Noida Twin Towers: 9 साल की कानूनी लड़ाई, 3700 kg विस्फोटक, 7000 लोग... 'नंबर गेम' से जानें ट्विन टावर से जुड़ी 10 बड़ी बातें
Noida Supertech Twin Towers Demolition Cost: ये भारत में अब तक की सबसे ऊंची संरचनाएं हैं, जिन्हें ध्वस्त किया गया है। इमारतों को गिराने के लिए हरियाणा के पलवल से लाए गए करीब 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ।
Highlights
- अगस्त, 2021 में आया था कोर्ट का फैसला
- 7000 निवासियों को निकाला गया था
- इमारतों को गिराने में 9 सेकंड लगे
Noida Supertech Twin Towers Demolition: उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर रविवार को ढहा दिए गए हैं। इसके लिए बीते कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं। न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें इन इमारतों पर टिकी रहीं। एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत एनडीआरएफ टीम तैनात है। दोनों टावर कुतुब मीनार से भी ऊंचे थे और इन्हें 15 सेकंड से भी कम समय में ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ढहा दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि ये भारत में अब तक की सबसे ऊंची संरचनाएं हैं, जिन्हें ध्वस्त किया गया है। इमारतों को गिराने के लिए हरियाणा के पलवल से लाए गए करीब 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ। तो चलिए अब नंबरों के जरिए इस मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें जान लेते हैं-
40: ट्विन टावर में से प्रत्येक में 40 मंजिल बनाने की योजना थी। इनमें से कुछ कोर्ट के फैसले के कारण बन नहीं सकीं, कुछ को अंतिम बार ढहाए जाने से पहले ही तोड़ दिया गया। इनमें एपेक्स में 32 और सियान टावर में 29 मंजिल हैं। कुल 915 फ्लैटों में से लगभग 633 बुक किए गए थे और कंपनी ने होमबॉयर्स (जो लोग इन्हें खरीद रहे थे) से लगभग 180 करोड़ रुपये एकत्र किए। अब कंपनी को इन लोगों के पैसे 12 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने को कहा गया है।
103: ट्विवन टावर की एपेक्स इमारत की लंबाई 103 मीटर थी, जबकि साइन की लंबाई 97 मीटर थी। टावर के विध्वंस में शामिल कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता ने शनिवार को कहा था कि तीन विदेशी विशेषज्ञों, भारतीय विध्वंसक चेतन दत्ता, एक पुलिस अधिकारी और खुद मेहता सहित केवल छह लोग विस्फोट के लिए बटन दबाने के लिए निषिद्ध क्षेत्र में रहेंगे।
8: दो इमारतों के बीच की दूरी 18 मीटर होनी चाहिए। लेकिन इन ट्विन टावरों के बीच की दूरी 8 मीटर थी। जबकि आसपास की दूसरी इमारतें ट्विन टावर से महज 9 मीटर की दूरी पर भी बनी हैं। इन्हें धूल से बचाने के विशेष तरह के कपड़े से ढंका गया है।
3700 किलोग्राम: पिलर में किए गए 7000 छेद में विस्फोट भरे गए थे। हर एक छेद दो मीटर का था। केवल छह लोग विस्फोट के लिए बटन दबाने के लिए निषिद्ध क्षेत्र में रहे।
9 सेकंड: प्रोजेक्ट के इंजीनियर ने कहा था कि इमारतों को ढहने में कुल 9 सेकंड का वक्त लगेगा। वह ब्लास्टर के समय वहीं मौजूद रहेंगे। उनके अलावा अफ्रीका के तीन विशेषज्ञ और कुछ अन्य सरकारी अधिकारी समेत करीब 10 लोग ही यहां रहेंगे। ये कम से कम 100 मीटर दूर खड़े होंगे। ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर 450 मीटर नो-गो जोन के भीतर आधे घंटे के लिए यातायात रोक दिया जाएगा। यानी धमाके के दोनों तरफ 15 मिनट के लिए 2.15 से 2.45 बजे तक कोई वाहन यहां से गुजर नहीं सकेगा।
12 मिनट: इतने समय तक धूल का गुबार छाया रहेगा। अगर हवा की गति सामान्य नहीं रहती, तो मामला थोड़ा अलग हो सकता है। उसके बाद मजदूर आसपास की इमारतों की जांच करने के लिए आगे बढ़ेंगे और तुरंत मलबे से जुड़ा काम करने लगेंगे। मलबे को साफ होने में तीन महीने से अधिक समय लगेगा। कुल 55,000 टन (या 3,000 ट्रक) मलबा निकलेगा।
30 एमएम प्रति सेकंड: विस्फोट के बाद उसकी कंपन 30 मीटर तक महसूस की जाएगी, लेकिन केवल कुछ सेकंड के लिए ऐसा होगा। यह लगभग 30 मिमी प्रति सेकंड पर होगी। सरल शब्दों में यह रिक्टर पैमाने पर 0.4 तीव्रता के भूकंप के बराबर है। नोएडा में नियमित रूप से छोटे-छोटे झटके आते हैं। वहीं ये इमारतें रिक्टर स्केल पर 6 की तीव्रता के भूकंप का सामना कर सकती हैं।
7000 निवासी: ट्विन टावर के पास स्थित दो सोसाइटी में रह रहे करीब 7,000 लोगों को निकालने का काम पूरा कर लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी से निवासियों को निकालने का काम सुबह सात बजे तक पूरा किया जाना था, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगा।
9 साल: कोर्ट का फैसला अगस्त, 2021 में आया था। इसमें पूरे 9 साल का वक्त लग गया। सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के निवासियों ने पहली बार 2012 में अदालत का रुख किया था। तब इन टावरों को एक रिवाइज्ड बिल्डिंग प्लान के तहत अप्रूवल मिला था। स्वीकृति दिए जाने में अवैध तरीकों का इस्तेमाल हुआ है, जिसके लिए कुछ अधिकारियों को बाद में दंडित भी किया गया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2014 में विध्वंस का आदेश दिया। मामला अंतिम निर्णय के लिए सर्वोच्च न्यायालय में गया। पिछले अगस्त में, अदालत ने टावरों को ध्वस्त करने के लिए तीन महीने का समय दिया था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण एक साल का वक्त लग गया।
100 करोड़ रुपये: इतने पैसे बीमा के तौर पर सुरक्षित किए गए हैं। अगर आसपास की इमारतों को नुकसान हुआ, तो ये मुआवजे के तौर पर लोगों को दिए जाएंगे। ट्विन टावरों को ढहाए जाने की लागत अनुमान के मुताबिक, लगभग 267 रुपये प्रति वर्ग फुट है। लगभग 7.5 लाख वर्ग फुट के कुल निर्मित क्षेत्र को देखते हुए, विस्फोटकों सहित कुल विध्वंस लागत करीब 20 करोड़ रुपये रहेगी। कुल लागत में से, सुपरटेक लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है और बाकी के 15 करोड़ रुपये की राशि मलबे को बेचकर एकत्रित होगी, जो लगभग 55,000 टन है, इसमें 4,000 टन स्टील शामिल है।