Presidential Election : राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा ने नामांकन पत्र भरा है। राष्ट्रपति पद के लिए दोनों उम्मीदवारों के पर्चे जांच में सही पाए गए हैं। राज्यसभा सचिवालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में चुनाव अधिकारी और राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने कहा कि कुल मिले 115 नामांकन पत्रों में से 28 पेश करते वक्त ही खारिज कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि इस चुनाव के लिए 72 उम्मीदवारों के बाकी 87 पत्रों में से 79 को आवश्यक मानदंड पूरा नहीं करने के लिए खारिज कर दिया गया है।
उम्मीदवारों की अंतिम सूची 2 जुलाई को प्रकाशित होगी
उम्मीदवारों की अंतिम सूची 2 जुलाई को नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि के बाद राजपत्र में प्रकाशित की जायेगी। नामांकन पत्र दाखिल करने वालों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा शामिल हैं। द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा चुनाव में मुख्य उम्मीदवार हैं।
उनके अलावा, कई आम लोगों ने भी देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए अपने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं। इनमें मुंबई के एक झुग्गी निवासी, राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव के एक हमनाम, तमिलनाडु के एक सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली के एक प्राध्यापक शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने नामांकन पत्र दाखिल करने वाले लोगों के लिए कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक अनिवार्य कर दिया है। ये प्रस्तावक और अनुमोदक निर्वाचक मंडल के सदस्य होंगे। वर्ष 1997 में, 11वें राष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रस्तावकों और अनुमोदकों की संख्या 10 से बढ़ाकर 50 कर दी गई थींं वहीं जमानत राशि भी बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दी गई थी।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव को लेकर एनडीए ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनया है। वहीं विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपनी ओर के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है। यशवंत सिन्हा बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही वे मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे थे।
उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के साथ मिलकर मोदी की बीजेपी सरकार पर लगातार निशाना बोला। वहीं यशवंत सिन्हा से पहले फाराूख अब्दुल्ला और शरद पवार को भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आगे किया गया था, लेकिन दानों ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
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