चुनाव के नतीजे आने पर इस बात को लेकर चर्चा रहती है कि 'NOTA' यानी 'उपरोक्त में से कोई नहीं' विकल्प को कितने प्रतिशत लोगों ने चुना। रविवार को जिन चार राज्यों में वोटों की गिनती हुई उनके आंकड़े भी सामने आ गए हैं। इनमें से तीन प्रदेशों में एक प्रतिशत से भी कम वोटर्स ने 'नोटा' का विकल्प चुना है। चुनाव आयोग की वेबसाइट से यह जानकारी मिली।
किस राज्य में कितने फीसदी लोगों ने 'नोटा' दबाया?
विधानसभा चुनाव पांच राज्यों में कराए गए हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में मतगणना रविवार को हुई, जबकि मिजोरम में मतगणना सोमवार को होगी। मध्य प्रदेश में हुए 77.15 प्रतिशत मतदान में से 0.98 प्रतिशत वोटर्स ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 1.26 फीसदी मतदाताओं ने EVM पर ‘नोटा’ का बटन दबाया। तेलंगाना में 0.73 फीसदी मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना। राज्य में 71.14 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसी तरह राजस्थान में 0.96 फीसदी मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना। राज्य में 74.62 फीसदी मतदान हुआ।
'नोटा' विकल्प को लेकर क्या बेले प्रदीप गुप्ता?
‘नोटा’ विकल्प पर बात करते हुए ‘कंज्यूमर डेटा इंटेलीजेंस कंपनी’ एक्सिस माय इंडिया के प्रदीप गुप्ता ने कहा कि ‘नोटा’ का इस्तेमाल .01 प्रतिशत से लेकर अधिकतम दो प्रतिशत तक किया गया। उन्होंने कहा कि यदि कोई नई चीज शुरू की जाती है, तो इसकी प्रभावकारिता इसके नतीजे पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सरकार को इस बारे में पत्र लिखा था कि अगर नोटा को सही मायने में प्रभावी बनाना है, तो अधिकतम संख्या में लोगों की ओर से नोटा का बटन दबाए जाने पर नोटा को विजेता घोषित किया जाना चाहिए।"
2013 में शुरू किया गया था 'नोटा' का विकल्प
प्रदीप गुप्ता भारत में अपनाए गए ‘फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट’ सिद्धांत का जिक्र कर रहे थे, जिसमें सर्वाधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन उम्मीदवारों को जनता ने खारिज कर दिया है, उन्हें ऐसी स्थिति में चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जहां ‘नोटा’ को अन्य उम्मीदवारों से अधिक वोट पड़े हों। उन्होंने कहा, ‘‘यदि ऐसा होता है तो लोग नोटा विकल्प का सही उपयोग कर पाएंगे। अन्यथा यह एक औपचारिकता मात्र है।’’ ‘नोटा’ का विकल्प 2013 में शुरू किया गया था।
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