राष्ट्रभाषा या राजभाषा, क्या है हिंदी? कैसे 75 साल पहले इसपर हुआ फैसला
14 सितंबर, 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया। 75 साल पहले हिंदी को राजभाषा या राष्ट्रभाषा बनाने पर काफी दिनों तक चर्चा हुई। आइये जानते हैं इसपर कैसे निर्णय लिया गया।
Hindi Diwas: हिंदी आज दुनिया में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषाओं में शुमार है। महात्मा गांधी ने कहा था कि हिंदी जनमानस की भाषा है और उन्होंने इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश भी की थी। हिंदी को 14 सितंबर, 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया, लिहाजा इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। वर्ष 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया। हालांकि, पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया।
संविधान सभा में हुई लंबी चर्चा
ज्यादातर लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं, लेकिन हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है। इसे लेकर तमाम क्षेत्रीय भाषाओं वाले राज्यों और हिंदी भाषी राज्यों के बीच काफी विवाद भी होते रहे हैं। असल में भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया गया है। आजादी के बाद जब भारत का संविधान बनाने की प्रक्रिया जारी थी, उस समय संविधान सभा में भाषा के विषय पर चर्चा हुई। संविधान सभा में हुई चर्चा में कुछ लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में पक्ष में थे, तो कुछ लोग इसके खिलाफ भी खड़े हुए। दरअसल, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के खिलाफ होने वाले लोगों का मानना था कि अधिकतर लोग हिंदीभाषी नहीं हैं।
14 सितंबर 1949 को राजभाषा बनी हिंदी
संविधान सभा में हुई लंबी चर्चा के बाद इस बात पर सहमति बनी कि हिंदी को राजभाषा बनाया जाएगा। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 343(1) में हिंदी को देवनागरी लिपि के रूप में राजभाषा का दर्जा दिया गया। वहीं 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया। अगर आप भी राजभाषा और राष्ट्रभाषा के बीच अंतर नहीं जानते हैं तो हम बता दें कि राष्ट्रभाषा वह है, जिसका इस्तेमाल राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यों के लिए किया जाता है। वहीं, राजभाषा वह है जिसका उपयोग सरकारी कामकाज के लिए किया जाता है। इसमें राष्ट्रीय अदालत, संसद या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आदि शामिल हैं।
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