National Daughters Day 2023: क्यों 24 सितंबर को मनाया जाता है बेटी दिवस? जानें क्या है इसके पीछे की कहानी
देश व दुनिया में हर साल 24 सितंबर को राष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है। इस दिन की खास अहमियत है। बेटियों को आवाज देने और उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिहाज से हर साल इस दिन को मनाया जाता है।
National Daughters Day 2023: भारत में बेटियों को देवी का दर्जा दिया जाता है। कहीं कोई पिता अपनी बेटी को आदिशक्ति का रूप मानता है तो कोई लक्ष्मी का रूप मानता है। हालांकि कुछ स्थानों पर इसके विपरीत देखा जाता रहा है कि घर में बेटी के पैदा होने पर लोगों में मातम पसर जाता है और कुछ लोग बेटी पैदा होने को अशुभ मानते हैं। लेकिन भारतीय परंपरा और भारतीय धर्म में बेटियों को हमेशा से ही देवियों का दर्जा दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बेटियां संसार की जननी है। संसार की शुरुआत खुद माता आदिशक्ति से हुई है। ऐसे में भारतीय परंपराओं में हमेशा से बेटियों को अव्वल दर्जे पर रखा गया है। लेकिन समय के साथ बेटियों से अधिकार छीने गए, फिर समय बदला और बेटियों को उनके अधिकार फिर मिलने लगे। आज राष्ट्रीय बेटी दिवस है। बेटियां किसी भी क्षेत्र में अपना काम बखूबी कर रही हैं। ऐसे में आपको जानना चाहिए कि आखिर इस खास दिन का इतना महत्व क्यों है।
बेटी दिवस कब मनाते हैं?
बेटियों के प्रति दुनियाभर में फैले नकारात्मकता के खिलाफ दुनियाभर के देश मिलकर बेटियों को समान अधिकार दिलाने के लिए इस खास दिन को मनाते हैं। हर साल सितंबर महीने की 4 तारीख को बेटी दिवस मनाया जाता है। बेटियों के हक और उनकी आवाज को उठाने के लिए इस खास दिन को मनाया जाता है। भारत में भी इस दिन का खास महत्व है। हालांकि 24 सितंबर को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है।
क्यों मनाते हैं बेटी दिवस
हजारों साल पहले बेटियां (महिलाएं) अपने घर में मर्दों की ही तरह मुख्य किरदार में हुआ करती थीं। लेकिन जब समाज में अपवाद बढ़ने लगे तब समय के साथ बेटियों की शक्ति और उनकी क्षमताओं को भी छीना गया। हालांकि एक समय ऐसा भी आया जब बेटी पैदा होने को लोग अशुभ मानने लगे। हालांकि ये अशुभ मानने की शुरुआत इसलिए हुई क्योंकि समाज में दहेज प्रथा ने घर कर लिया था और बेटी की शादी में दहेज न देना पड़े इसलिए इसे अशुभ बताते हुए बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता था। लेकिन अब समय बदल चुका है। सरकार द्वारा व अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी लगातार कई अभियान चलाए गए। इसका परिणाम हुआ कि आज बेटियां अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं और सभी क्षेत्रों में नाम कमा रही हैं।
कई बेटियों को अपे अधिकारों का पता नहीं होता और जीवन में उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों से लड़ने के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं और सरकारों द्वारा बेटी दिवस का आयोजन किया जाने लगा। इसलिए भारत में 24 सितंबर को वैश्विक स्तर पर बेटी दिवस मनाया जाने लगा। इस खास दिन के जरिए बेटियों को उनकी आवा मिली और जनता को बेटियों को महत्व पता चला। इस अभियान को जागरूकता के लिहाज से मनाया जाता है।
बेटी दिवस का इतिहास?
साल 2007 में बेटी दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। भारत समेत दुनिया के कई देशों में बेटों को ज्यादा अहमियत दी जाती थी। इसे खत्म करने और बेटा तथा बेटी को बराबर का दर्जा दिलाने के लिहाज से इस दिन की शुरुआत की गई। बेटियों के पैदा होने को जश्न के तौर पर मनाने के लिहाज से हर साल 24 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है।