Noida Twin Tower Demolition: ये सावल बहुत सारे लोगों के मन में आया होगा कि दो इमारतों को गिराने के लिए इतना सारा ताम-झाम क्यों किया जा रहा है। क्यों दो ऊंची इमारतों को विस्फोटकों की मदद से ढहाया जा रहा है? क्या टावरों में विस्फोट करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था? नोएडा में सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर को सुरक्षित तरीके से गिराने के लिए दो ही विकल्प थे, पहला विस्फोटक से कुछ सेंकेड में गिरा दिया जाए या फिर तोड़ा जाए जिसमें डेढ़ से दो साल का समय लगता। यह बात विशेषज्ञों ने कही है। यह इमारत करीब 100 मीटर ऊंची है जो कुतुब मीनार से भी ऊंची है।
15 सेकेंड में ताश के पत्तों की तरह गिरेंगे ट्विन टॉवर
ट्विन टावर को गिराने का काम कर रहे एडफिस इंजीनियरिंग के अधिकारी ने बताया कि इसे 28 अगस्त को ‘‘वाटर फॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से सुरक्षित तरीके से गिराया जाएगा। उन्होंने बताया कि एपेक्स टावर (32 मंजिला) और सियान (29 मंजिला) 15 सेकेंड से भी कम समय में ताश के पत्ते की तरह गिरा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा कि आसपास की इमारतों को नुकसान नहीं पहुंचे, जिसमें से एक इमारत महज नौ मीटर की दूरी पर स्थित है। एडफिस के साझेदार उत्कर्ष मेहता ने को बताया कि वे ‘‘150 प्रतिशत’’ आश्वस्त हैं कि ट्विन टावर सुरक्षित और उनके द्वारा परिकल्पित दिशा में गिरा दिए जाएंगे। उन्होंने आसपास की इमारतों में रह रहे लोगों को आश्वस्त किया कि पेंट और प्लास्टर में ‘‘मामूली दरार’’ के अलावा उनके घरों को कोई नुकसान नहीं होगा।
ट्विन टावर को गिराने के थे तीन विकल्प
जब अधिकारी से पूछा गया कि ट्विन टावर को गिराने के लिए उनके पास कितने विकल्प थे, तो मेहता ने कहा कि उनके पास किसी भी ढांचे को गिराने के लिए तीन विकल्प - डायमंड कटर, रोबोट का इस्तेमाल और ‘इम्प्लोजन’ (ध्वस्त करना) है। उन्होंने कहा , ‘‘इमारत को गिराने का तरीका तीन आधारों- लागत, समय और सुरक्षा- पर चुना गया। मेहता ने बताया कि ‘डायमंड कटर’ तकनीक से इमारत को पूरी तरह से गिराने में करीब दो साल का समय लगता और इसपर ‘इम्प्लोजन’ तकनीक के मुकाबले पांच गुना लागत आती। उन्होंने कहा, ‘‘इस तकनीक के तहत ऊपर से नीचे की ओर क्रेन की मदद से प्रत्येक खंभों, दीवारों और बीम को काट-काट कर अलग करना होता।’’
मेहता ने कहा कि रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल करने पर करीब डेढ़ से दो साल का समय लगता और इस दौरान भारी शोर होता जिसकी वजह स एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज में रहने वालों को पेरशानी होती। उन्होंने कहा कि इस तरीके से इमारत गिराने पर डायमंड कटर के मुकाबले कम लेकिन ‘इम्प्लोजन’ के मुकाबले अधिक लागत आती। एडफिस के प्रमुख ने कहा कि चूंकी उच्चतम न्यायालय ने ट्विन टावर को वहां के निवासियों को बिना परेशान किए यथाशीघ्र गिराने का आदेश दिया था, इसलिए ‘इम्प्लोजन’ तकनीक को इसके लिए चुना गया। मेहता ने कहा, ‘‘एडफिस और हमारे दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ साझेदार जेट डेमोलिशंस को पूर्व में केरल के कोच्चि स्थित मराडू कॉप्लेक्स को भी गिराने का अनुभव था, इसलिए भी हमने यह तकनीक चुनी।’’
तीन महीने में हट पाएगा ट्विन टावर का मलवा
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। ट्विन टावर को रविवार को गिराया जाना है और इसके मद्देनजर नजदीकी दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब पांच हजार निवासियों को रविवार सुबह सात बजे अपने-अपने घरों को खाली करने का आदेश दिया गया है। निवासियों को करीब 2700 वाहनों और पालतू जानवरों को भी अपने साथ ले जाना होगा। ट्विन टावर के करीब 500 मीटर के दायरे में किसी भी व्यक्ति या जानवर को जाने की अनुमति नहीं है। दोनों टावर को गिराने के लिए 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक ट्विन टावर को गिराने से 55 से 85 हजार टन मलबा निकलेगा जिसे हटाने में कम से कम तीन महीने का समय लगेगा।
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