Operation Ganga: गोलीबारी की दहशत, कड़कड़ाती ठंड में मीलों का पैदल सफर, तब जाकर मिला वतन में आने का सुकून
यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय छात्रों की वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक एक हजार से भी अधिक नागरिकों को यूक्रेन से निकाला जा चुका है।
Highlights
- पोलैंड के साथ ही रोमानिया और हंगरी के रास्ते किया जा रहा रेस्क्यू
- यूक्रेन के नागरिकों के पलायन के कारण भारतीयों की वापसी में आ रही अड़चनें
- रूस सीमा से भी भारतीयों को वापस लाने की तलाशी जा रही संभावनाएं
Operation Ganga: यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद भारत की सबसे बड़ी चिंता यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को लाने की रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से चर्चा में भी भारतीय छात्रों के वहां फंसे होने का जिक्र प्रमुखता से किया था। जब युद्ध की विभिषिका बढ़ी तो यूक्रेन के लिए उड़ानें कैंसिल हो गईं। तब पड़ोसी देशों के रास्ते से भारतीय छात्रों को आॅपरेशन गंगा के तहत लाने की कवायदें शुरू हुईं। कई फ्लाइट्स दिल्ली और मुंबई छात्रों को लेकर आ चुकी हैं। वहीं कुछ छात्र अब भी यूक्रेन में फंसे हैं।
पीएम मोदी ने आज सुबह हाईलेवल की मीटिंग की है। इसमें यह तय किया गया कि भारत के 4 मंत्री यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जाएंगे। इन मंत्रियों में किरन रिजीजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया, हरदीपपुरी और जनरल वीके सिंह शामिल हैं। उधर, भारतीयों को सकुशल देश वापस लाने पर विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने कहा कि यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय छात्रों की वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक एक हजार से भी अधिक नागरिकों को यूक्रेन से निकाला जा चुका है। जानकारी के अनुसा अब तक यूक्रेन से 1156 के करीब भारतीयों को रेस्क्यू किया गया है। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग ने भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यूक्रेन में 15 हजार से ज्यादा छात्र फंसे हुए हैं। हालांकि इन स्टूडेंट्स की वतन वापसी के लिए 'ऑपरेशन गंगा' जारी है।
रोमानिया और हंगरी के रास्ते किया जा रहा रेस्क्यू
विदेश सचिव के अनुसार पूर्वी यूक्रेन में जहां युद्ध हो रहा है, वहां फंसे लोगों को सलाह दी जा चुकी है कि वे सावधानी से पश्चिमी हिस्से की तरफ बढ़ें, ताकि रोमानिया और हंगरी की सीमाओं से उन्हें निकाला जा सके। उन्होंने कहा कि चार फ्लाइटें अब तक भेजी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध क्षेत्र में फंसे लोगों की वापसी के लिए रूस और यूक्रेन के राजदूतों से भी बात की गई है।
भारतीय छात्रों को लाने में कहां आ रही हैं अड़चनें?
भारत ने इंटरनेशनल रेडक्रॉस सोसाइटी से भी मदद के लिए बात की है। यूक्रेन, रोमानिया, पोलैंड, स्लोवाक एवं हंगरी दूतावास भी इस अभियान में जुटे हैं। पोलैंड सीमा की तरफ बड़े पैमाने पर यूक्रेन के नागरिकों के पलायन के कारण भारतीयों की वापसी में मुश्किल आ रही है। वहां बड़े पैमाने पर लोग जमा हैं जिनमें भारतीय नागरिक और छात्र भी फंसे हुए हैं। भारतीय दूतावास उनके संपर्क में हैं। इन्हें उसकराड से हंगरी के जरिये ट्रेन या रोड से निकालने की योजना पर काम चल रहा है। अभी हंगरी और रोमानिया सीमा से नागरिकों की वापसी हो रही है।
रूस के रास्ते भी भारतीयों को लाने का प्लान
रूस सीमा के जरिये भी भारतीयों को वापस लाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। मास्को स्थित भारतीय दूतावास की एक टीम को इस काम में तैनात किया गया है। रूस के राजदूत ने भी इस मामले में मदद का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन से फंसे भारतीय नागरिकों एवं छात्रों को वापस लाने के लिए शुरू किए गए ऑपरेशन गंगा के तहत करीब 15 हजार लोगों को भारत लाने की योजना है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास काम कर रहा है। वह प्रत्येक नागरिक की वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है।
पोलैंड ने भारतीयों को बिना वीजा के प्रवेश की अनुमति दी
भारत में पोलैंड दूतावास ने कहा कि पोलैंड संघर्ष ग्रस्त यूक्रेन से निकलने वाले सभी भारतीय नागरिकों को बिना वीजा के अपने देश में प्रवेश की अनुमति दे रहा है। भारत में पोलैंड के राजदूत एडम बुराकोव्स्की ने अपने ट्विटर हैंडल पर यह जानकारी साझा की।
युद्ध के बीच कंपकंपाती ठंड भी बनी भारतीयों के लिए चुनौती
भारतीय छात्रों को यहां भारत पहुंचने की कोशिशों के बीच युद्ध की स्थिति के अलावा कड़कड़ाती ठंड को झेलने की भी चुनौती है। कई छात्रों को यूक्रेन से पोलेंड सीमा तक पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर बस में और फिर बाद में 20 किलोमीटर कड़कड़ाती सर्दी में पैदल चलना पड़ा है। लंबी कतारों में भारत आने का इंतजार बना रहा है।