Punjab By poll Result: देश में चल रहे उपचुनाव में पंजाब के लोकसभा सीट संगरूर से शिअद अमृतसर के प्रत्याशी सिमरनजीत सिंह मान चुनाव जीत गए हैं। उन्हें 2 लाख 52 हजार 898 वोट मिले हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सरपंच गुरमेल सिंह को 5822 वोट से हराया। गुरमेल सिंह को 2 लाख 46 हजार 828 वोट मिले थे। चुनाव आयोग ने शिअद अमृतसर के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान की जीत का औपचारिक तौर पर एलान कर दिया है। पंजाब के सीएम भगवंत मान अपना किला नहीं बचा सकें। भगवंत मान पिछले दो बार से यहां से सांसद चुने जा चुके हैं। लेकिन उनके लाख कोशिशों के बाद भी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को यहां हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद लोकसभा में आम आदमी पार्टी का अब एक भी सांसद नहीं है।
संगरूर चुनाव रिजल्ट
क्र. सं. | पार्टी | उम्मीदवार | वोट |
1 | शिअद अमृतसर | सिमरनजीत सिंह मान | 2,52,898 |
2 | आम आदमी पार्टी | गुरमेल सिंह | 2,46,828 |
3 | कांग्रेस | दलवीर गोल्डी | 79,526 |
4 | भाजपा | केवल ढिल्लो | 66,171 |
5 | अकाली दल | कमलदीप कौर राजोआणा | 44,323 |
- कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के उम्मीदवार की जमानत नहीं बच सकी। यहां 23 जून को मतदान हुआ था।
पूर्व IPS अधिकारी रह चुके हैं सिमरनजीत सिंह मान
सिमरनजीत सिंह मान पूर्व IPS अधिकारी हैं। इन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में जून 1984 में सिमरनजीत सिंह मान ने IPS के पद से इस्तीफा दे दिया था। मान दो बार के सांसद भी रह चुके हैं। वह क्रमशः 1989 और 1999 में लोकसभा में तरनतारन और संगरूर का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 2014 का लोकसभा खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ा और हार गए। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वह आप के उम्मीदवार प्रो. जसवंत सिंह से चुनाव हारे थे।
देशद्रोह का मुकदमा चला
रिपोर्ट के मुताबिक सिमरनजीत सिंह मान ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों का विरोध किया था। इसी से क्षुब्ध होकर उन्होंने IPS के पद से इस्तीफा दे दिया था। इंदिरा गांधी की हत्या को लेकर उन पर देशद्रोह का मुकदमा भी चल चुका है। 1984 में उन्हें भारत-नेपाल के बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद 5 साल उन्होंने जेल में बिताया। 1989 में वे पहली बार सांसद चुने गए और उनकी रिहाई के साथ ही तत्कालीन सरकार ने उन पर चल रहे तमाम मुकदमे भी वापस ले लिए थे। सिमरनजीत सिंह मान पृथक खालिस्तान की मांग को लेकर पुरजोर कोशिश करते रहे। उनका नाम खालिस्तान की मांग को लेकर भी काफी चर्चा में रहा।
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