Places of worship act: पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर सामने आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है। अदालत ने इन याचिकाओं इसी वर्ष 11 अक्टूबर से सुनवाई करने का फैसला लिया है। तीन जजों की बेंच इस अहम मसले की सुनवाई करेगी।
जिला अदालतों में सुनवाई पर रोक नहीं
अदालत की ओर से इन याचिकाओं को लेकर नोटिस भी जारी किए गए हैं। अर्जी दाखिल करने वाले एक याची ने काशी और मथुरा की अदालतों ने इसी अधिनियम का जिक्र करते हुए फैसले सुनाए हैं। हालांकि चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि शीर्ष अदालत काशी और मथुरा की अदालतों की ओर से जारी सुनवाई पर रोक नहीं लगाएगी। उन्होंने कहा कि जिला अदालतों में चल रही सुनवाइयों को जारी रखने दिया जाए।
Image Source : PTISupreme Court
सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय
याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में अब तक केंद्र सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। यही नहीं सॉलिसिटर जनरल ने इस मामले में जवाब देने के लिए और ज्यादा वक्त की मांग की है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
पूजा स्थल अधिनियम को संसद से 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था। 1991 में लागू किया गया यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्णजन्मभूमि-ईदगाह प्रकरण की सुनवाई में इस अधिनियम का कई बार जिक्र हुआ है। ऐसे में कई अहम मामलों में यह कानून महत्वपूर्ण हो गया है।
Latest India News