Popular Front of India: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ केंद्र सरकार ने बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए उसे पांच साल के लिए बैन कर दिया है। इसको लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने हमेशा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के दृष्टिकोण का विरोध किया है, लेकिन कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता। सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस(ISIS) जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘संबंध’ होने के कारण PFI और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर बुधवार को पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया।
PFI पर बैन का समर्थन नहीं किया जा सकता
ओवैसी ने कई ट्वीट में कहा, ‘‘मैंने हमेशा PFI के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, लेकिन PFI पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का बैन खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है। जिस तरह से भारत की ‘चुनावी निरंकुशता’ फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के ‘काले’ कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UPA) के तहत अब हर मुस्लिम युवा को PFI पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा।’’
मार्च 2018 में PFI पर लगा था बैन
साल 2006 में बने पीएफआई पर राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार बैन लगा है, लेकिन झारखंड में चार साल पहले ही उसपर ये एक्शन ले लिया गया था। राज्य की तत्कालीन बीजेपी की रघुवर दास सरकार ने PFI को पहली बार 12 फरवरी 2018 को प्रतिबंधित किया। तब सरकार ने संगठन पर बैन लगाने वाले अपने आदेश में कहा था कि खुफिया सूचना मिली है कि PFI के सदस्यों का रिश्ता आईएसआईएस से है और ये संगठन उससे प्रभावित है। झारखंड के पाकुड़ और साहिबागंज जिले में PFI सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम कर रहा है।
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