाब के एक ऐसे जिले के बारे में बताएंगे, जहां के खेतों में इस मौसम में अब तक पराली नहीं जली है। इस जिले का नाम पठानकोट है। यहां पराली जलाने की एक भी घटना दर्ज नहीं हुई है। इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने दी है। 

कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि धान की पराली जलाने के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा शुरू किए गए व्यापक जागरूकता अभियान के कारण ही यह संभव हो पाया है। अधिकारी के मुताबिक, प्रशासन ने जागरूकता शिविर आयोजित किए, एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की और ग्रामीणों के व्हाट्सएप ग्रुप बनाए, जिसके बाद जिले में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में किसानों का सहयोग मिला। 

मुख्य कृषि अधिकारी का बयान आया सामने

पठानकोट के मुख्य कृषि अधिकारी अमरीक सिंह ने कहा कि हमने इस मौसम में यह लक्ष्य रखा था कि जिले में पराली जलाने की एक भी घटना नहीं होगी। और अब तक इस तरह की किसी भी घटना की खबर नहीं आई है। अतीत में पठानकोट में बहुत कम संख्या में खेतों में पराली जलाए जाने की घटनाएं होती थीं। पठानकोट जिला प्रशासन चाहता था कि 15 सितंबर से शुरू हो रहे इस मौसम में पराली जलाने की एक भी घटना न हो। 

क्या है पिछले सालों का आंकड़ा

बता दें कि पाकिस्तान की सीमा से लगने वाले पठानकोट में 2016 में खेतों में पराली जलाने की 28, 2017 में 12, 2018 में नौ, 2019 में चार, 2020 में 11 और 2021 में छह घटनाएं सामने आई थीं। पठानकोट में 28,500 हेक्टेयर भूमि पर धान उगाया जाता है और हर साल लगभग 1.35 लाख मीट्रिक टन पराली निकलती है।

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