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Hindi News भारत राष्ट्रीय खुद को उपराष्ट्रपति नायडू बताकर एक शख्स भेज रहा है व्हाट्सऐप मैसेज, कई VIP से मांगी वित्तीय मदद

खुद को उपराष्ट्रपति नायडू बताकर एक शख्स भेज रहा है व्हाट्सऐप मैसेज, कई VIP से मांगी वित्तीय मदद

प्रशासनिक और वीआईपी लोगों के नाम पर साइबर ठगी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। खुद को उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू बताकर एक व्यक्ति वीआईपी सहित कई लोगों को व्हाट्सऐप संदेश भेज रहा है। 

A thug sending fake messages in the name of Vice President Naidu.- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE A thug sending fake messages in the name of Vice President Naidu.

Highlights

  • खुद को उपराष्ट्रपति बताकर शख्स कर रहा ठगी
  • कई वीआईपी लोगों को भेज रहा व्हाट्सऐप संदेश
  • उपराष्ट्रपति सचिवालय ने लोगों को किया आगाह

नई दिल्ली। प्रशासनिक और वीआईपी लोगों के नाम पर साइबर ठगी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। खुद को उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू बताकर एक व्यक्ति वीआईपी सहित कई लोगों को व्हाट्सऐप संदेश भेज रहा है। ये शख्स व्हाट्सऐप मैसेज पर मदद और वित्तीय सहायता की मांग कर रहा है। राष्ट्रपति कार्यालय ने शनिवार को यह जानकारी दी। 

एक आधिकारिक बयान में, उपराष्ट्रपति सचिवालय ने लोगों को आगाह किया कि यह व्यक्ति मोबाइल नंबर 9439073183 से व्हाट्सऐप संदेश भेज रहा है। इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसी आशंका है कि इस तरह के फर्जी संदेश और भी नंबरों से आ सकते हैं।’’ बयान में कहा गया है कि कई वीआईपी को ऐसे व्हाट्सऐप संदेश भेजे गये हैं। बयान में कहा गया, ‘‘उपराष्ट्रपति के संज्ञान में मामला लाए जाने के बाद उपराष्ट्रपति सचिवालय ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को सतर्क कर दिया है।’’ 

बताते चलें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरेली से भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है जहां एक साइबर ठग खुद को बरेली का जिलाधिकारी बताकर विभाग के ही अधिकारियों को चूना लगाने की कोशिश कर रहा था।  पुलिस के अनुसार एक साइबर ठग ने खुद को बरेली का जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी बताते हुए व्हाट्सएप कॉल के जरिये सिटी मजिस्ट्रेट और सभी उप जिलाधिकारियों से ई-गिफ्ट वाउचर की मांग की। 

पुलिस ने बताया कि ठग ने अधिकारियों को मैसेज लिखा, "फोन न करना, मीटिंग में हूं, किसी को गिफ्ट भेजना है, इसलिए दस-दस हजार रुपये के दस अमेजन ई-गिफ्ट वाउचर भेज दो।" उन्होंने बताया कि संदेह होने पर उप जिलाधिकारी (सदर) ने जिलाधिकारी कार्यालय से संपर्क किया तो पता चला कि वह वहां बैठे हैं, इसके बाद सभी अधिकारियों को संबंधित नंबर से आने वाली कॉल से सतर्क किया गया।

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