New Technology: अभी तक आपने पटरियों पर सिर्फ रेलगाड़ी इत्यादि को ही दौड़ते सुना रहा होगा, लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई मकान भी किसी पटरी पर ट्रेनों की तरह दौड़ सकता है। यह बात सुनकर आपको बेहद अजीब लग रहा होगा, मगर यह सच है। पंजाब के संगरूर जिले में हाईवे किनारे बना दो मंजिला एक मकान एक्सप्रेस-वे से करीब 500 फीट दूर तक पटरी पर दौड़कर पीछे की ओर चला गया। हैरानी की बात है कि इस दौरान मकान में कहीं जरा भी दरार तक नहीं आई और न ही इस कोठी को कोई नुकसान पहुंचा। पंजाब में हुई इस घटना की जानकारी से हर कोई दांतों तले उंगली दबा रहा है। यह सब कैसे और किस लिए हुआ। आइए आपको बताते हैं इसका पूरा वाकया.....
दरअसल पंजाब के कारोबारी सुखविंदर सिंह सुक्खी ने संगरूर में दो मंजिला कोठी बना रखी है। दो वर्ष पहले बनी इस कोठी को बनाने में उस वक्त सवा दो करोड़ रुपये से अधिक का खर्च हुआ था। अब यह दो मंजिला कोठी दिल्ली-जम्मू-कटरा एक्सप्रेस-वे की चपेट में आ गई। अपने सपनों की कोठी को सुखविंदर टूटता हुआ नहीं देख सकते थे। लिहाजा उन्होंने इंजीनियरों की मदद से इसे हाईवे से 500 फीट दूर शिफ्ट करवाने का फैसला किया।
रेलनुमा पटरी बनाकर जैक से हटाया गया मकान
हाईवे से 500 फीट दूर तक इस दो मंजिला कोठी को ले जा पाना किसी बड़ी मुश्किल से कम नहीं था। यह इंजीनियरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। क्योंकि अभी तक आपने उसी स्थान पर मकानों को ऊंचा उठाने या कुछ फिट तक आगे-पीछे खिसकाने के बारे में ही सुना रहा होगा, लेकिन पंजाब ने इंजीनियरों ने जो किया उस पर हर किसी को भरोसा कर पाना मुश्किल हो रहा है। मगर यह चमत्कार इंजीनियरों ने कर दिखाया है। इसके लिए इंजीनियरों ने रेलनुमा पटरी बनाई और गाड़ी के जैक की मदद से धीरे-धीरे मकान को पीछे की ओर ले जाया गया। इसमें कोठी के नीचे अधिक संख्या में जैक लगाए गए। इसके नीचे लोहे के रोलर लगाकर ईस्पात की पटरी बिछाई गई। पटरी पर रोलर की मदद से मकान को धीरे-धीरे खिसकाया गया। सभी जैक में कुछ कोड सेट किए गए और उसके आधार पर मकान को सुरक्षित हटाया गया।
एक दिन में 10 से 15 फिट आगे बढ़ा मकान
इंजीनियरों ने अत्याधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल करते हुए मकान को रोजाना 10 से 15 फीट आगे ले गए। इस प्रकार मकान को शिफ्ट करने में करीब दो माह से अधिक का समय लगा। इस पर 50 लाख रुपये तक का खर्चा आया। मकान को शिफ्ट करने का ठेका लेने वाले हसन अली ने बताया कि यह बहुत मुश्किल कार्य था। क्योंकि मकान दो मंजिला और क्षेत्रफल में काफी बड़ा था। दूरी भी 500 फीट थी। पहले जैक के जरिये लिफ्ट करके मकान को ऊंचा उठाया गया। फिर धीरे-धीरे उसे पटरी के सहारे गंतव्य तक ले जा गया। वहीं कोठी के मालिक का कहना है कि यह मेरे सपनों का महल था। अगर इसे तोड़वाने के बाद फिर से बनवाते तो समय और पैसा दोनों अधिक खर्च होता। इसे झेल पाना तब संभव नहीं था। इसलिए मकान को शिफ्ट कराने का ठेका देना पड़ा।
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