Odisha News: ओडिशा के बरहमपुर के एक हॉस्पिटल में 30 साल की महिला का शव कई घंटे तक पड़ा रहा क्योंकि परिवार के पास शव को घर ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में बीजू जनता दल (बीजद) विधायक बिक्रम कुमार पांडा परिवार की मदद के लिए आगे आए। रोजी सांटा को 5 दिन पहले बरहमपुर के एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उसे एक बच्ची को जन्म देने के बाद हालत गंभीर होने पर आदिवासी बहुल कोरापुट जिले के एक हॉस्पिटल से बरहमपुर में भर्ती कराया गया था। बगडेरी गांव की रहने वाली रोजी की शुक्रवार सुबह इलाज के दौरान मौत हो गई।
उसके पति नरुला सांटा को इस बात की फिक्र थी कि कई घंटे से हॉस्पिटल में रखे शव को करीब 370 किलोमीटर दूर अपने घर तक कैसे ले जाएं क्योंकि उसके पास शव वाहन का किराया देने के पैसे नहीं थे। पांडा ने कहा, ‘‘हम शव रखे होने की सूचना मिलने के तुरंत बाद मेडिकल कॉलेज पहुंचे और पीड़ित से मुलाकात की। हमने शव को उसके गांव ले जाने के लिए बरहमपुर नगर निगम की एक वैन की व्यवस्था की।’’
बीजद विधायक ने पीड़ित व्यक्ति की आर्थिक मदद भी की, जिससे वह इतने लंबे सफर के दौरान नवजात बच्ची को कुछ पिला सकें। बच्ची की हालत अब ठीक है। विधायक ने शवों को शवदाह गृहों तक ले जाने में लोगों की मदद करने के लिए अपनी स्थानीय निधि से चार शव वाहन दान दिए थे। उन्होंने कहा, ‘‘जन प्रतिनिधि होने के नाते जरूरतमंदों की मदद करना मेरा कर्तव्य है।’’
मध्य प्रदेश के मुरैना से भी सामने आया था ऐसा ही मामला
कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के मुरैना से भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था। एक बच्चा हॉस्पिटल के बाहर अपने पिता का इंतजार कर रहा था, जो शव को घर ले जाने के लिए किसी वाहन की व्यवस्था करने गए थे क्योंकि हॉस्पिटल ने गरीब होने की वजह से उसे एंबुलेंस देने से मना कर दिया था। मृत बच्चे के पिता बताते हैं कि उनके पास एंबुलेस लेने के लिए पैसे नहीं थे।
ये पूरी घटना मुरैना जिले के अंबाह के बड़फरा गांव की है। यहां पूजाराम जाटव के दो साल के बेटे राजा के पेट में अचानक दर्द हुआ, जिसके बाद उसे आनन-फानन में मुरैना जिला अस्पताल ले जाया गया। लेकिन राजा को बचाया नहीं जा सका और उसकी मौत हो गई। पूजाराम जाटव अस्पताल के अधिकारियों से शव को अपने गांव ले जाने के लिए एंबुलेंस की गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी। इसके बाद पूजाराम, बच्चे के शव के साथ अस्पताल से बाहर आ गया और सस्ते वाहन की तलाश में भटकने लगा। इस दौरान पूजाराम ने अपने 8 साल के बेटे गुलशन को छोटे भाई के शव के साथ अस्पताल के बाहर ही बैठा दिया और खुद वाहन की व्यवस्था करने के लिए निकल पड़ा। हालांकि अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने एंबुलेंस की व्यवस्था की थी लेकिन तब तक मृतक का पिता अपने घर जा चुका था।
मृत बच्चे के पिता पूजाराम जाटव पंचर की दुकान चलाते हैं। उनके पास पैसों की तंगी है इसलिए वह प्राइवेट एंबुलेंस का खर्चा नहीं उठा सकते थे। जब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा तो वह बच्चे को अस्पताल के बाहर इंतजार करने के लिए छोड़ गए और अपने घर की तरफ व्यवस्था करने के लिए निकल पड़े। पूजाराम का बेटा गुलशन, 2 साल के बच्चे के शव को गोद में रखकर पिता का इंतजार करता रहा। इस दौरान कई राहगीर उधर से गुजरे लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। बाद में जब ये मामला अधिकारियों तक पहुंचा तो पुलिस ने एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की और ड्राइवर को पूजाराम जाटव के घर जाने का निर्देश दिया।
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