PM Narendra Modi govt 8 years: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने India TV Samvaad महासम्मेलन के दौरान आर्टिकल 370 पर बोलते हुए कहा कि, 'मैं मानता हूं कि आर्टिकल 370 की मौजूदगी ही अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए काफी थी। 'आर्टिकल 370', यह शब्द काफी था आतंकवादियों को तैयार करने के लिए, यह कहने के लिए कि कश्मीर के बारे में फैसला फाइनल नहीं है। लेकिन जब एक बार हिम्मत करके किसी सरकार ने उस 370 को संविधान से निकाल दिया, तो फिर अब जिस एक चीज पर कानूनी तौर पर चर्चा हो सकती थी, अब उस पर चर्चा ही नहीं हो सकती। कश्मीर भारत का अटूट अंग था, है और रहेगा।'
मोदी जी के कार्यकाल में आत्मविश्वास और राष्ट्रीय स्वाभिमान पैदा हुआ है: खान
खान ने कहा कि, 'मोदी सरकार के कार्यकाल में विजन बदला। मोदी जी के कार्यकाल में आत्मविश्वास और राष्ट्रीय स्वाभिमान पैदा हुआ है। हम गुलाम रहे हैं। गुलाम मानसिकता के साथ अपनी ताकत और अपनी क्षमता का अंदाजा नहीं होता है। नरेंद्र मोदी जी ने उस गुलामी की मानसिकता को तोड़ा है।' आरिफ मोहम्मद ने कहा कि, 'मोदीजी की सरकार में खास बात हुई वो ये है कि विकसित देशों ने भारत की क्षमता को स्वीकार किया।'
5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया था
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया था जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। जम्मू कश्मीर 70 साल तक आर्टिकल 370 की जंजीरों में जकड़ा रहा। 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने कश्मीर को आर्टिकल 370 से मुक्ति दे दी। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में देश के वो सभी कानून लागू हो गए, जिन्हें 70 साल तक लागू नहीं किया जा सका था। साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा हटाकर अब वहां के सरकारी दफ्तरों में तिरंगा लहराने लगा। आर्टिकल 370 की बेड़ी टूटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों को अब केंद्र सरकार की लाभकारी योजनाओं का भी फायदा मिलने लगा, जिनसे कई सालों तक कश्मीर के लोगों को वंचित रखा गया।
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