N.V. Raman: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमण ने मंगलवार को कहा कि भारत में लंबित मामले एक ‘बड़ा मुद्दा’ है। उन्होंने कहा मुकदमों के बढ़ते बोझ और बुनियादी ढांचों के अभाव तथा पर्याप्त संख्या में जजों की कमी के कारण यह समस्या ‘गंभीर’ होती जा रही है। CJI ने कहा कि नियमित अदालतों के भीतर निर्णय लेने में लगने वाले लंबा समय एक ऐसा मुद्दा है जो दुनिया भर में अदालतों की व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। CJI रमण ने लंदन में 'भारत-ब्रिटेन वाणिज्यिक विवादों की मध्यस्थता' पर एक सम्मेलन में उद्घाटन पर भाषण दिया। उन्होंने कहा, “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत में मामलों का लंबित होना एक प्रमुख मुद्दा है। इसके कारणों में भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, जनसंख्या, अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता आदि शामिल हैं।’’
कौन सा दूसरा तरीका बताया CJI ने लंबित मामलों के बोझ को कम करने हेतु
CJI रमण ने कहा, ‘‘बुनियादी ढांचे की गैर-मौजूदगी और बढ़ते कार्यभार के अनुरूप न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या न होने से समस्या तीव्र होती जा रही है। यही कारण है कि मैं भारत में न्यायिक बुनियादी ढांचे को बदलने और उन्नत करने के साथ-साथ न्यायिक रिक्तियों को भरने और न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जोरदार वकालत कर रहा हूं।” CJI ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद, शीर्ष अदालत में 11 रिक्त पदों को भरने के अलावा, कॉलेजियम विभिन्न उच्च न्यायालयों में 163 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित कर सका है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लंबित मामलों के बोझ को कम करने का एक दूसरा तरीका विवाद समाधान के दूसरे साधनों, जैसे मध्यस्थता या सुलह को, बढ़ावा देना और लोकप्रिय बनाना है ।
वर्तमान में भारत ब्रिटेन का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार: CJI
CJI ने कहा, ‘‘वास्तव में, अपने पेशेवर कानूनी करियर के दौरान, मैं डिस्प्यूट सेटलमेंट मैकेनिज्म का एक मजबूत समर्थक रहा हूं। जिसमें वादियों को पारंपरिक मुकदमे का सामना करने की आवश्यकता नहीं होती है।’’ सीजेआई ने कहा कि लंदन दुनिया का वित्तीय केंद्र रहा है और भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार और कमर्शियल रिलेशन को दोहराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत ब्रिटेन का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है । इसके साथ 2020 में ब्रिटेन से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 14.9 अरब पाउंड था।
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