Nupur Sharma News: सुप्रीम कोर्ट से पिछली बार कड़ी फटकार सुनकर गईं बीजेपी से निलंबित नेता नूपुर शर्मा के लिए मंगलवार का दिन राहत लेकर आया। पैगंबर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाली नूपुर शर्मा पर जजों ने जहां पिछली बार सख्त तेवर दिखाए थे, वहीं इस बार वही जज नरम दिखे। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने नूपुर के पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान को लेकर कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज FIRs के संबंध में 10 अगस्त तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया।
'हम कभी नहीं चाहते थे कि...'
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पारदीवाला ने नूपुर शर्मा की याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान कही गई बातों का खुद ही जिक्र करते हुए कहा कि उसका संदेश सही नहीं गया। जजों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कभी नहीं चाहता था कि नूपुर राहत के लिए हर अदालत का रुख करें। दोनों जजों की बेंच ने उनकी याचिका पर केंद्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों को नोटिस जारी किया और सुनवाई की अगली तारीख 10 अगस्त तक उनसे जवाब मांगा। बेंच ने वर्तमान प्राथमिकियों/शिकायतों के साथ-साथ भविष्य में दर्ज हो सकने वाली प्राथमिकियों/शिकायतों में भी दंडात्मक कार्रवाई से 10 अगस्त तक राहत दे दी।
पहले की थी काफी तीखी निंदा
यह केस 26 मई को एक टीवी डिबेट शो के दौरान पैगंबर पर कथित विवादित टिप्पणी से जुड़ा हुआ है। बेंच ने अपने एक जुलाई के आदेश के बाद नूपुर शर्मा को कथित तौर पर जान से मारने की धमकियां मिलने का भी संज्ञान लिया। अदालत ने अपने एक जुलाई के आदेश में नूपुर के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने से इनकार कर दिया था और उनकी टिप्पणी को लेकर तीखी निंदा की थी। बेंच ने कहा था, नूपुर शर्मा ने अपनी 'बेलगाम जुबान' से 'पूरे देश को आग में झोंक दिया है' और देश में 'जो हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं।'
'नूपुर को जान से मारने की धमकियां मिलीं'
नूपुर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील रखने के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक जुलाई के आदेश के बाद से नूपुर को जान से मारने की धमकियां मिली हैं और यह रिकॉर्ड में आया है कि पाकिस्तान से एक व्यक्ति ने उन पर हमला करने के लिए भारत की यात्रा की है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पटना में कुछ कथित चरमपंथियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका निशाना याचिकाकर्ता थीं। बेंच ने सिंह से पूछा कि क्या ये घटनाएं जिनका वह जिक्र कर रहे हैं, एक जुलाई के आदेश के बाद हुई हैं? वरिष्ठ अधिवक्ता ने इसका जवाब 'हां' में दिया।
'शायद हम सही ढंग से नहीं बता पाए'
नूपुर के वकील ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट चाहता था कि शर्मा राहत के लिए अलग-अलग अदालतों में जाएं, लेकिन बढ़ती धमकियों के कारण उनके लिए अदालतों का दौरा करना मुश्किल हो गया है। बेंच ने कहा, "हमें तथ्यों को सही करना चाहिए। शायद हम सही ढंग से नहीं बता पाए, लेकिन हम कभी नहीं चाहते थे कि आप राहत के लिए हर अदालत में जाएं। हम कभी नहीं चाहते थे कि आपको या आपके परिवार को किसी तरह के खतरे में डाला जाए।"
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