Big changes in IPC & CRPC: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विभिन्न जघन्यतम अपराधों में संलिप्त अपराधियों को अब इतनी कड़ी से कड़ी और जल्द सजा दिलाने के प्रावधान पर काम कर रहे हैं कि इसके बारे में जानकर शातिरों की रूह कांप जाएगी। खूंखार से खूंखार अपराधियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने और उन्हें सख्त सजा दिलाने के लिए इंडियन पीनल कोड (आइपीसी) यानि भारतीय दंड संहिता और क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (सीआरपीसी) में भी बड़े बदलाव की तैयारी हो चुकी है।
पीएम मोदी और अमित शाह इस बदलाव को हरी झंडी भी दे चुके हैं। अब देश की आजादी से पहले चले आ रहे आइपीसी और सीआरपीसी में व्यापक बदलाव किए जाएंगे। ताकि अपराधी कानून के शिकंजे से किसी भी दांवपेंच से खुद को बचा नहीं सके। इसके लिए राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय की संरचना और उपयोगिता को लगातार मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।
जिले-जिले में फॉरेंसिक साइंस यूनिट पहुंचाने का लक्ष्य
अब छह वर्ष से अधिक की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया जा रहा है। ताकि अपराधी को जल्द सजा दिलाई जा सके। साथ ही यह प्रावधान किसी मामले में फर्जी रूप से फंसाए गए अपराधियों को बचाने का भी काम करेगा। किसी मामले में फर्जी रूप से फंसाए गए आरोपी के खिलाफ फॉरेंसिक जांच में सुबूत नहीं मिलने पर वह इस मकड़जाल से बचकर बाहर भी आ सकेगा। इसका मकसद निर्दोष को बाहर निकालना और अपराधियों को सजा की दहलीज तक पहुंचाना है। इसके लिए सरकार हर जिले में कम से कम एक मोबाइल फॉरेंसिक जांच यूनिट उपलब्ध कराने के लक्ष्य पर काम कर रही है, जिसमें जांच में पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता हो। साथ ही किसी भी तरह से जांच के प्रभावित होने की आशंका न हो।
विकसित देशों की तर्ज पर सजा दिलाने की दर बढ़ाने का लक्ष्य
अमित शाह के अनुसार भारत में अब ऐसी प्रणाली विकसित होने जा रही है, जिससे विकसित देशों से भी अधिक सजा दिलाने की दर को हासिल किया जा सकेगा। इसके लिए बड़ी संख्या में देश में फॉरेंसिक साइंस विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे। साथ ही फॉरेंसिक साक्ष्यों को कानूनी बनाया जाएगा। यह तभी संभव हो सकेगा जब छह साल से अधिक सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य कानून के दायरे में लाया जाए।
आइपीसी और सीआरपीसी में होंगे बड़े बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कानून मंत्रालय अब आइपीसी और सीआरपीसी में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। सरकार का मानना है कि देश को आजादी मिलने के बाद से किसी भी सरकार ने अब तक इन कानूनों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा। अंग्रेजो के समय में बनाए गए कानून को लिहाजा देश बोझ की तरह ढोता आ रहा है। इसलिए अब ऐसे कानूनों को बदलने की जरूरत महसूस की जा रही है। इतना ही नहीं अपराधियों को सजा के मुहाने तक पहुंचाने के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में भी बड़े परिवर्तन किए जाएंगे। इसके लिए कानून मंत्रालय विशेषज्ञों से भी राय ले रहा है।
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दुनिया में होगा भारतीय फॉरेंसिक साइंस का जलवा
पीएम मोदी की महत्वाकांक्षा के अनुरूप भारतीय फॉरेंसिक साइंस के प्रारूप को कुछ इस तरह अत्याधुनिक किया जा रहा है कि यहां ऐसे विशेषज्ञ तैयार हों, जिनके कार्यों की उत्कृष्टता से देश इस क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल कर सके। विश्व स्तरीय फॉरेंसिक साइंस का जलवा दुनिया के मानस पटल पर अंकित हो सके।
कई राज्यों में भारतीय फॉरेंसिक साइंस की ब्रांच शुरू
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी की महत्वाकांक्षा और देश की जरूरतों के मुताबिक भारतीय फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय लगातार अपने दायरे को बढ़ाता जा रहा है। अब तक गोवा, त्रिपुरा, मणिपुर, मध्यप्रदेश और असम में इसके कैंपस शुरू हो गए हैं। कर्नाटक और महाराष्ट्र के पुणे में भी इसकी स्थापना का कार्य तेजी से चल रहा है।
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