Noida Twin Towers: कौन है नोएडा के 'ट्विन टावर' का मालिक? कौन गया था कोर्ट? फाइनल बटन दबने से पहले जानिए 10 सवालों के जवाब
Noida Supertech Twin Towers Demolition: दोनों टावर कुतुब मीनार से भी ऊंचे हैं और इन्हें 15 सेकंड से भी कम समय में ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ढहा दिया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि ये भारत में अब तक की सबसे ऊंची संरचनाएं होंगी जिन्हें ध्वस्त किया जा रहा है।
Highlights
- विस्फोटकों से ढहाए जा रहे ट्विन टावर
- आसपास के घरों को खाली कराया गया
- अवैध तरीके से बनाए गए थे ट्विन टावर
Noida Supertech Twin Towers Demolition: नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर रविवार को ढहाए जा रहे हैं। इसमें बस कुछ ही देर का वक्त बचा है। न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें इन इमारतों पर टिकी हुई हैं। एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत एनडीआरएफ टीम तैनात हैं। दोनों टावर कुतुब मीनार से भी ऊंचे हैं और इन्हें 15 सेकंड से भी कम समय में ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ढहा दिया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि ये भारत में अब तक की सबसे ऊंची संरचनाएं होंगी जिन्हें ध्वस्त किया जा रहा है। इन इमारतों को लेकर आपके जहन में तमाम तरह के सवाल आ रहे होंगे। उनसे जुड़े जवाब आप यहां जान सकते हैं।
1. क्या है ट्विन टावर का इतिहास?
ये पूरी कहानी 23 नवंबर, 2004 से शुरू होती है। उस वक्त नोएडा प्रशासन ने सेक्टर- 93ए के प्लॉट नंबर 4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया था। इसमें ग्राउंड फ्लोर सहित 9 मंजिल के 14 टावर बनाने की मंजूरी थी।
2. कब बढ़ाई गई इन इमारतों की ऊंचाई?
जमीन आवंटित किए जाने के दो साल बाद 29 दिसंबर, 2006 में मंजूरी में संशोधन किया गया। फिर नोएडा प्रशासन ने सुपरटेक को 9 के बजाए 11 मंजिल फ्लैट बनाने की अनुमति दी। साथ में टावरों की संख्या भी बढ़ा दी गई। पहले संख्या 15 थी, फिर 16 की गई। 2009 में एक बार फिर इनकी संख्या बढ़ाई गई। 26 नवंबर, 2009 में नोएडा प्रशासन ने 17 टावर बनाने के लिए नक्शा पास किया। जिसके बाद अनुमति लगातार बढ़ाई जाती रही।
3. ट्विन टावर का मालिक कौन है?
एमराल्ड कोर्ट परियोजना के तहत बने ट्विन टावर सुपरटेक लिमिटेड नाम की कंपनी के हैं। जो एक निजी कंपनी है। कंपनी 7 सितंबर, 1995 में निगमित हुई थी। सुपरटेड के संस्थापक आर के अरोड़ा हैं। उनकी 34 कंपनियां हैं। आर के अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने 1999 में दूसरी कंपनी सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड शुरू की थी।
4. कितने शहरों में लॉन्च हुए प्रोजेक्ट?
सुपरटेक कंपनी ने अभी तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के 12 शहरों में अपने प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं। कंपनी को इसी साल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने दीवालिया घोषित कर दिया था। इस पर करीब 400 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।
5. कब शुरू हुआ ये पूरा खेल?
पूरा खेल उस वक्त शुरू हुआ, जब 2 मार्च, 2012 में टावर संख्या 16 और 17 को लेकर दोबारा संशोधन किया गया। इन्हें 40 मंजिल तक बनाए जाने की अनुमति दी गई। इनकी ऊंचाई 121 मीटर तय हुई। दोनों टावरों के बीच की दूरी 8 से 9 मीटर रखी गई, जबकि यह 16 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए थी।
6. नियमों की कहां-कहां अनदेखी हुई?
सुपरटेक कंपनी को टावर बनाने के लिए 13.5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। इसमें 12 एकड़ हिस्से यानी 90 फीसदी क्षेत्र पर 2009 तक निर्माण का काम पूरा हो गया था। बाकी के 10 फीसदी हिस्से को ग्रीन जोन के लिए रखा गया। फिर 2011 में दो नए टावर बनाए जाने की खबरें आईं। उसके बाद दो ऊंची इमारतों के निर्माण का काम 1.6 एकड़ में शुरू हो गया। अब आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि 12 एकड़ में 900 परिवार रह रहे थे और इतने ही परिवार 1.6 एकड़ में बसाने की तैयारी हो रही थी।
7. किन लोगों ने कोर्ट का रुख किया?
फ्लैट खरीदने वालों ने साल 2009 में आरडब्ल्यू बनाया। जिसने सुपरटेक जैसी बड़ी कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की। इस अवैध निर्माण के खिलाफ सबसे पहले आरडब्ल्यू नोएडा प्रशासन के पास गया। वहां सुनवाई नहीं होने पर इन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्विन टावर गिराने का आदेश दे दिया। इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोगों में यूबीएस तेवतिया, एसके शर्मा, रवि बजाज, वशिष्ठ शर्मा, गौरव देवनाथ, आरपी टंडन और अजय गोयल शामिल हैं।
8. मामला सुप्रीम कोर्ट कब पहुंचा?
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुपरटेक कंपनी सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। कोर्ट में करीब सात साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर इमारतों को गिराने का आदेश दिया।
9. कैसे गिराई जा रही हैं इमारतें?
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, ट्विन टावर आज यानी रविवार को गिराए जा रहे हैं। इसके लिए 2:30 बजे का समय चुना गया है। इसमें 32 मंजिला एपेक्स और 29 मंजिला साइन को 3500 किलोग्राम विस्फोटक लगाकर तारों से जोड़ा गया है। इमारतों को ढहाने में 9 से 12 सेकंड का वक्त लगेगा।
10. ट्विन टावर गिराने में कितना खर्च आएगा?
ट्विन टावरों को बनने में करीब 200 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया है। वहीं इन्हें गिराने की लागत 20 करोड़ रुपये बताई गई है। इसमें 5 करोड़ रुपये सुपरटेक दे रही है। और बाकी के 15 करोड़ रुपये मलबे को बेचकर जुटाए जाएंगे।