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Hindi News भारत राष्ट्रीय भारत में 'इस्लामिक खिलाफत' स्थापित करने की साजिश', NIA ने दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया

भारत में 'इस्लामिक खिलाफत' स्थापित करने की साजिश', NIA ने दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया

NIA ने भारत में 'इस्लामिक खिलाफत' स्थापित करने की साजिश के आरोप में विशेष अदालत में दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। आइए जानते हैं कि क्या है ये पूरा मामला।

NIA ने आतंक के मामले में दायर की चार्जशीट।- India TV Hindi Image Source : ANI/PTI NIA ने आतंक के मामले में दायर की चार्जशीट।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने आतंक फैलाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है। इन दोनों पर तमिलनाडु और पड़ोसी राज्यों में कथित तौर पर आतंक फैलाने और भारत में इस्लामिक खिलाफत स्थापित करने की साजिश रचने का आरोप है। एनआईए की ओर से की गई जांच के मुताबिक, दोनों आरोपी हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) आतंकी संगठन की गुप्त कक्षाओं में छात्रों की भर्ती करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

आतंकी कृत्यों की साजिश का आरोप

एनआईए ने चेन्नई के पूनमल्ली स्थित विशेष अदालत में इस पूरी साजिश की जांच के मामले में चार्जशीट दायर की है। चार्जशीट में अब्दुल रहमान और मुजीबुर रहमान उर्फ अल्थम साहिब पर BNS और गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों के ऊपर तमिलनाडु और अन्य स्थानों पर हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए आतंकी कृत्यों की साजिश रचने और इन्हें अंजाम देने की तैयारी करने का आरोप लगाया गया है। 

इस्लामिक देशों की सैन्य ताकत दिखाई

NIA ने अपने बयान में कहा है कि दोनों आरोपियों अब्दुल रहमान और मुजीबुर रहमान उर्फ अल्थम साहिब ने धार्मिक प्रदर्शन की कक्षाओं का भी आयोजन किया था। दोनों ने सोशल मीडिया पर संगठन की भारत-विरोधी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए कई शॉर्ट फिल्में भी बनाई थीं। दोनों आरोपियों ने इस्लामिक देशों की सैन्य ताकत को दिखाने के लिए एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया था। इसमें बताया गया था कि इन्हें जिहाद और युद्ध की मदद से भारत की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बुलाया जाएगा।

शरिया भी लागू करवाना चाहते थे

NIA की जांच में पता लगा है कि दोनों आरोपियों ने विचारधारा का प्रचार करने के लिए संगठन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची थी। इसका मकसद भारत में इस्लामिक खिलाफत स्थापित करना था। इसके साथ ही ये हिज्ब-उत-तहरीर के संस्थापक तकी अल-दीन अल-नभानी की ओर से लिखे गए शरिया-आधारित संविधान के मसौदे को लागू करवाना चाहते थे। (इनपुट: भाषा)

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