मणिपुर सरकार ने मंगलवार को राज्य में इंटरनेट प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटा दिया और मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध बरकरार रखते हुए ब्रॉडबैंड सेवा को सशर्त अनुमति दे दी। 25 जुलाई के एक आदेश में, राज्य सरकार ने कहा कि लोगों की समस्याओं को देखते हुए इंटरनेट प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाया जा रहा है क्योंकि इससे कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं, रसोई गैस की बुकिंग और अन्य ऑनलाइन-आधारित नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
इंटरनेट की सेवा देने वाली कंपनियों से कहा गया है कि वे ग्राहकों को कोई भी इंटरनेट कनेक्शन देने से पहले निर्धारित प्रारूप में अनिवार्य रूप से शपथ पत्र लेना सुनिश्चित करें। सरकार ने राज्य भर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध बढ़ा दिया और कहा कि "मोबाइल डेटा सेवा के लिए प्रभावी नियंत्रण और नियामक तंत्र की तैयारी तकनीकी रूप से संभव नहीं है और अभी भी आशंका है कि व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुष्प्रचार और झूठी अफवाहें फैल रही हैं।"
बता दें कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद राज्य में पहली बार हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कई सौ लोग घायल हुए हैं, इसके अलावा हजारों लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली है।
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