President Murmu: सेना के राष्ट्रीय राइफल के नायक देवेन्द्र प्रताप सिंह को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में जनवरी में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए कीर्ति चक्र सम्मान के लिए चयनित किया गया है। कश्मीर के बारामुल्ला जिले में पिछले महीने आतंकवाद विरोधी अभियान में गोली लगने से मारे गए सेना के डॉग एक्सेल का नाम भी उन 42 लोगों की सूची में शामिल किया गया है, जिन्हें उनके विशिष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया जा रहा है।
107 वीरता पुरस्कारों को मंजूरी
भारत में शांति के दौरान (युद्ध से इतर) अशोक चक्र के बाद कीर्ति चक्र दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है। स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कांस्टेबल सुदीप सरकार और उप-निरीक्षक पाओतिंसैट गुइते को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा रहा है। बयान के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सशस्त्र बलों और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के लिए 107 वीरता पुरस्कारों को मंजूरी दी है।
भारत में राष्ट्रपति सशस्त्र बलों का ‘सुप्रीम कमांडर’ होता है। राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किए गए वीरता पुरस्कारों में तीन कीर्ति चक्र, 13 शौर्य चक्र, दो ‘बार टू सेना मेडल’ (वीरता पुरस्कार), 81 सेना मेडल (वीरता पुरस्कार), एक नौसेना मेडल (वीरता पुरस्कार) और सात वायुसेना मेडल (वीरता पुरस्कार) शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने देश को किया संबोधित
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुर्मू ने देश को संदेश दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि भारत ने दुनिया को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि देश में आज संवेदनशीलता और करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है और इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के कल्याण के वास्ते काम करना है। मुर्मू ने 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कहा कि प्रमुख आर्थिक सुधारों के साथ अभिनव कल्याणकारी पहल की जा रही है। दुनिया ने ‘‘हाल के वर्षों में नए भारत को विकसित होते देखा है, विशेषकर कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद।’’
शक करने वालों को गलत साबित किया
राष्ट्रपति ने कहा कि जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तो दुनिया के कई नेता और विशेषज्ञ थे, जिन्हें उस समय गरीबी और निरक्षरता के कारण भारत में सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप की सफलता के बारे में संदेह था। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों को गलत साबित किया। इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं, बल्कि समृद्ध भी हुईं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए।’’
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