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Hindi News भारत राष्ट्रीय शपथ के दौरान अब नारे नहीं लगा सकेंगे सांसद, 'जय फिलिस्तीन' विवाद के बाद नियमों में हुआ बदलाव

शपथ के दौरान अब नारे नहीं लगा सकेंगे सांसद, 'जय फिलिस्तीन' विवाद के बाद नियमों में हुआ बदलाव

असदुद्दीन ओवैसी के अलावा कई अन्य सांसदों ने भी संसद सदस्यता की शपथ लेने के दौरान सदन में नारे लगाए। इस पर विवाद बढ़ने के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शपथ ग्रहण को लेकर नियम में बदलाव किया है।

लोकसभा - India TV Hindi Image Source : PTI लोकसभा

18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान AIMIM मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने संसद सदस्यता की शपथ लेने के बाद सदन में 'जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और सबसे आखिर में 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगा कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया था। ओवैसी के अलावा कई अन्य सांसदों ने भी संसद सदस्यता की शपथ लेने से पहले या बाद में सदन में नारे लगाते नजर आए। इस पर विवाद बढ़ने के बाद अब लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों के शपथ ग्रहण को लेकर नियम को बदलते हुए इसे और ज्यादा कठोर बना दिया है। 

प्रारूप के अनुसार ही लेंगे शपथ

नए नियम के मुताबिक, अब भविष्य में शपथ लेने वाले निर्वाचित सांसदों को संविधान के अंतर्गत शपथ के प्रारूप के अनुसार ही शपथ लेना होगा। अब सांसद शपथ लेते समय ना तो नारे लगा पाएंगे और ना ही अपने शपथ में कोई और शब्द जोड़ पाएंगे। लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश के मुताबिक, लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों (17वें संस्करण) के नियम 389 में बदलाव कर दिया गया है। नियम 389 के निर्देश-1 में खंड- 2 के बाद अब एक नया खंड-3 जोड़ा गया है। इसके मुताबिक, एक सदस्य भारत के संविधान की तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रपत्र के अनुसार ही शपथ लेगा और उस पर हस्ताक्षर करेगा। शपथ के साथ उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में कोई भी टिप्पणी या किसी भी अन्य शब्द या अभिव्यक्ति का उपयोग नहीं करेगा।

सांसदों के नारे पर मचा था बवाल 

दरअसल, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन असदुद्दीन ओवैसी ने 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाया था। इस पर बाकी सांसदों ने आपत्ति जताई थी। वहीं, राहुल गांधी ने शपथ के बाद 'जय हिंद' और 'जय संविधान' का नारा लगाया था। इसके अलावा बरेली से बीजेपी सांसद छत्रपाल गंगवार ने 'हिंदू राष्ट्र की जय' का नारा लगाया था। सपा सांसद अवधेश राय ने शपथ ली तो 'जय अयोध्या', 'जय अवधेश' के नारे लगाए थे। हेमा मालिनी ने शपथ की शुरुआत 'राधे-राधे' से की थी। इन नारों को लेकर आरोप लगाया गया था कि सांसद शपथ ग्रहण के जरिए अपना-अपना सियासी संदेश भेज रहे हैं।

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