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Hindi News भारत राष्ट्रीय उषा वेंस की 96 वर्षीय दादी से मिलिए, फिजिक्स हो या वैदिक गणित, दोनों में हैं एक्सपर्ट

उषा वेंस की 96 वर्षीय दादी से मिलिए, फिजिक्स हो या वैदिक गणित, दोनों में हैं एक्सपर्ट

अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव होने जा रहा है। रिपब्लिकन पार्टी ने भारतीय मूल के जेडी वेंस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। उनकी पत्नी का नाम है उषा चिलुकुरी वेंस। उषा की दादी से आज हम आपको मिलवाने वाले हैं।

Meet Usha Vance's 96-year-old grandmother Be it Physics or Vedic Mathematics she is an expert in bot- India TV Hindi Image Source : ANI उषा वेंस की दादी शांतम्मा

अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियां जारी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए ओहायो के सीनेडर जेडी वेंस को डोनाल्ड ट्रंप ने अपना उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नामित किया है। जेडी वेंस का उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना जाना राजनीतिक संबंधों में अहम बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। जेडी वेंस की पत्नी का नाम है उषा चिलुकुरी वेंस। जेडी वेंस की पत्नी उषा चिलुकुरी वेंस न भारतीय मूल का होने के कारण काफी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। क्योंकि वह अपने साथ कई अनुभवों को लेकर चलती हैं। बता दें कि उषा भारतीय मूल्यों और संस्कृति से काफी जुड़ी हुई हैं।

कौन हैं उषा वेंस की दादी

शनिवार की सुबह उषा चिलुकुरी की 96 वर्षी दादा शांतम्मा विशाखापत्तनम एयरपोर्ट पहुंची। यहां उन्होंने मीडियाकर्मियों का स्वागत अनोखे अंदाज में किया। शांतम्मा ने कहा, क्या आप वैदिक गणित या भौतिकी में रूचि रखते हैं? मुझे आपको और अधिक सीखाने में खुशी होगी। उन्होंने रिपोर्टरों का कुछ इस तरह अभिवादन किया। भौतिकी की 90 वर्षीय प्रोफेसर ने वैदिक गणित पर पांच खंडों की श्रृंखला शुरू कर दी है, जिसपर उन्होंने का किया था। साथ ही चिलुकुरी परिवार वंश वृक्ष का पता लगाने में जुटी हुई हैं। 

शांतम्मा ने मीडिया से की बात

बता दें कि शांतम्मा के पति सुब्रमण्यम शास्त्री और उषा चिलुकुरी के दादा राम शास्त्री भाई थे, जिससे उषा उनकी पोती बन गईं, जो आज मशहूर हैं। चिलुकुरी कृष्णा जिले के वड्डूरू और चिलकलुरिपेटा से आए थे और वेद अवधानी, वैदिक साहित्य, मंत्रोच्चार के विद्वान थे। बता दें कि शांतम्मा के पति और उनके भाई संस्कृत और तेलुगु में पारंगत थे और डॉ. सुब्रमण्यम शास्त्री खुद वाइजैग में आंध्र विश्वविद्यालय में तेलुगु साहित्य के प्रोफेसर थे। शांतम्मा ने इस दौरान रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा, "दूसरी पीढ़ी ने वैदिक साहित्य में शामिल होने के साथ-साथ शिक्षाविदों को भी अपनाया।" 1859 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मद्रास (IIT-M) के बनने के समय उन्होंने कुछ समय मद्रास (चेन्नई) में बिताया था। शांतम्मा ने बताया कि जब उनके बहनोई राम शास्त्री आईआईटी की प्रयोगशाला में काम करते थे, जिसे उन्होंने आईआईटी मद्रास में स्थापित करने में की थी। इसलिए उषा के दादा राम शास्त्री के साथ उनके पिता और उनके भाई, दो भाई और एक बहन डॉ. शारदा जंध्याला, जो अभी भी चेन्नई में एक एनेस्थेटिस्ट के रूप में काम करती हैं, उनके यहां चले गए।

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