ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे को कई दिन बीत चुके हैं। इस हादसे में 288 यात्रियों की मौत हो गई थी। इस हादसे में मारे गए लोगों में से 29 लोगों के शवों की पहचान अबतक नहीं हो सकी है। ये शव भुवनेश्वर एम्स में अब भी रखे हुए हैं। ईस्ट कोस्ट रेलवे के सीपीआरओ बिश्वजीत साहू ने कहा कि हम जनता से लगातार अपील कर रहे हैं कि वे अपने डीएनए परीक्षण के लिए आगे आएं ताकि अगर परिवार में कोई लापता है, तो वह एम्स में डीएनए दे सके। कुछ डीएनए अभी भी प्रक्रियाधीन हैं। कुछ नमूने परीक्षण के लिए गए हैं और यह एक सतत प्रक्रिया है।
29 मृतकों की अब भी नहीं हो सकी पहचान
बता दें कि 2 जून को हुए हादसे में कई लोगों की जानें चली गई थीं और कई लोग घायल हुए थे। इस बीच कई ऐसे मामले सामने आए ते जहां यह बताया गया कि शव को गलत परिवार को सौंप दिया गया है। ऐसा ही मामला पश्चिम बंगाल से सामने आया जहां एक शख्स ने आरोप लगाया था कि उसके 22 साल के बेटे का शव बिहार के लोगों को सौंप दिया गया। बता दें कि तीन ट्रेनों में हुई भिडंत के कारण 288 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच 6 जून को सीबीआई को सौंपी गई थी। बालासोर ट्रेन दुर्घटना में तीन ट्रेन- शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थी।
सीबीआई कर रही मामले की जांच
बालासोर में हुए रेल हादसे के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। जिसके बाद मामले की जांच के लिए जांच के लिए 10 सदस्यीय टीम घटनास्थल पर पहुंची। टीम के साथ में फोरेंसिक टीम भी पहुंची। इस दौरान सीबीआई की टीम ने घटनास्थल से अहम सबूत भी जुटाए। बता दें कि रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ओडिशा ट्रेन एक्सीडेंट की जांच CBI से किए जाने की बात कही थी, जिसके बाद CBI की एक टीम एक्सीडेंट साइट पर पहुंची थी। बालासोर रेलवे पुलिस ने इस मामले में 3 जून को FIR दर्ज की थी।
(इनपुट-आईएएनएस)
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