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Hindi News भारत राष्ट्रीय मृत पत्नी की याद में पति ने बनवाई 8 लाख रुपए की मूर्ति, ये है खासियत

मृत पत्नी की याद में पति ने बनवाई 8 लाख रुपए की मूर्ति, ये है खासियत

मृत पत्नी की याद में पति ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। इस पति ने अपनी पत्नी की सिलिकॉन की मूर्ति बनवाई है और उसे बनवाने में 8 लाख रुपए खर्च किए हैं। ये मूर्ति बिल्कुल जीवित इंसान की तरह दिखती है।

Husband made a silicone statue of his dead wife- India TV Hindi Image Source : AI/REPRESENTATIVE PIC पति ने बनवाई पत्नी की सिलिकॉन की मूर्ति

ब्रह्मपुर: इंसान अपने प्रेम को यादगार बनाने के लिए तमाम तरह के कदम उठाता है लेकिन ओडिशा के ब्रह्मपुर के एक पति ने अपनी मृत पत्नी की याद में जो किया, उसे देखकर हर कोई हैरान है। इस पति ने न केवल अपनी पत्नी की सिलिकॉन की मूर्ति बनवाई, बल्कि रोज इस मूर्ति का श्रंगार भी उसी तरह किया जाता है, जैसे एक जीवित सुहागन स्त्री करती है।

क्या है पूरा मामला?

कोरोना काल के दौरान दक्षिण ओडिशा के ब्रह्मपुर शहर में एक बिजनेसमैन प्रशांत नायक (उम्र 52 वर्ष) की पत्नी किरण का निधन हो गया था। इन दोनों की शादी साल 1997 में हुई थी और उनके 2 बेटियां समेत 3 बच्चे भी हैं। लेकिन प्रशांत को अपनी पत्नी की इतनी याद आई कि उन्होंने किरण की सिलिकॉन की मूर्ति बनवाई। ये मूर्ति दिखने में बिल्कुल जीवंत है और ऐसा लगता है कि जैसे किरण जीवित हो गई हों।

प्रशांत ने अपनी पत्नी किरण की सिलिकॉन की मूर्ति को अपने ड्राइंग रूम में रखी है। ये सोफे पर बैठी हुई मूर्ति है, जिसे प्रशांत ने अपनी बड़ी बेटी की शादी के दौरान साड़ी और जेवर पहनाए थे। उनकी बेटी महक इस मूर्ति की नियमित देखभाल करती है और मूर्ति की साड़ी और गहनों को बदलती है। महक अभी स्टूडेंट है और MBA की पढ़ाई कर रही है।

प्रशांत का कहना है कि जब भी वह इस मूर्ति को देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि उनकी पत्नी उनके साथ है। प्रशांत ने बताया कि उनके बच्चे चाहते थे कि उनकी मां की एक मूर्ति घर में होनी चाहिए। जिसके बाद उन्होंने अपने बच्चों को किसी अच्छे मूर्तिकार से संपर्क करने के लिए कहा। 

कैसे बनी मूर्ति?

बेंगलुरु के एक मूर्तिकार ने फाइबर, रबर और सिलिकॉन का इस्तेमाल करके इस मूर्ति को एक साल में तैयार किया। इस मूर्ति की कुल लागत करीब आठ लाख रुपए है। ये मूर्ति बड़ी बेटी की शादी से पहले घर में लाई गई थी, जिससे किसी को अपनी मां की कमी महसूस ना हो। 

प्रशांत के बच्चों का कहना है कि अब उन्हें लगता है कि उनकी मां हमेशा उनके साथ हैं। (इनपुट: भाषा)

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