उमर अब्दुल्ला ने किया दावा- "हमारी सरकार आई तो जम्मू-कश्मीर में रद्द कर देंगे यह कानून"
Omar Abdullah on Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) अगर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में आती है तो वह पहले ही दिन विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (पीएसए) निरस्त कर देगी।
Omar Abdullah on Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) अगर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में आती है तो वह पहले ही दिन विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (पीएसए) निरस्त कर देगी। उमर ने अरुणाचल प्रदेश में भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि दोनों देशों को अपने रिश्तों में सुधार के लिये काम करना चाहिए। उमर ने अनंतनाग जिले के डूरू में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘उन्होंने (केंद्र ने) केवल उन्हीं (पुराने) कानूनों को यहां बनाये रखा, जिसका इस्तेमाल लोगों के उत्पीड़न में किया जा सकता हो। देश में कहीं भी (जन) सुरक्षा कानून नहीं है। केवल जम्मू कश्मीर में यह कानून है।
अब्दुल्ला ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है और दोबारा कह रहा हूं जब नेशनल कांफ्रेंस की सरकार आएगी तो पहले ही दिन इस कानून को निरस्त कर दिया जाएगा।’’ नेकां संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की अगुवाई वाली सरकार ने 1978 में लकड़ी की तस्करी रोकने के लिए जन सुरक्षा कानून लागू किया था। बिना मुकदमा चलाए दो साल तक हिरासत में रखने के प्रावधान वाले इस कानून का इस्तेमाल 1990 के बाद आतंकवादियों और अलगाववादियों के खिलाफ किया गया। केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और 2019 में जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद राज्य विधानसभा द्वारा पारित बड़ी संख्या में कानूनों को हटा दिया था। हालांकि पीएसए उन कुछ कानूनों में से एक है जिसे बरकरार रखा गया है। अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में एक मुद्दा होगा, जो केंद्र के अगस्त 2019 के कदम के बाद पहली बार होगा।
अब्दुल्ला ने लगाया नौकरियां छीनने का आरोप
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘यह जाहिर है कि यह चुनाव महज बिजली, सड़क, पानी के मुद्दे पर नहीं लड़ा जाएगा। पांच अगस्त 2019 के बाद से जो कुछ भी हुआ है, वह चुनावों में एक मुद्दा होगा। देखते हैं कि लोगों का फैसला क्या होता है।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू कश्मीर के लोगों की पहचान और हितों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगी। उन्होंने केंद्र पर जम्मू कश्मीर में बाहरी लोगों को लाकर स्थानीय लोगों के संसाधन तथा नौकरियां छीनने का आरोप लगाया। उमर ने दावा किया,‘‘खनिजों के खनन के ठेके बाहरी लोगों को दिए गए। यहां तक कि पत्र पहुंचाने वाले डाकिये भी दूसरे स्थानों से लाये जाएंगे। हमारे युवाओं को इन नौकरियों के योग्य नहीं समझा जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इन चीजों पर कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन उन्हें हमारे युवाओं को ले जाना चाहिए और उन्हें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्यों में नौकरियां देनी चाहिए। उन्हें हमारे ठेकेदारों को पंजाब में खनन करने की अनुमति देनी चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे।’’ नेकां नेता ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जम्मू कश्मीर की जमीन और संसाधन केवल स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित रहे।
अब्दुल्ला ने कहा पड़ोसी नहीं बदल सकते
चीन-भारत तनाव पर अब्दुल्ला ने कहा कि दोनों देशों को रिश्तों में सुधार के लिये साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने हालांकि कहा कि चीन को भी भारत के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने अनंतनाग जिले के डूरू में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अपने पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध नहीं बना पा रहे हैं। पाकिस्तान के साथ हमारे संबंधों की स्थिति सभी जानते हैं लेकिन चीन के साथ भी संबंध नहीं बन पा रहे हैं। चीन लद्दाख से पूरी तरह वापस नहीं गया है और अब अरुणाचल प्रदेश में झड़प की खबरें आ रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि पड़ोसियों के साथ संबंधों पर ‘वाजपेयी नीति’ भारत के लिए आदर्श होगी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे (प्रधानमंत्री अटल बिहारी) वाजपेयी के शब्द याद हैं जो कहा करते थे कि ‘हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं’। हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते लेकिन हम उनके साथ अपने संबंध सुधार सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंध सुधारने की जिम्मेदारी चीन की भी है। उन्होंने कहा, ‘‘ताली दोनों हाथों से बजती है। चीन को भी हमारे देश के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी।’