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OBC Reservation: गुजरात चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव से OBC आरक्षण हटाने का आदेश दिया

OBC Reservation: राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने गुजरात में 3,200 से अधिक ग्राम पंचायतों के आगामी चुनाव में OBC आरक्षण को हटाने का आदेश दिया है। ग्राम पंचायत चुनावों में 10 फीसदी सीट OBC समुदायों के लिए आरक्षित हैं।

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Highlights

  • राज्य चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव से OBC आरक्षण को हटाने का आदेश दिया
  • गुजरात के पंचायत चुनाव में 10 फीसदी सीट OBC समुदायों के लिए आरक्षित है
  • भाजपा ने कहा कि वह राज्य चुनाव आयोग के आदेश का समर्थन नहीं करेगा

OBC Reservation: उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला देते हुए राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने गुजरात में 3,200 से अधिक ग्राम पंचायतों के आगामी चुनाव में OBC आरक्षण को हटाने का आदेश दिया है। आदेश के बाद भाजपा ने कहा कि वह SEC के निर्देश के बावजूद अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के अधिकारों की रक्षा करेगी जबकि कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर समय रहते कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने अब इस मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिए शुक्रवार को गांधीनगर में पार्टी के OBC नेताओं और विधायकों की तत्काल बैठक बुलाई है। 

गुजरात पंचायत अधिनियम के तहत, ग्राम पंचायत चुनावों में 10 फीसदी सीट OBC समुदायों के लिए आरक्षित हैं। इस महीने की शुरुआत में SEC ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इन 10 फीसदी सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटों में बदलने के लिए कहा था। सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए SEC ने कहा कि अदालत ने मई में सभी राज्य चुनाव आयोगों को निर्देश दिया था कि OBC आयोगों की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करने के बजाय उन्हें चुनाव प्रस्तावित होने पर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करनी चाहिए।

OBC आरक्षण को लेकर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ट्रीपल टेस्ट के बिना OBC आरक्षण नहीं दे सकते। मध्य प्रदेश सरकार पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बगैर कराए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि राजनीतिक पार्टियां सामान्य सीटों पर भी OBC उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाना चाहती है। इसमें जिस वार्ड में OBC की संख्या ज्यादा है, वहां उस वर्ग के लोगों को मैदान में उतारें। 

कोर्ट ने साफ कर दिया कि हमारा यह आदेश न केवल मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तक सीमित है, बल्कि शेष राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों पर भी लागू होगा। इसके आलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह फैसला अंतरिम आदेश है और कोई भी हाईकोर्ट इस आदेश में आड़े नहीं आएंगे। मामले में फाइनल सुनवाई 21 जुलाई को होगी उससे पहले राज्य चुनाव आयोग चुनाव करवा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

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