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Hindi News भारत राष्ट्रीय ओडिशा ट्रेन हादसा: बेटे को मुर्दाघर से निकालकर पिता ने दी नई जिंदगी, सब कह रहे थे- वो मर चुका है

ओडिशा ट्रेन हादसा: बेटे को मुर्दाघर से निकालकर पिता ने दी नई जिंदगी, सब कह रहे थे- वो मर चुका है

ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे के बाद विश्वजीत को मरा हुआ समझकर मुर्दाघर में रखा गया था।उनके शरीर में कोई मूवमेंट नहीं थी, इसलिए उसे मरा हुआ मान लिया गया था। लेकिन उनके पिता हेलाराम मलिक ने उनके शरीर को ढूंढा और फिर उनका बेहतर इलाज करवाया। विश्वजीत अब जिंदा हैं और पिता का शुक्रिया अदा कर रहे हैं।

Odisha train accident- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE/PTI मरा हुआ समझकर लड़के को मुर्दाघर में रखा गया था

बालासोर: कई बार लोग ये शिकायत करते हैं कि पिता बहुत सख्त होते हैं लेकिन सच तो ये है कि मां की तरह पिता की ममता कई बार दिखाई नहीं देती लेकिन एक पिता अपने कलेजे के टुकड़े के लिए क्या-क्या करता है, इसका एक जीता-जागता उदाहरण सामने आया है। हालही में ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसा हुआ था। ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना के मुताबिक, इस हादसे में अब तक कुल 288 लोगों की मौत हो चुकी है। इन्हीं मौतों में एक और नाम जुड़ा था, जिसे मुर्दाघर में रखा गया था लेकिन एक पिता की इच्छाशक्ति की वजह से ये नाम अब मरे हुए लोगों की लिस्ट में नहीं है और अब वह जिंदा है।

क्या है पूरा मामला

ये पूरा मामला 24 साल के विश्वजीत और उनके पिता हेलाराम मलिक से जुड़ा हुआ है। ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे के बाद विश्वजीत को मरा हुआ समझ लिया गया था और उनके शरीर को बाहानगा हाई स्कूल में बने अस्थायी मुर्दाघर में रखा गया था। वहीं हावड़ा जिले के रहने वाले विश्वजीत के पिता हेलाराम मलिक ओडिशा हादसे के बाद अपने बेटे को लगातार फोन लगा रहे थे। लेकिन ये फोन उठ नहीं रहा था। ऐसे में हेलाराम मलिक 253 किलोमीटर का सफर करने के बाद ओडिशा के बालासोर जिले पहुंचे और अपने बेटे को ढूंढने की कोशिश करने लगे। उन्होंने कई हॉस्पिटल में जाकर देखा लेकिन उनका बेटा नहीं मिला। इसके बाद वह बाहानगा हाई स्कूल में बने अस्थायी मुर्दाघर पहुंचे, जहां उनके बेटे का बेसुध शरीर दिखा। उन्हें महसूस हुआ कि उनका बेटा अभी जिंदा है।

विश्वजीत का शरीर नहीं कर रहा था हरकत, पिता को था सही होने का विश्वास

हेलाराम मलिक अपने बेटे को मुर्दाघर से निकालकर बालासोर अस्पताल ले गए और फिर कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल ले आए। विश्वजीत की कई हड्डियों में चोट लगी थी और एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर सेंटर में उसकी दो सर्जरी की गईं। एसएसकेएम अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि विश्वजीत के शरीर ने शायद हरकत करनी बंद कर दी होगी, जिसकी वजह से लोगों ने समझ लिया कि उसकी मौत हो चुकी है।

सीएम ममता बनर्जी ने की विश्वजीत से मुलाकात

सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसएसकेएम अस्पताल में विश्वजीत और अन्य घायलों से मुलाकात की। हेलाराम ने कहा, 'मैं अपने बेटे को वापस पाने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं। जब मैंने सुना कि विश्वजीत की मौत हो चुकी है, तो मेरे दिमाग में जो चल रहा था, मैं समझा नहीं सकता। मैं यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि वह अब इस दुनिया में नहीं है और उसे ढूंढता रहा।'

जिस विश्वजीत को सभी ने मरा हुआ समझ लिया था, उसका भी बयान सामने आया है। उसने कहा, 'मुझे नया जीवन मिला है। मैं अपने पिता का कर्जदार हूं। वह मेरे लिए भगवान हैं और उन्हीं की वजह से मुझे यह जिंदगी वापस मिली है। मेरे लिए बाबा ही सबकुछ हैं।' 

विश्वजीत कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहा था, जो दो जून को शाम सात बजे एक मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसके बाद उसके ज्यादातर डिब्बे पटरी से उतर गए थे। उसी समय वहां से गुजर रही बेंगलुरु हावड़ा एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे भी कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकराने के बाद पटरी से उतर गए थे। इस दुर्घटना में कुल 288 यात्रियों की मौत हुई है, जबकि 1,200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। (इनपुट: भाषा)

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