National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में ऐसा खुलासा हुआ है जिससे सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अभी तक की जांच में ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि मोतीलाल वोरा AJL और यंग इंडिया की किसी मीटिंग का हिस्सा रहे हों। जबकि ईडी की पूछताछ में सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पूरा ठीकरा मोतीलाल वोरा के सिर पर ही फोड़ा था। बता दें कि मोतीलाल वोरा कांग्रेस के लम्बे वक़्त तक कोषाध्यक्ष रहे हैं।
किसी दस्तावेज में मोतीलाल वोरा का नाम तक नहीं
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों की मानें तो मोतीलाल वोरा, जो कांग्रेस के लम्बे वक़्त तक कोषाध्यक्ष रहे हैं, इसके बावजूद उनका यंग इंडिया के किसी कागज पर ना तो नाम है और ना ही दस्तखत। ईडी के सूत्रों ने कहा कि इससे साफ होता है कि यंग इंडिया बनाते वक्त शेयर ट्रांसफर के दौरान उनका कोई लेना देना नहीं था। जबकि पूछताछ में सोनिया और राहुल ने पूरा ठीकरा मोतीलाल वोरा के सिर फोड़ा था। सूत्रों ने बताया कि मोतीलाल वोरा का AJL और यंग इंडिया दोनों के ही किसी कागजात पर नाम तक नहीं है, यानी किसी भी निर्णय और मीटिंग से उनका कोई लेना-देना नहीं पाया गया।
राहुल-सोनिया ने लिया था वोरा का नाम
मोती लाल वोरा जो कांग्रेस पार्टी के सबसे लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे, उनका साल 2020 में निधन हो गया था। राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी से पूछताछ के दौरान कहा था कि AJL और यंग इंडिया लिमिटेड से जुड़े सभी वित्तीय लेन-देन मोती लाल वोरा ही देखा करते थे। ईडी के सामने राहुल और सोनिया के अलावा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन कुमार बंसल ने भी यही नाम लिया था। लेकिन, ये सभी नेता बैठक से संबंधित कोई दस्तावेज जिससे वोरा की उपस्थित साफ हो सके, पेश करने में विफल रहे। सूत्रों ने यह भी कहा कि ईडी के पास खड़गे को बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था जब संसद सत्र चल रहा था क्योंकि वह यंग इंडिया के एकमात्र कर्मचारी हैं।
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