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Hindi News भारत राष्ट्रीय Agniveer Scheme: Nepal के रहने वाले नागरिक अब भारतीय सेना में नहीं होंगे भर्ती, नेपाल सरकार ने इस वजह से लगाई रोक

Agniveer Scheme: Nepal के रहने वाले नागरिक अब भारतीय सेना में नहीं होंगे भर्ती, नेपाल सरकार ने इस वजह से लगाई रोक

Agniveer Scheme: देशभर में अग्निपथ योजना को लेकर पूरा बवाल मचा। इसी दौरान कई हिस्सों में आगजनी और तोड़फोड़ हुई। इन घटनाओं से भारत सरकार और राज्य सरकार को काफी नुकसान उठानी पड़ी है।

Agniveer Scheme- India TV Hindi Image Source : TWITTER Agniveer Scheme

Highlights

  • नेपाल में अग्निपथ योजना के तहत 1300 सैनिकों की भर्ती की जानी है
  • पूरा मामला प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के पास पहुंचा है
  • नेपाली युवकों की भारतीय सेना में भर्ती को लेकर कई प्रश्न खड़े हो गए हैं

Agniveer Scheme: देशभर में अग्निपथ योजना को लेकर पूरा बवाल मचा। इसी दौरान कई हिस्सों में आगजनी और तोड़फोड़ हुई। इन घटनाओं से भारत सरकार और राज्य सरकार को काफी नुकसान उठानी पड़ी है। कई दिनों के बाद मामला थमा था कि अब नेपाल में इस योजना को लेकर बवाल हो गया है। अग्निवीर योजना को लेकर भारतीय सेना को को झटका लगा है। नेपाल सरकार ने भारत के साथ इस पूरे विवाद के सुलझने तक आज बुटवल में होने वाली भारतीय सेना के गोरखा जवानों की भर्ती पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। वहीं नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का ने अग्निपथ विवाद को सुलझाने के लिए काठमांडू में भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात की है। भारतीय सेना अपनी गोरखा रेजिमेंट के लिए ब्रिटिश शासन के बाद से नेपाल से गोरखा सैनिकों की भर्ती करती रही है।

1300 नेपाली युवकों की करनी है भर्ती 

काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक, इससे पहले जून में मोदी सरकार ने नेपाल सरकार से पूछा था कि अग्निपथ योजना पर उसकी क्या राय है?  उस समय शेर बहादुर देउबा सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इस बीच अधिकारियों ने बताया कि लुंबिनी प्रांत के बुटवल में 25 अगस्त यानि आज होने वाली भारतीय सेना की भर्ती स्थगित पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर अभी बातचीत चल रही है। भारतीय पक्ष ने इससे पहले जून में नेपाल सरकार को सूचित किया था कि वह 25 अगस्त को बुटवल और 1 सितंबर को धरान में गोरखा सैनिकों की भर्ती करना चाहता है। हालांकि नेपाल सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया, जिससे नेपाली युवकों की भारतीय सेना में भर्ती को लेकर कई प्रश्न खड़े हो गए हैं। आपको बता दें कि नेपाल का एक तबका हमेशा से भारतीय सेना में नेपाली युवाओं की भर्ती का विरोध करता रहा है। वहीं दूसरे धड़े का कहना है कि अग्निपथ योजना के तहत नेपाली युवाओं की भर्ती 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन सरकार के बीच हुई त्रिपक्षीय संधि का उल्लंघन है। नेपाल में अग्निपथ योजना के तहत 1300 सैनिकों की भर्ती की जानी है लेकिन इस विवाद से युवाओं की भर्ती नहीं हो पाएगी।  

प्रधानमंत्री पर टीका है निर्णय 

रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल के विदेश मंत्रालय के आखिरी मिनट तक जवाब नहीं देने पर पूरा मामला प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के पास पहुंचा। इसके बाद देउबा ने विदेश मंत्री खड़का को तुरंत निर्णय लेने का निर्देश दिया। सूत्रों के मुताबिक नेपाली पीएम ने भी कहा कि यह बेहद संवेदनशील मामला है। मंगलवार को पीएम देउबा ने खड़का और उनके विदेश संबंध सलाहकार अरुण सुबेदी से मुलाकात की। इस बैठक में खडका ने चिंता व्यक्त की कि भारतीय सेना में 4 साल की सेवा के बाद निकाल दिए जाने वाले युवाओं का भविष्य क्या होगा। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि इन युवकों का दुरूपयोग हो सकता है। नेपाली पीएम ने निर्देश दिया कि विदेश मंत्री खड़का को इस मामले पर सभी संबंधितों से चर्चा करनी चाहिए। इसके बाद खड़का ने भारतीय राजदूत से मुलाकात की और अग्निपथ पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार अगले एक-दो दिन में अग्निपथ योजना को लेकर फैसला लेगी। सूत्रों के मुताबिक, पीएम देउबा इस बात से खफा थे कि विदेश मंत्री खड़का ने भारत के पत्र पर अनुमति मांगने पर दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं, सूबेदी ने कहा कि भारत अपनी भर्ती को तब तक के लिए टाल सकता है जब तक कि नेपाल फैसला नहीं ले लेता।

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