देश के पहले ज्योतिर्मठ के जमीन में धंसने का खतरा मंडरा रहा है? क्या जोशीमठ में जमीन धंसने की वजह से बद्रीनाथ मंदिर और ज्योतिष पीठ खतरे में हैं? क्या जोशीमठ में रह रहे करीब 30 हजार लोगों की जिंदगी खतरे में आ गई है? केंद्र सरकार जोशीमठ को लेकर कितनी परेशान है, इसका अंदाज इस बात लगाया जा सकता है कि 6 लोगों का पैनल बन चुका है, जो सिर्फ 3 दिन में रैपिड स्टडी करके अपनी रिपोर्ट देगी।
एक्टिव मोड में प्रधानमंत्री कार्यालय
जोशीमठ संकट को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय भी एक्टिव मोड में है। जोशीमठ को लेकर पीएमओ ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई है। पीएम के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा आज दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा करेंगे। इस दौरान जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में मौजूद रहेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तराखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
सारे निर्माण के काम रोक दिए गए
बता दें कि जोशीमठ संकट को लेकर केंद्र सरकार के 6 मंत्रालय, देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिक हर ऑप्शन पर माथा-पच्ची कर रहे हैं। डिफेंस मिनिस्ट्री अपने तरह से एक्टिव है। हर रास्ता तलाशा जा रहा है। प्रधानमंत्री रिपोर्ट ले रहे हैं। मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से सर्वे कर रहे हैं। सारे निर्माण के काम रोक दिए गए हैं।
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
वहीं, जोशीमठ के संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर एक साधु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है और उत्तराखंड के लोगों को तत्काल आर्थिक सहायता और मुआवजा देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में कहा गया, ‘‘मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी हो रहा है, तो यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत रोका जाए।"
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