Parliament Monsoon Session: सोनिया गांधी पर हुई टिप्पणी राज्यसभा कार्यवाही से हटाई गई, खड़गे ने की थी मांग
Parliament Monsoon Session: सभापति एम वेंकैया नायडू के आदेश पर 28 जुलाई को वित्त मंत्री सीतारमण के राज्यसभा में दिए गए भाषण के कुछ अंशों को कार्यवाही से निकाल दिया गया है।
Highlights
- भाषण के कुछ अंशों को राज्यसभा की कार्यवाही से निकाल दिया गया
- दोनों मंत्रियों को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए: मल्लिकार्जुन खड़गे
- आसन निष्पक्ष हैं और यह आरोप लगाना गलत है: पीयूष गोयल
Parliament Monsoon Session: राज्यसभा में सोमवार को नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल एवं निर्मला सीतारमण की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में 28 जुलाई को की गई टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए और इन दोनों मंत्रियों को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद में निर्मला सीतारमण के उस भाषण के कुछ अंशों को राज्यसभा की कार्यवाही से निकाल दिया गया।
राज्यसभा सचिवालय की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, सभापति एम वेंकैया नायडू के आदेश पर 28 जुलाई को वित्त मंत्री सीतारमण के राज्यसभा में दिए गए भाषण के कुछ अंशों को कार्यवाही से निकाल दिया गया है। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने आज राज्यसभा में यह प्रसंग उठाते हुए कहा कि वह 'प्रक्रियागत अनियिमतता' से जुड़े एक गंभीर मामले को उठाना चाहते हैं।
'दोनों मंत्रियों द्वारा प्रयुक्त किए गए उन शब्दों को निकालने और माफी की मांग की है'
उन्होंने कहा कि उन्होंने 29 जुलाई को राज्यसभा के सभापति को एक पत्र भेजा था। उन्होंने कहा कि इस पत्र में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण एवं पीयूष गोयल ने 28 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का जो जिक्र किया था, उसका सदंर्भ दिया गया है। खड़गे ने कहा, "वह (सोनिया गांधी) अन्य सदन की सदस्य हैं और उनके नाम का जिक्र किया जाना काफी समय से चली आ रही संसदीय परिपाटी का घोर उल्लंघन है। मैंने उपरोक्त जिक्र में श्रीमती निर्मला सीतारमण और श्री गोयल की ओर से प्रयुक्त किए गए उन शब्दों को निकालने और दोनों से माफी की मांग की है।"
इस पर पीठासीन उपाध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर सभापति निर्णय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि सभापति निर्णय करने में कितना समय लगाएंगे, क्योंकि उन्होंने 29 जुलाई को ही पत्र दिया था। उन्होंने कहा कि यह सदन की पुरानी परिपाटी से जुड़ा एक अहम मामला है।
यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष आसन पर आक्षेप लगा रहे: गोयल
पीठासीन उपाध्यक्ष कालिता ने उनसे कहा कि यह काम सभापति पर छोड़ दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह उनके समक्ष विचाराधीन है। इस मुद्दे पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष आसन पर आक्षेप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आसन निष्पक्ष हैं और यह आरोप लगाना गलत है कि सदन में व्यवस्था नहीं होने के बावजूद विधेयक को पारित करवाया गया।
'सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच दो विधेयकों पर चर्चा करवाई गई'
गोयल ने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य शांत बैठे हैं और विपक्ष के कुछ सदस्य सदन में व्यवस्था नहीं बनने दे रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष के सदस्य यह सब महंगाई के मुद्दे पर चर्चा से बचने के लिए कर रहे हैं और वे इस चर्चा से भागना चाहते हैं। सदन के नेता ने दावा किया कि विपक्षी सदस्य इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि सरकार ने महंगाई को रोकने के लिए बहुत प्रभावी एवं ठोस कदम उठाए हैं।
इससे पहले खड़गे ने सदन में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के विरोध की ओर इशारा करते हुए पीठासीन उपाध्यक्ष से कहा था कि इस तरफ (विपक्ष) के सदस्यों की बात नहीं सुनी जा रही, जबकि उस तरफ (सत्ता पक्ष) के सदस्यों की बात सुनी जा रही है। उनका संकेत इस बात की ओर था कि सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच दो विधेयकों पर चर्चा करवाई गई। सदन में आज हंगामे के बीच कुछ विपक्षी सदस्यों ने जब व्यवस्था का प्रश्न उठाना चाहा, तो पीठासीन अध्यक्ष ने उनसे कहा कि जब सदन में व्यवस्था ही नहीं है, तो वे व्यवस्था का प्रश्न कैसे उठा सकते हैं। कालिता ने कहा कि नियमों के अनुसार, आसन के समक्ष आए सदस्य अपने नियत स्थानों पर जाकर ही इस तरह का प्रश्न उठा सकते हैं।