Odisha News: ओडिशा के कोरापुट जिले की एक जेल में बंद बलराम सिरा शायद देश का सबसे उम्रदराज दोषी है और उन नियमों के बावजूद सजा काट रहा है, जिनमें कहा गया है कि ऐसे बुजुर्ग कैदी जो अपराध करने में अक्षम हैं, उन्हें 60 महीने की कैद के बाद समय से पहले रिहा किया जा सकता है। सिरा की उम्र आधिकारिक तौर पर 92 वर्ष है, लेकिन परिवार वालों का कहना है कि उसकी उम्र 96 वर्ष है।
भूमि विवाद को लेकर हुई हत्या के मामले में किया था अरेस्ट
वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए सिरा पिछले कुछ सालों से जेल के अस्पताल में भर्ती है। बोरीगुम्मा पुलिस थाना क्षेत्र के डेंगापडार गांव के सिरा को भूमि विवाद को लेकर हुई हत्या के मामले में 2013 में गिरफ्तार किया गया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 22 जनवरी 2015 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
'कैदी के जिंदा बाहर आने की कोई उम्मीद नहीं है'
सिरा की रिहाई की पैरवी करने वाले अनिल धीर कहते हैं कि मार्च 2013 से विचारधीन कैदी के तौर पर और इसके बाद सजायाफ्ता मुजरिम के तौर पर सिरा साढ़े 9 साल से सलाखों के पीछे है। उन्होंने रविवार को कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों से सिरा जेल के अस्पताल में है और वृद्धावस्था से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहा है और उसके जिंदा बाहर आने की कोई उम्मीद नहीं है।’’
कोरापुट जेल के जेलर लालतेंदु भूषण दास ने कहा कि जेल प्राधिकरण पहले ही राज्य सजा समीक्षा बोर्ड से सिरा की रिहाई की सिफारिश कर चुका है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का परिवार जहां पहले रहता था, वहां से चला गया है इसलिए रिहाई के लिए पुलिस जांच नहीं हो पा रही है।
107 वर्षीय कैदी की हुई थी रिहाई
बता दें कि इससे पहले साल 2017 में 107 साल की उम्र के कैदी को रिहा किया गया था। 107 वर्षीय चौथी यादव की गोरखपुर जेल से रिहाई के बाद उसके बेलाओं गांव में दीवाली जैसा माहौल था। भारत में सबसे ज्यादा उम्र के कैदी चौथी यादव को 38 साल पुराने हत्या मामले में 14 साल की सजा काटने के बाद रिहा किया गया था।
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