PM Modi govt 8 years: साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश की सेनाओं में एक नया जोश और उत्साह देखा गया। कई मौके पर ये पाया गया कि प्रधानमंत्री मोदी समेत केंद्र सरकार के मंत्रियों ने देश के सैनिकों से मुलाकात की और उनका कुशलक्षेम पूछकर उनकी समस्याओं पर बात की। इससे न केवल सैनिकों का आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि सेना के प्रति जनता के बीच सम्मान की भावना में भी बढ़ोतरी हुई।
मोदी सरकार ने अपने 8 साल के कार्यकाल (PM Modi govt 8 years) के दौरान सेनाओं को लेकर कई बड़े फैसले लिए। फिर चाहें वो रणनीतिक फैसले हों या CDS की नियुक्ति या फिर डिफेंस कॉरिडोर। केंद्र के इन फैसलों ने सेना को काफी मजबूत किया।
मोदी सरकार में सेना ने दिखाई दम
मोदी सरकार (PM Modi govt 8 years) में सेना ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करके दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और दुनिया को ये बता दिया कि भारतीय सेना घर में घुसकर दुश्मनों को मारने का दम रखती है। उरी आंतकी हमले के बाद 28 सितंबर 2016 को सेना ने रात में पाक को मुंहतोड़ जवाब दिया और पीओके में आतंकियों के लॉन्चपैड नष्ट कर दिए।
इसके बाद भारत की वायुसेना ने 26 फरवरी को बालाकोट एयरस्ट्राइक के जरिए पाकिस्तानी सीमा में घुसकर आतंकियों पर हमला किया। जम्मू कश्मीर में मोदी सरकार के आने के बाद आतंकी घटनाओं में कमी आई और सैकड़ों आतंकी मारे गए और बड़ी संख्या में आतंकियों ने सरेंडर किया।
भारत ने फ्रांस के साथ की राफेल डील
मोदी सरकार (PM Modi govt 8 years) में ही फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान की भारत में डिलीवरी हुई। बता दें कि मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस सरकार के साथ 59,000 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। जिसके तहत पेरिस, नई दिल्ली को 36 राफेल लड़ाकू जेट प्रदान करने पर सहमत हुआ था। बता दें कि राफेल जेट की निर्माता फ्रांस की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी दॉसो एविएशन है और यूरोपियन कंपनी एमबीडीए विमान के लिए मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति करती है।
CDS की नियुक्ति की
मोदी सरकार में ही 31 दिसंबर 2019 को पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति की गई थी। जनरल बिपिन रावत जैसे ही थलसेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए, तो उन्हें देश का पहला सीडीएस बनाया गया था। उन्होंने देश में रक्षा-क्षेत्र में कई सुधारों को लेकर काम किया और अहम कदम उठाए। रावत खुद इस बात को मानते थे कि सेनाओं का एक साथ ज्वाइंट होकर काम करना जरूरी है। इससे रक्षा क्षेत्र में काफी फायदा होगा। हालांकि अब जनरल रावत इस दुनिया में नहीं हैं, उनका हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो चुका है।
मोदी सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद को इसलिए बनाया था, जिससे सेना के तीनों अंग यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना की अलग-अलग कमांड की जगह थियेटर कमांड बनाई जा सके। सीडीएस का काम तीनों सेनाओं के बीच कॉर्डिनेशन करना था। सीडीएस के पास तीनों सेनाओं के प्रशासनिक मुद्दों का अधिकार होता है और वह सेना के तीनों अंगों के ऊपर होता है।
डिफेंस कॉरिडोर की मुहिम
मोदी सरकार में ही डिफेंस कॉरिडोर की मुहिम को बढ़ावा मिला और यूपी के अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया। इसका उद्देश्य रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है। डिफेंस कॉरिडोर में एक रूट के तहत कई शहरों को शामिल किया जाता है। इसमें सेना के काम आने वाली मशीनरी के लिए इंडस्ट्री डेवलप की जाती है। सेना की वर्दी से लेकर उसके हथियारों समेत कई तरह के सामान इसमें बनाए जाते हैं। अलीगढ़ में जो डिफेंस कॉरीडोर बना है, उसकी लागत 1500 करोड़ रुपए है। यूपी के जिन 6 शहरों में डिफेंस कॉरीडोर की योजना है, उसमें लखनऊ, आगरा, कानपुर, झांसी, चित्रकूट और अलीगढ़ है।
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