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Hindi News भारत राष्ट्रीय Bullet Train Project: हकीकत की ओर बढ़ रहा है PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट, जानें कब से पटरी पर दौड़ने लगेगी बुलेट ट्रेन

Bullet Train Project: हकीकत की ओर बढ़ रहा है PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट, जानें कब से पटरी पर दौड़ने लगेगी बुलेट ट्रेन

बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट का काम जमीन के साथ-साथ नदियों पर भी तेजी से चल रहा है। गुजरात में लगभग 20 पुल नदियों पर बनाए जा रहे हैं जिनमें दमन गंगा, नर्मदा, माही, साबरमती, तापी, कावेरी, अंबिका आदि नदियां शामिल हैं। अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करके इन नदियों पर पिलर बनाकर पटरियां बिछाने के काम किया जा रहा है।

<p>Bullet Train Project</p>- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Bullet Train Project

नई दिल्ली: 2014 में मोदी सरकार ने देश को बुलेट ट्रेन का जो सपना दिखाया था वो अब हकीकत की ओर बढ़ रहा है। देश की पहली बुलेट ट्रेन को चलाने के लिए मुंबई से अहमदाबाद के बीच बन रहे देश के पहले हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का काम तेज गति से चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन का काम जापान के सहयोग से हो रहा है। यही वजह है कि जापान के अंबेसडर सतोषी सुज़ुकी इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य का जायज़ा लेने पहुंचे। उनके साथ NHSRCL के CMD सतीश चंद्र अग्निहोत्री भी मौजूद थे।

रेल मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के लिए NHSRCL (National high speed rail corporation limited) को ज़िम्मेदारी दी है। NHSRCL के अधिकारियों के मुताबिक 2026 में मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन का ट्रायल शुरू हो जाएगा और 2027 में देश की पहली बुलेट ट्रेन पटरियों पर दौड़ने लगेगी। 2027 तक सूरत से बिलिमोरा के बीच लगभग 50 किलोमीटर के पहले स्ट्रेच की शुरुआत होगी और 2026 में इसी पहले स्ट्रेच का ट्रायल शुरू होगा।

Image Source : india tvBullet Train Project

मुंबई-अहमदाबाद के हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की लंबाई 508.17 किमी है, वहीं ये सफर बुलेट ट्रेन के ज़रिए कुछ स्टॉप्स के साथ 2.07 घंटे और सभी स्टॉप्स के साथ 2.58 घंटे में तय हो पाएगा। मुंबई-अहमदाबाद के बीच कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें से 8 गुजरात में वहीं 4 महाराष्ट्र में होंगे। गुजरात में ये ट्रेन एलिवेटिड वहीं महाराष्ट्र में अंडर ग्राउंड चलेगी, महाराष्ट्र में ये ट्रेन समुद्र के नीचे भी चलेगी।
स्टेशन: गुजरात- वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद, साबरमती
महाराष्ट्र- मुंबई (बीकेसी), ठाणे, विरार, बोईसर

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बुलेट ट्रेन चलाने के लिए ज़मीन पर क्या काम हो रहा है, इसका जायज़ा इंडिया टीवी की टीम ने लिया। सबसे पहले सूरत स्टेशन की साइट के कंस्ट्रक्शन साइट पर पहुंचे। तस्वीरों में दिखाई जा रही डिज़ाइनिंग को ज़मीन पर एग्ज़ीक्यूट किया जा रहा है। ये दो फ्लोर का स्टेशन होगा, ग्राउंड फ्लोर पर कॉनकोर्स, वहीं दूसरे फ्लोर पर प्लेटफॉर्म होंगे। स्टेशन में वेटिंग एरिया, पार्किंग, कैंटीन, नर्सिंग एरिया आदि सुविधाएं उपल्बध होंगी। हाई स्पीड कॉरिडोर को बनाने के लिए कुल 25 कास्टिंग यार्ड बनाए जा रहे हैं, जिनमें में से 12 पहले ही बनाए जा चुके हैं। इन कास्टिंग यार्ड में गार्डर्स बनाए जाते हैं जिन पर बुलेट ट्रेन के ट्रैक बिछाए जाएंगे। सूरत में स्थित सबसे बड़े कास्टिंग यार्ड में बड़ी-बड़ी गार्डर लॉन्चिंग मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी तकनीक का भारत में पहली बार इस्तेमाल हो रहा है।

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यूं तो बुलेट ट्रेन का काम 2023 तक पूरा होना था लेकिन कई वजहों से इस प्रोजेक्ट में देरी होती रही। इसकी एक बड़ी वजह जमीन अधिग्रहण है। गुजरात में 99 फीसदी भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है और तेज गति से निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन महाराष्ट्र में अभी सिर्फ 68 फीसदी जमीन ही इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे को मिली है। दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी और राज्य सरकार के बीच बिगड़े राजनीतिक समीकरण का असर इस प्रोजेक्ट पर पड़ता रहा जिसके चलते मुंबई में प्रोजेक्ट के लिए जमीन हासिल करना रेलवे के लिए एक बड़ी चुनौती रहा। हालात ये रहे कि बुलेट ट्रेन के मुंबई कुर्ला टर्मिनल का टेंडर  NHSRCL को 11 बार रद्द करना पड़ा।

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बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट का काम जमीन के साथ-साथ नदियों पर भी तेजी से चल रहा है। गुजरात में लगभग 20 पुल नदियों पर बनाए जा रहे हैं जिनमें दमन गंगा, नर्मदा, माही, साबरमती, तापी, कावेरी, अंबिका आदि नदियां शामिल हैं। अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करके इन नदियों पर पिलर बनाकर पटरियां बिछाने के काम किया जा रहा है। NHSRCL के मुताबिक जुलाई 2024 तक ये सभी पुल बनकर तैयार हो जाएंगे ताकि उसके बाद इन पर पटरियां बिछाने का काम हो सके।

बुलेट ट्रेन के कोच जापान में तैयार होंगे और वहां से एयरलिफ्ट करके भारत लाए जाएंगे। कुछ कोच पुरे वहीं से तैयार होकर लाए जाएंगे, वहीं कुछ के पार्ट्स को भारत लाकर असेंबल किया जाएगा। जापान के सहयोग से चल रहे इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद जापान इसकी तकनीक को भारत को ट्रांसफर भी करेगा ताकि भारत पहली बुलेट ट्रेन चलाने के बाद और प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू कर सके।

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